Thursday, December 27, 2018

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर
प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल
पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप

बीते 20 साल से सत्ता का बनवास झेल रही दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में एक बार फिर बवाल शुरू हो गया है। पार्टी के कुछ महत्वाकांक्षी नेता शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी छवि बनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की छवि को ही दांव पर नहीं लगा रहे बल्कि पार्टी और आला नेतृत्व की साख को भी खत्म करने में जुटे हैं। ताजा मामला बीते रविवार 23 दिसंबर को राजधानी के इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुए बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन से जुड़ा है। इस सम्मेलन को खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संबांधित किया था और इसमें पार्टी के वरिष्छ नेता शामिल हुए थे। आने वाले समय में दिल्ली प्रदेश भाजपा महामंत्री कुलजीत चहल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। चहल पर आरोप है कि उन्होंने हाल ही में हुए बूथ अध्यक्ष सम्मेलन पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया और इस सम्मेलन के लिए पिछले डेढ़ साल से मेहनत में जुटे पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को कोई अहमियत नहीं दी।

बूथ प्रबंधन अध्यक्ष को मंच पर नहीं चढ़ने दिया
                                                                   धर्मवीर सिंह

जिस भाजपा नेता के नेतृत्व और कुल 11 सदस्यों की टीम ने पिछले डेढ़ साल की मेहनत के बाद भाजपा के बूथ सम्मेलन को इस स्तर तक पहुंचाया, पूरे कार्यक्रम के दौरान उनका नाम ही नहीं लिया गया। 23 दिसंबर को हुए दिल्ली भाजपा के बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन में मंच पर बूथ प्रबंधन समिति के अध्यक्ष को ही जगह नहीं मिली। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इस बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन के संयोजन की जिम्मेदारी प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल को सोंपी थी। खास बात है कि इस पूरे कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी खुद कुलजीत चहल ने ही संभाली। लेकिन उन्होंने इस समिति के अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नता धर्मवीर सिंह सहित 11 सदस्यों को मंच पर चढ़ने ही नहीं दिया। उन्होंने अपने संचालन के दौरान एक बार भी समिति अध्यक्ष धर्मवीर सिंह या उनकी टीम के 11 सदस्यों में से एक भी सदस्य का नाम नहीं लिया।


डेढ़ साल पहले मिली थी जिम्मेदारी
वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मवीर सिंह को करीब डेढ़ साल पहले 15 जुलाई 2017 को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बूथ प्रबंधन की जिम्मेदारी दी थी। तभी से धर्मवीर सिंह पूरी दिल्ली के करीब 14 हजार बूथों के अध्यक्षों, उनके सहयोगियों और पार्टी के कुछ और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को जोड़ने में लगे थे। इस दौरान सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ अध्यक्षों, उनके सहयोगियों और पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की बैठकें ली गई। सभी पदाधिकारियों की पूरी सूची तैयार की गई और उनके साथ सीधे संपर्क किया गया। इसके बाद भाजपा के गठन के बाद इस तरह की बूथ अध्यक्षों के पहले सम्मेलन का आयोजन किया गया था।


बूथ सम्मेलन की तैयारियों में नहीं रही कुलजीत की कोई भूमिका
23 दिसंबर को आयोजित हुए बूथ सम्मेलन से पहले प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं रही। विधानसभा, जिला और लोकसभा स्तर पर हुई बूथ अध्यक्षों की बैठकों में भी कुलजीत चहल की कभी कोई भूमिका नहीं रही और ना ही कभी उनका कोई सहयोग रहा। खास बात है कि सम्मेलन से पहले सभी नेताओं को मंडल स्तर पर बूथ अध्यक्षां की तैयारियों से संबंधित बैठकें करने की जिम्मेदारी दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि कुलजीत चहल ने ना ही इस तरह की केई बैठक ली और ना ही बूथ समिति अध्यक्ष को कभी कोई रिपोर्ट दी।
अपनी छवि बनाने को वरिष्ठ नेताओं की छवि की बलि
23 दिसंबर को इंदिरा गांधी स्टेडियम में वह हुआ जो शायद भाजपा के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ होगा। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के सामने कुलजीत चहल ने अपनी छवि बनाने के लिए एक बार भी इस कार्यक्रम की सफलता के लिए जिम्मेदार धर्मवीर िंसंह और उनकी टीम के बाकी 10 सदस्यों में से एक भी नेता का नाम नहीं लिया। जबकि सातों लोकसभा के बूथ प्रभारियों के साथ बाकी संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, उनके कार्यालय सहयोगी राजकुमार और पूर्वी दिल्ली के पूर्व महापौर हर्ष मलहोत्रा और खुद इस समिति के अध्यक्ष धर्मवीर सिंह ने पूरे डेढ़ साल तक मेहनत की है। हालांकि संघ की ओर से नामित संगठन मंत्री तथाकथित संगठन महामंत्री सिद्धार्थन को मंच पर रखना संचालक और संयोजक की मजबूरी थी इसलिए उन्हें मंच पर रखा गया। लेकिन इस सफलता के लिए वास्तविक जिम्मेदार पार्टी नेताओं की छवि की बलि चढ़ा दी गई।


पंच परमेश्वर कार्यक्रम में भी नहीं टूटी परंपरा
यह परंपरा तो पिछले कुछ महीने पूर्व रामलीला मैदान में हुई पंच परमेश्वर कार्यक्रम में भी नहीं टूटी थी। पंच परमेश्वर समिति के अध्यक्ष तिलकराज कटारिया हैं जो उत्तरी दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं और फिलहाल नेता सदन हैं। उन्हें पूरे मान-सम्मान के साथ मंच पर स्थान दिया गया था। खास बात है कि भाजपा में काम करने वाले नेताओं को ज्यादातर महत्व दिया जाता रहा है। लेकिन पिछले दिनों हुए बूथ सम्मेलन में सारी परंपराओं को तोड़ दिया गया।


मनोज तिवारी ने बचाई इज्जत
23 दिसंबर को इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुए बूथ सम्मेलन में कार्यक्रम के संयोजक बनाए गए प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल ने तो इस कार्यक्रम को अपने नाम करने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को इस कार्यक्रम और इसकी पिछले लंबे समय से चल रही तैयारियों की पूरी जानकारी थी। अतः उन्होंने अपने भाषण में बूथ समिति अध्यक्ष धर्मवीर सिंह और उनके सहयोगियों का नाम लेकर कुछ हद तक स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की।


पहले भी ऐसा करते रहे कुलजीत चहल
दिल्ली प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल पहले भी ऐसा करते रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उन्हें एक बार पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा चुका है। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के कार्यकाल के दौरान उन्होंने वर्तमान केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली के खिलाफ प्रदर्शन कराया था। इसकी सजा उन्हें पार्टी से निष्कासन के तौर पर मिली थी। लेकिन वह अपने जुगाड़ और चाटुकारिता के चलते फिर से पार्टी में अच्छी स्थिति बनाने में कामयाब रहे। लेकिन अब उन्होंने एक बार फिर इस तरह की गतिविधियां शुरू कर दी हैं।


प्रदेश संगठन महामंत्री को घेरा
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली प्रदेश संगठन मंत्री/महामंत्री सिद्धार्थन भी कुलजीत चहल की अव्यवहारिक गतिविधियों का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। चहल ने पार्टी नेताओं के सामने सिद्धार्थन की कुछ ऐसी कमजोरियों को उजागर करने की बात कही है, जिससे पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और प्रदेश संगठन मंत्री के बीच दूरियों के लिए भी यही गु्रप जिम्मेदार है।

Wednesday, November 29, 2017

एक ही लक्ष्य,एक ही नारा,दिल्ली का सी एम हो हमारा...


दिल्ली प्रदेश पूर्वांचल मोर्चा ने सभी नवनिर्वाचित निगम पार्षदों और उम्मीदवारों के सम्मान में प्रदेश कार्यालय में एक समारोह का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता भाजपा पूर्वांचल मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री मनीष सिंह जी ने कीया..


सम्मान समारोह में पूर्वांचल मोर्चा के प्रदेश, जिला और मण्डल स्तर के सभी पदाधिकारी मौजुद रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य यह था की पूर्वांचल के उन नेताओं को सम्मान प्रदान करना था जिन्होंने अपने लगन और मेहनत से पार्टी और दिल्ली की जनता के बीच एक मुकाम बनाया है। इस सम्मान समारोह के माध्यम से ये भी सन्देश दिया गया कि किस तरह भाजपा को दिल्ली में अधिक से अधिक मजबूती प्रदान किया जाए और बिखरे हुए पूर्वांचलियों को एक साथ जोड़ कर उन्हें विकास के मुख्य धारा से जोड़ा जाए। क्योंकि अब यही कहेंगे कि एक ही लक्ष्य,एक ही नारा,दिल्ली का सी एम हो हमारा...



Saturday, November 18, 2017

प्रदूषण पर केजरीवाल सरकार विफल

पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष श्री मनीष सिंह जी तथा उनके पूर्वांचल मोर्चा के टीम 
दिल्ली के लोग ना केवल प्रदूषण से परेशान है अपितु गंदगी से भी उतने ही परेशान है अतः मोदी जी के स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाते हुए आज मेरे साथ पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष श्री मनीष सिंह जी तथा उनके पूर्वांचल मोर्चा के टीम भी वहा मैजूद था और आज मै दावे के साथ कह सकता हूँ, केजरीवाल सरकार प्रदूषण तथा स्वच्छता दोनों ही मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रही है..
पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष श्री मनीष सिंह जी ने कहा है कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान केजरीवाल सरकार ने पर्यावरण उपकर के रूप में 775 करोड़ रूपये वसूले हैं किन्तु पर्यावरण सुधार पर नगण्य राशि खर्च की है और वह भी पिछले साल..

इस वर्ष अर्थात 2017 में जब लोग प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हुये हैं और केजरीवाल सरकार के पास 775 करोड़ रूपये उपलब्ध थे फिर भी केजरीवाल सरकार ने पर्यावरण को स्वच्छ करने पर खर्च करना उचित नहीं समझा। केजरीवाल सरकार द्वारा पर्यावरण के नाम पर खर्च किया गया अधिकांश धन मुख्यमंत्री के चित्र वाले होर्डिंग लगाने पर खर्च हुआ।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी जी ने कहा कि अब समय आ गया है कि केजरीवाल सरकार अधिकारिक रूप से दिल्ली को यह बतायें कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और उसे स्वच्छ करने के लिए क्या कार्य किये हैं। साथ ही लोगों से इकट्ठा किया गया पर्यावरण उपकर और लोगों पर खर्च की गई राशि का ब्यौरा भी दें..  और लोगो के स्वास्थ के साथ जो खिलवाड़ हुआ है उसका खामियाजा केजरीवाल सरकार को भूगतना ही पड़ेगा..
जय हिन्द 

Sunday, October 29, 2017

लोकमहापर्व छठ का समापन

लोकमहापर्व छठ का समापन हो गया। दिल्ली में हजारों जगह पर श्रद्धालुओं ने इस महापर्व में हिस्सा लिया। सबसे अधिक लोगों ने यमुना किनारे छठ पर्व का आयोजन किया। पर्व के दौरान यमुना नदी के किनारे गंदगी रह गई। इसे दूर करने का जिम्मा दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्वांचल मोर्चा ने अपने कंधों पर लिया है।

पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह ने अपने साथियों के साथ यमुना घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया। मैंने अपने साथियों और कई कार्यकर्ताओं के साथ घाटों पर फैले पूजा के विसर्जन वाले वस्तुओं को यमुना से बाहर निकाला। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, हमारे प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी जी और पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह जी जिस काम में दिन-रात लगे हुए हैं, हम भी अपने साथियों के साथ उसी कार्य को आगे बढा रहे हैं। हमने इस बार छठ घाटों पर स्वच्छता अभियान चलाया है। मुझे उम्मीद है कि अगली बार श्रद्धालु स्वयं ही इन घाटों से जाने से पूर्व साफ-सफाई करेंगे। हमें साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मुझे खुशी होता है कि हमारे  पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह भी हमलोगों के साथ आकर श्रमदान करते रहे हैं।

अरबिंद झा
भाजपा पूर्वांचल मोर्चा, दिल्ली प्रदेश

Friday, December 30, 2016

मोदी का इस्तीफा

समसामयिक घटनाएँ यदि आपको उद्वेलित न करें तो समझिये आप जीवित मृत हैं. 

पढाई की समय सीमा समाप्त होने को हो और परीक्षा की घडी सर पर हो तो एक कर्मठ और अपने भविष्य को लेकर चिंतित छात्र जाने क्या क्या करने लगता है... उसकी कोशिश होती है की सफल होने के सारे संभव तरीके अपना ले.. कोई कसर छुट न जाए उससे जो उसे सफल बनाने की दिशा में हो.


कमोबेश आज प्रधानीमंत्री मोदी जी का यही हाल है. वो दिए गए समय सीमा के समाप्त होने से पहले हर संभव प्रयास कर लेना चाहते हैं. यदि कोई सफल होने को लेकर प्रयासरत हो, अपने फैसलों के परिणाम को लेकर चिंतित हो तो नि:संदेह वो गद्दार, बेईमान, चोर, धोखेबाज, स्वार्थी या अकर्मण्य तो नहीं हीं हो सकता है न.

हम अपने निजी जीवन में आगे बढ़ने को, प्रगति करने को कई सारे क़दम उठाते हैं... फैसले लेते हैं. किन्तु जरुरी नहीं हर फैसला या निर्णय शत-प्रतिशत सटीक परिणाम देता हो. कई बार हम असफल होते हैं या कम सफल भी होते हैं. हम फिर से प्रयास करते हैं... गिरते हैं... उठते हैं... किन्तु प्रगति पथ पर आगे तो बढ़ते ही हैं. कम से कम हम उन लोगों से तो ज्यादा ही सफल होते हैं जो कुछ नहीं करते.. सिवाय अपने ओहदे में निहित आनंद की प्राप्ति के.

आज कई सवाल किये जा रहे हैं प्रधानमंत्री से. कोई कह रहा है वो असफल हुए. किसी भाई को उनका इस्तीफा चाहिए तो कोई कह रहा है वो सिर्फ दिखावे की राजनीती कर रहे हैं... उनका दल देश में अव्यवस्था और अराजकता कायम कर रहा है.

एक जिम्मेवार नागरिक को आवश्यकता है इन सारे सवालों का जवाब पूर्वाग्रह छोड़कर ढूंढने की. सोचने की - कि क्या आगे बढ़ने को, प्रगति करने को प्रयास करना गलत है ?

क्या एक प्रधानमंत्री को बस प्रधानमंत्री पद का स्वाद लेते रहना चाहिए... क्या उसे वही सब करना चाहिए जो देश की आजादी के बाद ६०- ६५ वर्षों में किया गया ? स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी देश की 30% जनता को मुलभुत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाया मगर २ या ३ साल में हमें सभी बिमारियों का ईलाज चाहिए...

दरअसल इसका भी एक सकारात्मक पक्ष है की हमें इस प्रधानसेवक से उम्मीदें बहुत ज्यादा थीं जो और भी चरम पर तब पहुँच जाती थी जब मोदी बड़ी बड़ी बातें करते थे.


अब भले प्रधानमंत्री इन उम्मीदों पर वो खड़े ना उतरें हों... (नहीं हीं उतरे हैं), मगर वो प्रयास तो कर रहे.. वो हिम्मत तो दिखा रहे.. दुनियां की नजर तो ईधर कर पाए.. दशकों बाद विकासशील से विकसित देश बनने की उम्मीद तो जगा पाए. क्या ये सब उपलब्धि नहीं ?


कितने लोग पहले सफाई और स्वक्षता के लिए इतने जागरूक थे देश में ? कितनी समझ थी लोगों को देश द्रोह की... कितना बहिष्कार हुआ था चीनी समानों का पहले ? इससे पहले कितने प्रधानमंत्रियों को हम इतना घेरते थे... कितने प्रधानमंत्रियों के पीछे कांग्रेस की अकूत संपत्ति के साथ साथ कुछ घटियातम अवसरवादी नेता हाथ धो कर पड़े थे ?दिखावे की राजनीती की शुरुआत इस देश में क्यों और कब शुरू हुयी ? क्या बड़ी बड़ी बातें कारने वाले नेताओं को हम पसंद नहीं करते हैं ? इंदिरा के २० सूत्री कार्यक्रम से बड़ा गप्प क्या कोई हुआ देश में ? ३० -३५ वर्षों से देश में गरीबी मिटाई जा रही है कांग्रेस की सरकारों द्वारा... मिट गई ? क्या कर लिया किसी ने तब ? कितने कन्हैया... कितने केजरीवाल, रविश और कितने दिलीप मंडल यूँ बुझा तीर लिए फिरे थे तब. कितने ऐसे राजनेता थे तब जो खुद का काम छोड़कर मोदी विरोध का एकसूत्री कार्यक्रम चलाये बैठे थे ?

रही बात अव्यवस्था की... अराजकता और असहिष्णुता की. तो क्या मोदी या भाजपा ने कश्मीर और पंजाब में आग लगाई... क्या मोदी ने आसाम और बंगाल में अलगाववादी पाले थे.. मोदी ने सिखों की हत्याएं करवाई थी या फिर आँखफोड़वा कांड करवाया था ? क्या तब अव्यवस्था और अराजकता नहीं फैली थी देश में ? संभवतः हमें तब इन सब शब्दों का मतलब नहीं पता था.. असहिष्णुता का अर्थ नहीं पता था हमें तब.

आज यदि गौ-हत्या पर चर्चा हो रही है, यदि कोई मुस्लिम सिविल कोड की चर्चा कर रहा है, स्त्री को परदे में रहकर बच्चे पैदा करने की मशीन बनाये रखने का विरोध कर रहा है, JNU में पाकिस्तान जिंदाबाद का विरोध किया जा रहा, देश के बाहर भारत की बात हो रही है... लोग भविष्य को लेकर आशावादी हो रहे हैं और हम बेहतर भविष्य की बात कर रहे हैं तो क्या गलत हो रहा है ?

ये सही है की इन सब मुहीम में कुछ लोग अतिवादी हो रहे हैं... वो मोदी के रस्ते चलने की कोशिश में सीमाएं तोड़ दे रहे. किन्तु क्या हर इस बात का जिम्मेवार मुखिया ही होता है ?

सो मित्रों.. ! कृपया न्यूनतम समझ बुझ दिखाएँ... मुलभुत समझ रखें... सिर्फ विरोध का जहर फ़ैलाने के बजाय यह भी सोचें की आपके पास देने को कितना उचित समय है... सोचें की आपके पास विकल्प क्या है ?

एक अर्धविकसित दिमाग के राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं आप ? या फिर सुबह के कहे शाम को मुकर जाने वाले, स्वार्थ के लिए तुष्टिकरण का अवरेस्ट खड़ा करने वाले केजरीवाल जी होंगे आपके नए प्रधानमंत्री ? या फिर चंद वोट के लिए बांग्लादेशियों द्वारा देश की जनता को मरवाने वाली ममता चाहिए हमें ? क्या आप ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं ?

प्रवीण कुमार झा (बकैती)

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप बीते 20 साल से सत्ता का बनवा...