प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर
पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप
बीते 20 साल से सत्ता का बनवास झेल रही दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में एक बार फिर बवाल शुरू हो गया है। पार्टी के कुछ महत्वाकांक्षी नेता शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी छवि बनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की छवि को ही दांव पर नहीं लगा रहे बल्कि पार्टी और आला नेतृत्व की साख को भी खत्म करने में जुटे हैं। ताजा मामला बीते रविवार 23 दिसंबर को राजधानी के इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुए बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन से जुड़ा है। इस सम्मेलन को खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संबांधित किया था और इसमें पार्टी के वरिष्छ नेता शामिल हुए थे। आने वाले समय में दिल्ली प्रदेश भाजपा महामंत्री कुलजीत चहल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। चहल पर आरोप है कि उन्होंने हाल ही में हुए बूथ अध्यक्ष सम्मेलन पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया और इस सम्मेलन के लिए पिछले डेढ़ साल से मेहनत में जुटे पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को कोई अहमियत नहीं दी।
बूथ प्रबंधन अध्यक्ष को मंच पर नहीं चढ़ने दिया
धर्मवीर सिंह
जिस भाजपा नेता के नेतृत्व और कुल 11 सदस्यों की टीम ने पिछले डेढ़ साल की मेहनत के बाद भाजपा के बूथ सम्मेलन को इस स्तर तक पहुंचाया, पूरे कार्यक्रम के दौरान उनका नाम ही नहीं लिया गया। 23 दिसंबर को हुए दिल्ली भाजपा के बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन में मंच पर बूथ प्रबंधन समिति के अध्यक्ष को ही जगह नहीं मिली। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने इस बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन के संयोजन की जिम्मेदारी प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल को सोंपी थी। खास बात है कि इस पूरे कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी खुद कुलजीत चहल ने ही संभाली। लेकिन उन्होंने इस समिति के अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नता धर्मवीर सिंह सहित 11 सदस्यों को मंच पर चढ़ने ही नहीं दिया। उन्होंने अपने संचालन के दौरान एक बार भी समिति अध्यक्ष धर्मवीर सिंह या उनकी टीम के 11 सदस्यों में से एक भी सदस्य का नाम नहीं लिया।
डेढ़ साल पहले मिली थी जिम्मेदारी
वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मवीर सिंह को करीब डेढ़ साल पहले 15 जुलाई 2017 को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बूथ प्रबंधन की जिम्मेदारी दी थी। तभी से धर्मवीर सिंह पूरी दिल्ली के करीब 14 हजार बूथों के अध्यक्षों, उनके सहयोगियों और पार्टी के कुछ और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को जोड़ने में लगे थे। इस दौरान सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ अध्यक्षों, उनके सहयोगियों और पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की बैठकें ली गई। सभी पदाधिकारियों की पूरी सूची तैयार की गई और उनके साथ सीधे संपर्क किया गया। इसके बाद भाजपा के गठन के बाद इस तरह की बूथ अध्यक्षों के पहले सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
बूथ सम्मेलन की तैयारियों में नहीं रही कुलजीत की कोई भूमिका
23 दिसंबर को आयोजित हुए बूथ सम्मेलन से पहले प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं रही। विधानसभा, जिला और लोकसभा स्तर पर हुई बूथ अध्यक्षों की बैठकों में भी कुलजीत चहल की कभी कोई भूमिका नहीं रही और ना ही कभी उनका कोई सहयोग रहा। खास बात है कि सम्मेलन से पहले सभी नेताओं को मंडल स्तर पर बूथ अध्यक्षां की तैयारियों से संबंधित बैठकें करने की जिम्मेदारी दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि कुलजीत चहल ने ना ही इस तरह की केई बैठक ली और ना ही बूथ समिति अध्यक्ष को कभी कोई रिपोर्ट दी।
अपनी छवि बनाने को वरिष्ठ नेताओं की छवि की बलि
23 दिसंबर को इंदिरा गांधी स्टेडियम में वह हुआ जो शायद भाजपा के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ होगा। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के सामने कुलजीत चहल ने अपनी छवि बनाने के लिए एक बार भी इस कार्यक्रम की सफलता के लिए जिम्मेदार धर्मवीर िंसंह और उनकी टीम के बाकी 10 सदस्यों में से एक भी नेता का नाम नहीं लिया। जबकि सातों लोकसभा के बूथ प्रभारियों के साथ बाकी संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, उनके कार्यालय सहयोगी राजकुमार और पूर्वी दिल्ली के पूर्व महापौर हर्ष मलहोत्रा और खुद इस समिति के अध्यक्ष धर्मवीर सिंह ने पूरे डेढ़ साल तक मेहनत की है। हालांकि संघ की ओर से नामित संगठन मंत्री तथाकथित संगठन महामंत्री सिद्धार्थन को मंच पर रखना संचालक और संयोजक की मजबूरी थी इसलिए उन्हें मंच पर रखा गया। लेकिन इस सफलता के लिए वास्तविक जिम्मेदार पार्टी नेताओं की छवि की बलि चढ़ा दी गई।
पंच परमेश्वर कार्यक्रम में भी नहीं टूटी परंपरा
यह परंपरा तो पिछले कुछ महीने पूर्व रामलीला मैदान में हुई पंच परमेश्वर कार्यक्रम में भी नहीं टूटी थी। पंच परमेश्वर समिति के अध्यक्ष तिलकराज कटारिया हैं जो उत्तरी दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं और फिलहाल नेता सदन हैं। उन्हें पूरे मान-सम्मान के साथ मंच पर स्थान दिया गया था। खास बात है कि भाजपा में काम करने वाले नेताओं को ज्यादातर महत्व दिया जाता रहा है। लेकिन पिछले दिनों हुए बूथ सम्मेलन में सारी परंपराओं को तोड़ दिया गया।
मनोज तिवारी ने बचाई इज्जत
23 दिसंबर को इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुए बूथ सम्मेलन में कार्यक्रम के संयोजक बनाए गए प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल ने तो इस कार्यक्रम को अपने नाम करने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को इस कार्यक्रम और इसकी पिछले लंबे समय से चल रही तैयारियों की पूरी जानकारी थी। अतः उन्होंने अपने भाषण में बूथ समिति अध्यक्ष धर्मवीर सिंह और उनके सहयोगियों का नाम लेकर कुछ हद तक स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की।
पहले भी ऐसा करते रहे कुलजीत चहल
दिल्ली प्रदेश महामंत्री कुलजीत चहल पहले भी ऐसा करते रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उन्हें एक बार पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा चुका है। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता के कार्यकाल के दौरान उन्होंने वर्तमान केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली के खिलाफ प्रदर्शन कराया था। इसकी सजा उन्हें पार्टी से निष्कासन के तौर पर मिली थी। लेकिन वह अपने जुगाड़ और चाटुकारिता के चलते फिर से पार्टी में अच्छी स्थिति बनाने में कामयाब रहे। लेकिन अब उन्होंने एक बार फिर इस तरह की गतिविधियां शुरू कर दी हैं।
प्रदेश संगठन महामंत्री को घेरा
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली प्रदेश संगठन मंत्री/महामंत्री सिद्धार्थन भी कुलजीत चहल की अव्यवहारिक गतिविधियों का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। चहल ने पार्टी नेताओं के सामने सिद्धार्थन की कुछ ऐसी कमजोरियों को उजागर करने की बात कही है, जिससे पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। बताया जा रहा है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और प्रदेश संगठन मंत्री के बीच दूरियों के लिए भी यही गु्रप जिम्मेदार है।