नई दिल्ली. 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपी पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा को सीबीआई ने आज आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। राजा के पूर्व सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। इनमें पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरिया और निजी सचिव आर के चंदोलिया को भी गिरफ्तार किया गया है। राजा के भाई के. पेरूमल पर भी सीबीआई ने शिकंजा कसा है।
इससे पहले राजा सीबीआई के सवालों का जवाब देने के लिए बुधवार सुबह सीबीआई मुख्यालय पहुंचे। इस हफ्ते राजा से यह दूसरी बार पूछताछ की गई। इससे पहले उनसे 24 और 25 दिसम्बर को भी पूछताछ की गई थी। दूरसंचार मंत्रालय में हुई इस गड़बड़ी का खुलासा करीब तीन महीने पहले हुआ था।
डीएमके नेता राजा के कार्यकाल के दौरान 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन से देश को राजस्व का भारी नुकसान होने का आरोप है। काफी हो हल्ले के बाद नवम्बर में राजा ने कैबिनेट से इस्तीफा भी दिया था। हालांकि वह आवंटन प्रक्रिया में किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार करते रहे हैं।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में हुई गड़बडि़यों की जांच के लिए गठित पाटिल कमेटी ने सीधे तौर पर टेलिकॉम विभाग (डॉट) के सात अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। इस मामले में पूर्व मंत्री ए. राजा की भूमिका पर यह कहते हुए सवालिया निशान लगाया गया कि राजा ने स्पेक्ट्रम आवंटन में पुरानी नीति पर ज्यादा विचार-विमर्श नहीं किया और उसे जल्दबाजी में लागू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शिवराज पाटिल ने पिछले दिनों यह रिपोर्ट दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को सौंपी।
सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले पर नजर रखे हुए है। मामले की छानबीन के बाद सीबीआई को 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के सामने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी है।
सीबीआई के हाथ लगे थे अहम सबूत
गत दिसम्बर में सीबीआई ने राजा के नई दिल्ली और चेन्नई स्थित आवासों पर छापेमारी की। इस दौरान जांच एजेंसी के हाथ अहम दस्तावेज लगे। हजारों करोड़ रुपये के घोटाला मामले में राजा के परिजनों के घर छापेमारी के दौरान पूर्व मंत्री के खिलाफ अहम सबूत हाथ लगे जिनके आधार पर उनके खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जा सकता है।
इस मामले में कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की राजा के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के मद्देनजर भी राजा से पूछताछ की गई। इस मामले में सीबीआई ने अक्टूबर, 2009 में एफआईआर दर्ज की थी और उसके बाद तलाशी के दौरान जो दस्तावेज बरामद किए गए थे, उन दस्तावेजों के साथ ही राजा का आमना सामना करवाया गया है।
'बहुत देर हो गई'
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने राजा की गिरफ्तारी को देरी से उठाया गया कदम करार दिया है। पार्टी ने कहा है कि राजा की गिरफ्तारी का श्रेय सरकार को नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट को दिया जाता है। भाजपा ने कहा कि राजा की गिरफ्तारी के बावजूद वह इस मामले की जांच जेपीसी से कराने की अपनी मांग पर कायम है।
कांग्रेस ने राजा की गिरफ्तारी पर कहा कि वह 2 जी घोटाले में चल रही जांच में किसी तरह का दखल नहीं करेगी। पार्टी ने यह भी साफ किया कि राजा की गिरफ्तारी से कांग्रेस और डीएमके के रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
घोटाले का ए टू जेड
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला करीब 1.77 लाख करोड़ रुपए का है। सीएजी ने यह आंकड़ा निकालने के लिए 3जी स्पेक्ट्रम आवंटन और मोबाइल कंपनी एस-टेल के सरकार को दिए प्रस्तावों को आधार बनाया है।
दूरसंचार की रेडियो किरणों को सरकार नियंत्रित करती है और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ से तालमेल बनाकर काम करती है। विश्व में आई मोबाइल क्रांति के बाद कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया। सरकार ने हर कंपनी को फ्रिक्वेंसी रेंज याने स्पेक्ट्रम का आवंटन कर लायसेंस देने की नीति बनाई।उन्नत तकनीकों के हिसाब से इन्हें पहली जनरेशन(पीढ़ी) याने 1जी, 2 जी और 3जी का नाम दिया गया। हर नई तकनीक में ज्यादा फ्रिक्वेंसी होती हैं और इसीलिए टेलीकॉम कंपनियां सरकार को भारी रकम देकर फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रम के लायसेंस लेती हैं।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा ने 2008 में नियमों के उल्लंघन करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन किया। इसके लिए उनके विभाग ने 2001 में आवंटन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को आधार बनाया, जो काफी पुरानी थी। उन्होंने इसके लिए बिना नीलामी के पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर आवंटन किए। इससे 9 कंपनियों को काफी लाभ हुआ। प्रत्येक को केवल 1651 करोड़ रुपयों में स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए जबकि हर लायसेंस की कीमत 7,442 करोड़ रुपयों से 47,912 करोड़ रुपए तक हो सकती थी।
हालांकि दूरसंचार विभाग ने पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटन किए, लेकिन इसमें भी अनियमितताएं कर, कुछ कंपनियों को सीधा लाभ पहुंचाया। कुल 122 लायसेंस में से 85 अयोग्य और अपात्र कंपनियों को दिए गए। लायसेंस आवंटन में कानून मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के सुझावों को भी दरकिनार कर दिया गया।सीएजी ने 1.77 लाख करोड़ का आंकड़ा निकालने के लिए दो तथ्यों को आधार बनाया। उन्होंने इस साल 3जी आवंटन में मिली कुल रकम और 2007 में एस-टेल कंपनी द्वारा लायसेंस के लिए सरकार को दिए प्रस्ताव के आधार पर यह नतीजा निकाला।
सीएजी के अनुसार 122 लायसेंस के आवंटन में सरकार को जितनी रकम मिली, उससे 1.77 लाख करोड़ रुपए और मिल सकते थे। इसीलिए यह घोटाला 1.77 लाख करोड़ रुपयों का माना गया।
इससे पहले राजा सीबीआई के सवालों का जवाब देने के लिए बुधवार सुबह सीबीआई मुख्यालय पहुंचे। इस हफ्ते राजा से यह दूसरी बार पूछताछ की गई। इससे पहले उनसे 24 और 25 दिसम्बर को भी पूछताछ की गई थी। दूरसंचार मंत्रालय में हुई इस गड़बड़ी का खुलासा करीब तीन महीने पहले हुआ था।
डीएमके नेता राजा के कार्यकाल के दौरान 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन से देश को राजस्व का भारी नुकसान होने का आरोप है। काफी हो हल्ले के बाद नवम्बर में राजा ने कैबिनेट से इस्तीफा भी दिया था। हालांकि वह आवंटन प्रक्रिया में किसी भी तरह की अनियमितता से इनकार करते रहे हैं।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में हुई गड़बडि़यों की जांच के लिए गठित पाटिल कमेटी ने सीधे तौर पर टेलिकॉम विभाग (डॉट) के सात अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। इस मामले में पूर्व मंत्री ए. राजा की भूमिका पर यह कहते हुए सवालिया निशान लगाया गया कि राजा ने स्पेक्ट्रम आवंटन में पुरानी नीति पर ज्यादा विचार-विमर्श नहीं किया और उसे जल्दबाजी में लागू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शिवराज पाटिल ने पिछले दिनों यह रिपोर्ट दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल को सौंपी।
सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले पर नजर रखे हुए है। मामले की छानबीन के बाद सीबीआई को 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के सामने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी है।
सीबीआई के हाथ लगे थे अहम सबूत
गत दिसम्बर में सीबीआई ने राजा के नई दिल्ली और चेन्नई स्थित आवासों पर छापेमारी की। इस दौरान जांच एजेंसी के हाथ अहम दस्तावेज लगे। हजारों करोड़ रुपये के घोटाला मामले में राजा के परिजनों के घर छापेमारी के दौरान पूर्व मंत्री के खिलाफ अहम सबूत हाथ लगे जिनके आधार पर उनके खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जा सकता है।
इस मामले में कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की राजा के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के मद्देनजर भी राजा से पूछताछ की गई। इस मामले में सीबीआई ने अक्टूबर, 2009 में एफआईआर दर्ज की थी और उसके बाद तलाशी के दौरान जो दस्तावेज बरामद किए गए थे, उन दस्तावेजों के साथ ही राजा का आमना सामना करवाया गया है।
'बहुत देर हो गई'
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने राजा की गिरफ्तारी को देरी से उठाया गया कदम करार दिया है। पार्टी ने कहा है कि राजा की गिरफ्तारी का श्रेय सरकार को नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट को दिया जाता है। भाजपा ने कहा कि राजा की गिरफ्तारी के बावजूद वह इस मामले की जांच जेपीसी से कराने की अपनी मांग पर कायम है।
कांग्रेस ने राजा की गिरफ्तारी पर कहा कि वह 2 जी घोटाले में चल रही जांच में किसी तरह का दखल नहीं करेगी। पार्टी ने यह भी साफ किया कि राजा की गिरफ्तारी से कांग्रेस और डीएमके के रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
घोटाले का ए टू जेड
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला करीब 1.77 लाख करोड़ रुपए का है। सीएजी ने यह आंकड़ा निकालने के लिए 3जी स्पेक्ट्रम आवंटन और मोबाइल कंपनी एस-टेल के सरकार को दिए प्रस्तावों को आधार बनाया है।
दूरसंचार की रेडियो किरणों को सरकार नियंत्रित करती है और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ से तालमेल बनाकर काम करती है। विश्व में आई मोबाइल क्रांति के बाद कई कंपनियों ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया। सरकार ने हर कंपनी को फ्रिक्वेंसी रेंज याने स्पेक्ट्रम का आवंटन कर लायसेंस देने की नीति बनाई।उन्नत तकनीकों के हिसाब से इन्हें पहली जनरेशन(पीढ़ी) याने 1जी, 2 जी और 3जी का नाम दिया गया। हर नई तकनीक में ज्यादा फ्रिक्वेंसी होती हैं और इसीलिए टेलीकॉम कंपनियां सरकार को भारी रकम देकर फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रम के लायसेंस लेती हैं।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा ने 2008 में नियमों के उल्लंघन करते हुए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन किया। इसके लिए उनके विभाग ने 2001 में आवंटन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को आधार बनाया, जो काफी पुरानी थी। उन्होंने इसके लिए बिना नीलामी के पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर आवंटन किए। इससे 9 कंपनियों को काफी लाभ हुआ। प्रत्येक को केवल 1651 करोड़ रुपयों में स्पेक्ट्रम आवंटित किए गए जबकि हर लायसेंस की कीमत 7,442 करोड़ रुपयों से 47,912 करोड़ रुपए तक हो सकती थी।
हालांकि दूरसंचार विभाग ने पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटन किए, लेकिन इसमें भी अनियमितताएं कर, कुछ कंपनियों को सीधा लाभ पहुंचाया। कुल 122 लायसेंस में से 85 अयोग्य और अपात्र कंपनियों को दिए गए। लायसेंस आवंटन में कानून मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के सुझावों को भी दरकिनार कर दिया गया।सीएजी ने 1.77 लाख करोड़ का आंकड़ा निकालने के लिए दो तथ्यों को आधार बनाया। उन्होंने इस साल 3जी आवंटन में मिली कुल रकम और 2007 में एस-टेल कंपनी द्वारा लायसेंस के लिए सरकार को दिए प्रस्ताव के आधार पर यह नतीजा निकाला।
सीएजी के अनुसार 122 लायसेंस के आवंटन में सरकार को जितनी रकम मिली, उससे 1.77 लाख करोड़ रुपए और मिल सकते थे। इसीलिए यह घोटाला 1.77 लाख करोड़ रुपयों का माना गया।
No comments:
Post a Comment