देश में गैर सरकारी संगठनों की सक्रियता और उनके
मिलनेवाली विदेशी सहायता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच सालों
में गैर सरकारी संगठनों को लगभग पचास हजार करोड़ का विदेशी अनुदान मिला है. इसमें
अमेरिका भारतीय गैर सरकारी संगठनों के लिए सबसे बड़ा दानदाता है. पिछले पांच सालों
में अकेले अमेरिका ने भारतीय गैर सरकारी संगठनों को 10,337 करोड़ रुपये का अनुदान
दिया है.
गृह मंत्रालय द्वारा संसद को जो जानकारी दी गई है उसमें बताया है कि अमेरिका के
बाद जर्मनी दूसरा बड़ा दानदाता देश है. हालांकि अब तक अमेरिका के बाद भारतीय गैर
सरकारी संगठनों के ब्रिटेन दूसरा बड़ा दानदाता देश रहा है. लेकिन अब ब्रिटेन की जगह
जर्मनी ने ले ली है. जर्मनी के बाद ब्रिटेन, इटली और नीदरलैण्ड का नंबर आता है.
यहीं पांच देश ऐसे हैं जो भारत में गैर सरकारी संगठनों को मिलनेवाले विदेशी चंदे का
आधा से अधिक देते हैं.भारत में 21.058 संस्थाओं ने पिछले पांच सालों में 49,968 करोड़ रूपये का विदेशी चंदा हासिल किया है जिसमें सबसे ज्यादा पैसा ग्रामीण विकास के लिए आया है. इसके बाद बच्चों के कल्याण के लिए तथा स्कूल इत्यादि के लिए दूसरे तथा तीसरे नंबर पर सर्वाधिक चंदा मिला है.
ऐसा नहीं है कि केवल अमीर देश ही भारत को चंदा दे रहे हैं. भारत के पड़ोसी देश जिनके सामने भारत भीमकाय देश बनता है वहां से भी भारतीय एनजीओ दान मांग लाते हैं. गृह मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार 2009-10 में नेपाल ने 12 करोड़, चीन ने 2.8 करोड़, अफगानिस्तान ने 1.9 करोड़, पाकिस्तान ने 1.2 करोड़ तथा बांग्लादेश ने 86 लाख का विदेशी चंदा दिया है.
अपनी रिपोर्ट में गृह मंत्रालय मानता है कि जो पैसा जिस काम के लिए आ रहा है उसी काम में खर्च हो रहा है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि विदेशी पैसे से कोई ऐसा काम हो रहा है जो आपत्तिजनक हो.
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