ठ्ठजागरण ब्यूरो, नई दिल्ली बिहार चुनाव के वक्त केंद्रीय मदद को लेकर राजग और कांग्रेस के बीच चलते रहे घमासान में जीत कर आए नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के सामने सोलह मांगे रख दी हैं। बिहार के प्रति केंद्रीय रुख को याद दिलाते हुए उन्होंने राज्य के लिए विशेष दर्जा, कोल लिंकेज, नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में तेजी लाने जैसी मांगों पर निर्णय लेने का आग्रह किया। जबकि बिहार के योजना आकार में कटौती की चर्चा को पहले ही खत्म करने की कवायद में उन्होंने योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से भी मुलाकात की। उन्होंने मंशा जता दी है कि वह योजना में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी चाहते हैं। नीतीश ने केंद्र को स्पष्ट कर दिया है कि वह पहली मुलाकात को सिर्फ औपचारिकता तक खत्म नहीं होने देंगे। चुनावी जीत के बाद पहली बार बुधवार को प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचे नीतीश ने उनके सामने 16 मुद्दे रख दिए। पहली चिंता राज्यों को मिलने वाली बजटीय सहायता को लेकर है। पहले प्रधानमंत्री और बाद में मोंटेक से मिलकर उन्होंने कहा कि बजटीय सहायता घटाने के प्रस्ताव से राज्यों के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। इसके अलावा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग दोहराई। सूखा भी नीतीश के लिए चिंता का सबब है। लिहाजा पूरी स्थिति बताते हुए उन्होंने कहा कि राज्य की ओर से कृषि मंत्रालय को 6553 करोड़ रुपये का मेमोरेंडम भेजा गया था, लेकिन मिले महज 1459 करोड़। उन्होंने पूरी राशि जल्द जारी करने की मांग की। नीतीश की सूची में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के लिए फंड, नई परियोजनाएं, एनएचडीपी-3 को जल्द पूरा करने जैसी मांगों के साथ साथ औद्योगिक विकास के लिए कोल लिंकेज देने व एथनाल बनाने की स्वीकृति दिए जाने पर विशेष जोर था। नीतीश ने दावा किया कि केंद्र बिहार की इन दो मांगों को मंजूरी दे तो निवेश की गति तेज हो जाएगी। दूसरी तरफ योजना आकार तय होने से पहले ही मोंटेक से मुलाकात कर नीतीश ने राज्य की जरूरतें बता दीं। विशेष दर्जा के साथ साथ उन्होंने बीआरजीएफ फंड, कृषि योजना, गरीबी संख्या तय करने वाली तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट के आधार पर खाद्यान्न का आवंटन जैसी मांगे भी रखी। नई पारी में बिजली भी नीतीश की प्राथमिकता में है। लिहाजा बाढ़ में तैयार होने वाले एनटीपीसी से उन्होंने 40 फीसदी बिजली देने का आग्रह किया। अंत में यह भी याद दिला दिया कि 2011-12 के लिए तय बीस हजार के योजना आकार में वह 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी चाहते हैं।
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