जीवविज्ञानी जेरेमी वेड भारत सहित अफ्रीका, अमेरिका, थाईलैंड जाकर वहां की नदियों की अतल गहराइयों की पड़ताल करते है।?वहां उनकी मुलाकात होती है ऐसी मछलियों से, जो न केवल विशालकाय हैं, बल्कि इतनी खतरनाक है कि पूरे इंसान को निगल भी सकती हैं। जानिए इन आदमखोर मछलियों के बारे में..
डीमन फिश : जैसा कि इसका नाम है, यह दैत्याकार मछली है। यह दुनिया की सबसे खतरनाक मछलियों में से एक है। यह बड़े से बड़े जीवों को भी निगल जाती है। डीमन फिश अफ्रीका की कांगो नदी में पाई जाती है।
डेथ रे : थाइलैंड की मीकांग नदी में जेरेमी ने दुनिया की सबसे बड़ी मछलियों मे से एक डेथ रे को खोज निकाला। इसका वजन लगभग 7 सौ पाउंड है। इसके शरीर पर एक जहरीली और कांटेदार पूंछ होती है, जिसके प्रहार से इंसान की जान भी जा सकती है।
किलर स्नेकहेड : मछली से ज्यादा गैंगस्टर लगने वाली यह मछली हवा में सांस लेती है और जमीन पर भी रेंग लेती है। अपनी ही प्रजाति के जीवों को यह शौक से खाती है। यह एशिया में मुख्य रूप से चीन और दक्षिण कोरिया में पाई जाती है।
कांगो किलर : अफ्रीका की कांगो नदी में पाई जाने वाली कांगो किलर के खतरनाक होने का अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि अफ्रीका में इसके बारे में एक लोककथा है, जिसमें कहा गया है कि यह मछली एक आत्मा के रूप में मछुआरों को ललचा कर उन्हें मौत की तरफ ले जाती है।
अलास्कन हॉरर : अलास्का की बर्फीली झील में मिलती है महाकाय अलास्कन हॉरर। इसके बारे में प्रचलित लोककथाओं में इसे आदमखोर माना जाता है।
रिफ्ट वैली किलर : अफ्रीका की रिफ्ट वैली में एक विशालकाय जीव रहता है -एम्पुटा या नाइल पर्च। यह अफ्रीका के ताजे पानी की सबसे बड़ी मछली है।
पिरान्हा : वर्ष 1976 में यात्रियों से भरी बस अफ्रीका के अमेजॉन नदी में गिर गई और कई लोगों की जान चली गई। जब शवों को बाहर निकाला गया, तो उनमें से कुछ को पिरान्हा मछलियों ने इतनी बुरी तरह खा लिया था कि उनकी पहचान उनके कपड़ों से हुई।
किलर कैटफिश : यह हिमालय की तलहटी में मिलने वाली एक विशाल और नरभक्षी कैटफिश प्रजाति है।
एलिगेटर गार : यह सादे पानी की ऐसी मछली है, जो इंसानों पर आक्रामक हमले करती है। यह शार्क की तरह खतरनाक और मगरमच्छ की तरह विशाल है।
यूरोपिययन मैनईटर : यह यूरोप के ताजे पानी वाली नदियों में अपनी थूथन उठाए घूमती रहती है। आक्रामक वैल्स कैटफिश इंसानों को भी अपना शिकार बना सकती है।
अमेजॉन असासिंस : अमेजन की गहराइयों में रहने वाली असासिंस शिकार को अपनी जीभ से कुचलती है, जो हड्डी से बनी होती है।
अमेजन फ्लैश ईटर्स : यह अफ्रीकन मछली इंसान को निगल सकती है। यह जब हमला करती है, तो शरीर पर छुरा घोंपने जैसा निशान बन जाता है।
[प्रस्तुति : स्मिता]
साहसिक, लेकिन मजेदार सफर
रिवर मॉन्सटर्स के लिए मैंने दक्षिण अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका, भारत आदि देश?गया। वहां नदियों की यात्रा की। मेरा सफर न केवल साहसिक, बल्कि मजेदार भी रहा। डीमन फिश, कांगो किलर, अमेजॉन फ्लैश ईटर्स जैसी मछलियों को पकड़ने में मुझे अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं की पूरी परीक्षा देनी पड़ी। मुझे बचपन से ही मछलियां पकड़ने का शौक था। मैं अपने गांव सफॉक में छोटी मछलियां, झींगे और कैटफिश पकड़ा करता था। बाद में ब्रिटिश कार्प स्टडी ग्रुप में शामिल हो गया। उस समय मेरी उम्र मात्र 16 साल थी। मैं दक्षिण-पूर्व एशिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, भारत और अमेजन की कई बार यात्रा कर चुका हूं। इन यात्राओं के दौरान कई दिक्कतें भी आईं, जैसे एक बार मुझे मलेरिया हो गया, तो एक बार जासूसी के शक में गिरफ्तार कर लिया गया था। मैं डूबने से भी बाल-बाल बचा हूं। एक विमान दुर्घटना में भी मेरी जान बच चुकी है। वर्ष 1982 में मैंने एक पत्रिका में महासीर के शिकार के बारे में पढ़ा। उससे प्रेरित होकर उनकी खोज में भारत चला आया। जिन साहसी टीनएजर्स को जल जीवों से लगाव है, वे इस क्षेत्र से जुड़ सकते हैं।
[जेरेमी वेड: रिवर मॉन्सटर होस्ट
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