लंदन. दुनिया के दो न्यूक्लियर सुपरपावर अमेरिका और चीन के बीच अंतरिक्ष में वर्चस्व को लेकर जंग जारी है। ये दोनों एक-दूसरे से ताकतवर दिखने की होड़ में खुद का भी नुकसान करने से पीछे नहीं हटते। एक बार तो इन दोनों देशों ने ही खुद के ही मिसाइल दागते हुए अपने सैटेलाइट नष्ट कर दिए। खोजी वेबसाइट विकीलीक्स ने यह खुलासा किया है।
विकीलीक्स के मुताबिक ये दोनों महाशक्तियां एक दूसरे को यह भी बताना चाहती थीं कि उनके पास अंतरिक्ष में किसी भी निशाने को ध्वस्त करने की तकनीक है। हालांकि अमेरिका ने नाराज होकर चीन को सैन्य कार्रवाई की धमकी दी, लेकिन चीन ने पिछले साल ही फिर मिसाइल का परीक्षण किया।
गोपनीय दस्तावेजों के मुताबिक चीन की इस कार्रवाई का अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने काफी विरोध किया। हालांकि चीन ने इस मामले में सफाई देते हुए इसके लिए उलटे अमेरिका को ही जिम्मेदार ठहराया। चीन ने कहा कि अमेरिका ‘घातक’ लेजर हथियार प्रणाली विकसित कर रहा है जो दुश्मन देश की ओर से दागी जाने वाली मिसाइलों को उसके देश में ही नष्ट कर देगी।
विकीलीक्स ने ये गोपनीय दस्तावेज ब्रिटिश अखबार ‘द टेलीग्राफ’ को मुहैया कराए हैं जिसे अखबार ने प्रकाशित करते हुए यह खुलासा किया है। इस दस्तावेज में दोनों महाशक्तियों के बीच सुपरपावर बनने की जंग का जिक्र है।
चार साल पहले शुरू हुई थी 'जंग'
दोनों महाशक्तियों के बीच ‘स्टार वार्स’ की शुरुआत जनवरी 2007 में हुई जब चीन ने धरती से 530 मील की ऊंचाई पर अपने ही एक ‘वेदर मिसाइल’ को मार गिराते हुए अमेरिका को चौंका दिया। इस हमले की वजह से इस मिसाइल के हजारों टुकड़े हो गए। सभी को इस बात का भय हो गया कि चीन अमेरिकी सैन्य और सिविलियन सैटेलाइटों को भी तहस-नहस कर अफरा-तफरी मचा देगा।
फरवरी 2008 में अमेरिका ने भी इसके ‘जवाब’ में खुद का ही एक सैटेलाइट ध्वस्त कर दिया और चीन को यह बताने की कोशिश की कि उसमें भी अंतरिक्ष तक मार करने की ताकत है। उस वक्त अमेरिका ने कहा कि यह हमला किसी तरह का सैन्य परीक्षण नहीं थी लेकिन फालतू जासूसी सैटेलाइटों को नष्ट करने के लिए यह जरूरी था।
विकीलीक्स के मुताबिक ये दोनों महाशक्तियां एक दूसरे को यह भी बताना चाहती थीं कि उनके पास अंतरिक्ष में किसी भी निशाने को ध्वस्त करने की तकनीक है। हालांकि अमेरिका ने नाराज होकर चीन को सैन्य कार्रवाई की धमकी दी, लेकिन चीन ने पिछले साल ही फिर मिसाइल का परीक्षण किया।
गोपनीय दस्तावेजों के मुताबिक चीन की इस कार्रवाई का अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने काफी विरोध किया। हालांकि चीन ने इस मामले में सफाई देते हुए इसके लिए उलटे अमेरिका को ही जिम्मेदार ठहराया। चीन ने कहा कि अमेरिका ‘घातक’ लेजर हथियार प्रणाली विकसित कर रहा है जो दुश्मन देश की ओर से दागी जाने वाली मिसाइलों को उसके देश में ही नष्ट कर देगी।
विकीलीक्स ने ये गोपनीय दस्तावेज ब्रिटिश अखबार ‘द टेलीग्राफ’ को मुहैया कराए हैं जिसे अखबार ने प्रकाशित करते हुए यह खुलासा किया है। इस दस्तावेज में दोनों महाशक्तियों के बीच सुपरपावर बनने की जंग का जिक्र है।
चार साल पहले शुरू हुई थी 'जंग'
दोनों महाशक्तियों के बीच ‘स्टार वार्स’ की शुरुआत जनवरी 2007 में हुई जब चीन ने धरती से 530 मील की ऊंचाई पर अपने ही एक ‘वेदर मिसाइल’ को मार गिराते हुए अमेरिका को चौंका दिया। इस हमले की वजह से इस मिसाइल के हजारों टुकड़े हो गए। सभी को इस बात का भय हो गया कि चीन अमेरिकी सैन्य और सिविलियन सैटेलाइटों को भी तहस-नहस कर अफरा-तफरी मचा देगा।
फरवरी 2008 में अमेरिका ने भी इसके ‘जवाब’ में खुद का ही एक सैटेलाइट ध्वस्त कर दिया और चीन को यह बताने की कोशिश की कि उसमें भी अंतरिक्ष तक मार करने की ताकत है। उस वक्त अमेरिका ने कहा कि यह हमला किसी तरह का सैन्य परीक्षण नहीं थी लेकिन फालतू जासूसी सैटेलाइटों को नष्ट करने के लिए यह जरूरी था।
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