नई दिल्ली. शुरू से विवादों में रही आईपीएल की कोच्चि टीम पर एक बार फिर संकट मंडरा रहा है। दरअसल जर्मनी के लिंचेस्टाइन बैंक में जिन भारतीयों का काला धन जमा है, उनमें इस टीम के हिस्सेदार भी शामिल हैं। इस बीच उद्योगपति और राज्यसभा सदस्य राहुल बजाज ने काले धन पर चल रही बहस को नया मोड़ दे दिया है। उन्होंने कहा है कि काली कमाई का हिस्सा राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर इस्तेमाल होता है।
बजाज ऑटो के चेयरमैन ने कहा, ‘मैं पिछले चार साल से संसद सदस्य हूं। आखिर राजनीतिक दलों को चंदा कहां से मिलता है। न तो यह चेक न ही छोटे सदस्यों के जरिये यह पैसा आता है, यह पैसा काला धन के जरिये आता है। काला धन आसमान से नहीं आता।’
बजाज ऑटो के चेयरमैन ने कहा, ‘मैं पिछले चार साल से संसद सदस्य हूं। आखिर राजनीतिक दलों को चंदा कहां से मिलता है। न तो यह चेक न ही छोटे सदस्यों के जरिये यह पैसा आता है, यह पैसा काला धन के जरिये आता है। काला धन आसमान से नहीं आता।’
इस बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि सरकार ने स्विस बैंक मे काला धन के संबंध में १७ लोगों को नोटिस भेजा है पर उन सभी लोगों के नाम बताना संभव नहीं है। उन्होनें शनिवार को कहा, 'हमें स्विस बैंक में काले धन से जुड़े मामले में कुछ लोगों के नाम पता चले हैं और उनमें से कुछ को नोटिस भेज दिया गया है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार उन लोगों के नाम नहीं बता सकती है जिन्होने अपना पैसा स्विस बैंक में जमा कराया था क्योंकि यह जानकारी सिर्फ कर-संबंधी मामलों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। सरकार ये नाम तभी सार्वजनिक कर सकती है जब इस मामले की कोर्ट में सुनवाई हो।
भारत सरकार को लिचटेंस्टाइन बैंक में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम सौंपे गए थे, उनका खुलासा होने यह बात सामने आई है। इन लोगों की सूची भारत सरकार को 18 मार्च 2008 को सौंपी गई थी, जिसमें 12 ट्रस्ट और 19 व्यक्तियों के नाम हैं।
इन व्यक्तियों में मनोज धुपेलिया, रूपल धुपेलिया, अंबरीश धुपेलिया, भव्या धुपेलिया, मनोज धुपेलिया, रूपल धुपेलिया, अंबरीश धुपेलिया, भव्या धुपेलिया, हंसमुख गांधी, ईश्वरलाल गांधी, मधु गांधी, चिंतन गांधी, मिराव गांधी, प्रबोध मेहता, कीर्ति लाल मेहता और रश्मिलाल मेहता शामिल हैं।
इनके अलावा दिलीप मेहता (सीईओ रोजी ब्लू), अरुण मेहता, हर्षद मेहता तीनों भाई हैं और दुनिया की जानीमानी डायमंड कंपनी के मालिक हैं। इनमें से हर्षद मेहता की आईपीएल कोच्चि टीम में 12 फीसदी हिस्सेदारी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक प्रबोध मेहता के खिलाफ बेल्जियम में मनी लॉड्रिंग का मुकदमा भी चल रहा है। प्रबोध भी हीरा के बड़े कारोबारी हैं और वह जेंबल ग्रुप नाम की एक कंपनी के मालिक हैं।
'तहलका' पत्रिका द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार जो ट्रस्ट इसमें शामिल हैं वे हैं अब्रनोवा ट्रस्ट, मार्लिंन मैनेजमेंट साउथ अफ्रीका, मार्निची ट्रस्ट और सोकालो स्टिफटंग। इन चार खातों में 16 भारतीयों के काले धन की जानकारी मिली है। इन लोगों के कुल 52 करोड़ रुपये बैंक में जमा हैं।
हालांकि सरकार ने ये नाम एक लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में दिए थे, लेकिन इनका सार्वजनिक खुलासा नहीं किया था। सरकार ने अदालत में कहा कि इन नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता। यह पहला मौका है जब जर्मनी के बैंक ऑफ लिचटेंस्टीन में खाता खुलवाने वालों के नाम सामने आए हैं।
भारत सरकार को लिचटेंस्टाइन बैंक में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम सौंपे गए थे, उनका खुलासा होने यह बात सामने आई है। इन लोगों की सूची भारत सरकार को 18 मार्च 2008 को सौंपी गई थी, जिसमें 12 ट्रस्ट और 19 व्यक्तियों के नाम हैं।
इन व्यक्तियों में मनोज धुपेलिया, रूपल धुपेलिया, अंबरीश धुपेलिया, भव्या धुपेलिया, मनोज धुपेलिया, रूपल धुपेलिया, अंबरीश धुपेलिया, भव्या धुपेलिया, हंसमुख गांधी, ईश्वरलाल गांधी, मधु गांधी, चिंतन गांधी, मिराव गांधी, प्रबोध मेहता, कीर्ति लाल मेहता और रश्मिलाल मेहता शामिल हैं।
इनके अलावा दिलीप मेहता (सीईओ रोजी ब्लू), अरुण मेहता, हर्षद मेहता तीनों भाई हैं और दुनिया की जानीमानी डायमंड कंपनी के मालिक हैं। इनमें से हर्षद मेहता की आईपीएल कोच्चि टीम में 12 फीसदी हिस्सेदारी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक प्रबोध मेहता के खिलाफ बेल्जियम में मनी लॉड्रिंग का मुकदमा भी चल रहा है। प्रबोध भी हीरा के बड़े कारोबारी हैं और वह जेंबल ग्रुप नाम की एक कंपनी के मालिक हैं।
'तहलका' पत्रिका द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार जो ट्रस्ट इसमें शामिल हैं वे हैं अब्रनोवा ट्रस्ट, मार्लिंन मैनेजमेंट साउथ अफ्रीका, मार्निची ट्रस्ट और सोकालो स्टिफटंग। इन चार खातों में 16 भारतीयों के काले धन की जानकारी मिली है। इन लोगों के कुल 52 करोड़ रुपये बैंक में जमा हैं।
हालांकि सरकार ने ये नाम एक लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में दिए थे, लेकिन इनका सार्वजनिक खुलासा नहीं किया था। सरकार ने अदालत में कहा कि इन नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता। यह पहला मौका है जब जर्मनी के बैंक ऑफ लिचटेंस्टीन में खाता खुलवाने वालों के नाम सामने आए हैं।
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