Wednesday, April 25, 2012

महान "नायक" पन्डित दीनदयाल ूउपाध्याय जी

आज मै आपको एक एसे व्यक्ति से परिचय करवाता हु जो "देश की राजनीति के किचड मे उस गन्दगी कि सफाई करते हुए भी कभी गन्दगी मे लिप्त नही हुए मै यहा बात कर रहा हु..पन्डित दीनदयाल उपाध्याय जी कि जो सदैव एक "सादा जीवन-उच्च विचार" के परिचालक रहे........
११ फरबरी १९६८ को भारतीय जनसन्घ के अध्यक्ष प.दीनदयाल जी का शव "मुगल सराय" स्टेशन के यार्ड मे पडा पाया गया.इस घटना का रहस्य अभी तक एक रहस्य है.
सरल व्यवहार और कर्मठता की मुर्ति सहसा विगलित हो गयी. इसलिये श्री अटल जी न्र कहा" सुर्य ढल गया अब हमे तारो के प्रकाश मे मार्ग खोजना है" यकिनन "पन्डित" जी इतने नम्र और सरल थे कि उनकी महानता पहचान पाना कठिन था...

"पन्डीत" जी का जन्म २५ सित. १९१६ को ूउनके नाना के घर "धनकिया" ग्राम मे हुआ था. ूउनके "दादा जी" ाअपने समय के अतिप्रसिद्ध विद्दान माने जाते थे.

बाल्यकाल मे जब आपकी आयु मात्र ७ वर्ष थी तभी अक्समात आपके "माता-पिता" का देहान्त हो गया,आपका लालन-पालन आपके मामा जी श्री राधारमण जी शुक्ल के घर मे ही हुआ. विपत्तियो एवम प्रतिकुल परिस्थितियो से जुझने का क्रम यु उनके लिये बाल्यकाल से प्रारम्भ हो गया.
विधाता ने उन्हे जन्म से ही मुसीबतो मे ढकेलने के जाल रच रखे थे.किन्तु पन्डित जी ने तो अपनी तिक्ष्ण बुद्धि एवम कष्ट सहिष्णुता के बल पर सदैव प्रगति करने का हि सन्कल्प ले रखा था.....

वे अपने दैवीय गुणो का परिचय देते हुए हमेशा अपने त्याग एवम लगन
के बल पर सदैव ऊपर ूठते चले गये.यह क्रम उनके बाल्यकाल से प्रारम्भ हो कर उनकी अन्तिम सान्स तक अनवरत चलता ही रहा. विधाता ने उन्हे बाल्यकाल मे ही अनाथ बना दिया ीएवम विद्धार्थी जीवन मे उनके स्नेह के मात्र आक्ष्रय स्थान उनकी बहन को मौत की चिरनिन्द्रा मे सुलाकर उन्हे विक्षिप्त बना देने कि ठानी .......

और जब वो यश , गरिमा के क्षितिज पर अध्यक्ष रूप मे प्रतिष्ठित हुए तब उन पर कालपाश ने चिरनिन्द्रा डाल कर उन्हे लावारिस बना दिया. यहा भी विधाता अपनी क्रुरता दिखाने से बाज नही आये और उन्हे गुमनाम लाश बना दिया ताकि कोई उनका पता भी ना पा सके...
किन्तु हर बार कि तरह यहा भी उन्होने विधाता को मात दी और जो शव सुबह ९ बजे तक लावारिस था १० बजे घटना का पता लगते ही वही शव सम्पुर्ण देश के आसुओ एवम पुष्पानजलिओ से पूजा जाने लगा..विधाता ने उन्हे ेक मुट्ठि राख बनाना चाहा पर वे चिता भस्म से उठ कर जन-जन कि स्म्रतिओ मे सदैव-सदैव के लिये समा गये..
विधाता कि क्रुरता यहा भी हाथ मलती हि रह गयी और हमारे महान "नायक" पन्डित दीनदयाल ूउपाध्याय जी ने ाअमरत्व को वरण कर लिया...

Tuesday, April 17, 2012

आख़िर नरेंद्र मोदी ही क्यो ............ ?

नरेन्द्र मोदी 
देश का प्रधानमंत्री वही हो सकता है - जो देश के सभी मैदानों पर एक-सा प्रभाव छोड़ सकता है 

जो चेन्नई के समुद्र किनारे, कोलकाता के परेड ग्राउंड, गुवाहाटी के जजेज फिल्ड, दिल्ली के रामलीला मैदान और मुम्बई के शिवाजी मैदान में एक साथ भीड़ जुटा सके, वही इस देश का नेतृत्व करेगा और लगता है कि ऎसी क्षमता नरेन्द्र मोदी में ही है। 

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने राजनीतिक जीवन के शिखर पायादान पर हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा 1987 में भाजपा के गुजरात प्रदेश संगठन मंत्री के रूप में शुरू हुई थी। आजकल नरेन्द्र मोदी की कहानी उन सबकी जुबानी बन गई है, जो 2014 के लोकसभा चुनावों पर निगाह बनाए हुए हैं।

यह सही है कि 07 अक्टूबर, 2001 को गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद मोदी को तमाम अवरोधों-बाधाओं के बाजवूद सफलता मिल रही है। निरंतर मिल रही सफलता ने मोदी की ख्याति देश से बाहर भी पहुंचा दी है।

नरेन्द्र मोदी 27 फरवरी, 2002 को हुए गोधरा कांड के कुछ महीनों पहले मुख्यमंत्री बने थे। गोधरा में जो कुछ हुआ और उसके बाद गुजरात में जिस तरह से दंगे हुए, उन सबका दोष मोदी के सिर मंढ़ने की लगातार कोशिश हुई है। कई मामलों में मोदी को अदालतों में घसीटा गया, लेकिन अभी कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की जो रिपोर्ट उजागर हुई है, उसमें मोदी बेदाग बाहर निकले हैं। इस घटना ने जहां मोदी का हौसला बढ़ाया है, वहीं उन लोगों का झूठ भी उजागर हुआ है, जो मोदी को हत्यारा और षडयंत्रकारी करार देने पर तुले हुए थे। एसआईटी की रिपोर्ट में मोदी को मिली क्लीन चीट ने उनके राजनीतिक रास्ते की सबसे बड़ी बाधा को दूर किया है।

मोदी अदालत की लड़ाई जीत गए हैं, इस लड़ाई के जीतने से पहले ही वे जनता की अदालत में सद्भावना मिशन लेकर पहुंच गए थे। इस मिशन को गुजरात में जिस तरह जनसमर्थन मिला है, उससे यह माना जा रहा है कि मोदी नए रिकार्ड के साथ तीसरी बार अपने नेतृत्व में चुनाव जीतने जा रहे हैं। वर्ष 2002, 2007 के बाद यह उनका तीसरा चुनाव है। वर्ष 2002 के चुनाव में मोदी के नेतृत्व में भाजपा को दो तिहाई सीटें मिली थीं।

लेकिन वो लोग उस समय भौचक्के रह गए, जब मोदी को वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों में करीब-करीब वैसी ही सफलता मिली। 2007 के चुनाव में चुनावी पंडितों की त्रिशंकू विधानसभा वाली भविष्यवाणियां गलत निकलीं।

मोदी कई मायनों में अलग हैं। वे हिंदुस्तान के पहले मुख्यमंत्री या प्रदेश स्तर के नेता हैं, जिन्हें टाइम मैग्जीन ने कवर पेज पर जगह दी है। यानी उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनी है।

मोदी ने उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए वाईब्रेंट गुजरात का आयोजन किया, जिसमें 100 से ज्यादा देशों के उच्चाधिकारी मोदी के बुलावे पर आए। रोचक बात यह है कि अब वे सभी देश यह चाहते हैं कि उन्हें गुजरात में उद्योग लगाने का मौका मिले।

आज देश का हर व्यक्ति देश का प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को ही देखना चाहता है......
जय हिंद...

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप बीते 20 साल से सत्ता का बनवा...