Saturday, February 5, 2011

एशिया पहुंचेगी मिस्र की आग? पाकिस्‍तान के बाद श्रीलंका में भी बगावत की चेतावनी


कोलंबो। मिस्र और तमाम अरब जगत के देशों में लगी बगावत की आग पाकिस्तान तक फैलने की आशंका तो विशेषज्ञ जता ही रहे हैं, लेकिन अब श्रीलंका की विपक्षी राजनीतिक पार्टी ने भी अपने देश में ऐसे ही विद्रोह की चेतावनी दी है।

सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा विपक्ष के नेता की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे समर्थकों पर हमले के बाद श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दल यूनाइटेड नेशनल पार्टी ने शनिवार को विद्रोह की चेतावनी दी है।

यूएनपी ने कहा कि सरकार द्वारा विपक्ष पर दोहराए जा रहे हमले, सरकार-विरोधी न्यूज़ ऑर्गेनाइज़ेशन की आगजनी और छात्र नेताओं की गिरफ्तारी से श्रीलंका में भी अरब जगत जैसी बगावत छिड़ सकती है। 

यूएनपी के डिप्टी लीडर करू जयसूर्या ने एक बयान में कहा कि शासक जनता को हमेशा दबाकर नहीं रख सकते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार अरब जगत में हो रहे बगावत को समझने की कोशिश करे और उससे सबक ले।

यूएनपी के समर्थकों पर शुक्रवार को उस समय सरकार के कार्यकर्त्ताओं ने हमला बोल दिया जब वे अपने राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी और पूर्व सेना प्रमुख सरथ फोंसेका की रिहाई की मांग करते हुए सड़क पर उतर आए। फोंसेका इस समय ३० महीने की जेल काट रहे हैं। इस हमले में विपक्षी दल के चार सांसद और कई दर्जन लोग घायल हो गए। सरकार की तरफ से इस हमले पर कोई टिप्पणी नहीं आई है।

पिछले साल फोंसेका की गिरफ्तारी के बाद से ही श्रीलंका में काफी जन-विरोध हुए हैं पर विपक्षी दल की रैलियों में कभी भी बहुत भीड़ इकट्ठा नहीं हुई है। फोंसेका को तमिल टाइगर के बागियों को कुचल देने वाली सेना का नेतृत्व करने के लिए और श्रीलंका में ३७ साल से चल रहे अलगाववादियों की लड़ाई का मई २००९ में अंत करने के लिए जाना जाता है। हालांकि इस बात का श्रेय लेने के मामले में उनकी राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे से बहस भी हुई थी।  

फोंसेका जनवरी २०१० में राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे को हराने में नाकामयाब रहे थे जिसके दो हफ्ते बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में उन्हें उनके आर्मी चीफ के कार्यकाल के दौरान गड़बड़ियां करने का दोषी पाया गया।  

विपक्ष ने कहा है कि अगले हफ्ते कोलंबो में वे मिलिट्री द्वारा फोंसेका की गिरफ्तारी के एक साल के पूरा होने पर जन-रैली निकालेंगे।  फोंसेका के कारावास से उनको संसद में पिछले अप्रैल में जीती गई सीट का नुकसान तो हुआ ही है साथ ही वे २०१७ तक कोई भी सरकारी पद हासिल नहीं कर सकते हैं

'मंदिर हमारा है' ...और दनादन चलने लगी गोलियां


बैंकाक. थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित करीब 900 साल पुराने मंदिर को लेकर सदियों से जारी विवाद शुक्रवार को दोनों देशों के सैनिकों में हिंसक झड़प होने के साथ ही फिर भड़क उठा।

कंबोडियाई पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस झड़प में दो सैनिक मारे गए हैं तथा दो घायल हुए हैं। उधर, कंबोडिया से लगी थाई सीमा के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल थवाचेई सेमुत्सकोर्न ने बताया कि स्थानीय समयानुसार दोपहर बाद तीन बजे यह झड़प शुरू हुई।

थाई-कंबोडिया की सीमा पर स्थित इस हिंदू मंदिर को दोनों ही देश अपना बताते हैं। ग्यारहवीं सदी में बने इस मंदिर को थाईलैंड में खाव फ्रा विहार और कंबोडिया में प्रिया विहार के नाम से जाना जाता है। इसे लेकर दोनों देशों के बीच कई बार खूनी संघर्ष हो चुके हैं।

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने वर्ष 1962 में इस पर कंबोडिया के दावे को सही ठहराते हुए उसके सुपुर्द करने का फैसला सुनाया था। मंदिर के इर्दगिर्द के 4.6 वर्ग किलोमीटर के इलाके पर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है।

इसकी वजह से अब भी दोनों देशों के बीच विवाद बरकरार है। ताजा झड़प एक कंबोडियाई अदालत द्वारा दो थाई नागरिकों को कैद की सजा के तीन दिन बाद हुई है। इस फैसले पर थाईलैंड में तीखी प्रतिक्रिया हुई है

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