Friday, February 4, 2011

'हमारा है अरुणाचल, सुन लो चीन कान खोलकर'


चीन कुछ भी दिखाए, जो हमारा है वह कोई और नहीं ले सकता। हमारा ही रहेगा। जी हां कुछ ऐसा ही अंदाज है आजकल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का। 

ऑल अरुणांचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन(आप्सू) के अध्यक्ष तकाम ततुंग ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आप्सू प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान बताया कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा भी। चीनी नक्शे में इस राज्य को उस देश का दिखाए जाने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी।

चीन, अरुणाचल के लोगों को नत्थी वीजा कर रहा है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इस समस्या के समाधान के लिए उपाय कर रही है। ततुंग के मुताबिक सिंह ने कहा कि अरुणाचल में भी विकास की किरणें अन्य राज्यों की तरह पहुंचना चाहिए। आप्सू प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री के संज्ञान में दशकों पुराने चकमा-हजोंग, तिरप और चांगलांग में उग्रवाद, असम-अरुणाचल सीमा विवाद जैसे मुददे रखे

रूस पर हमला होने से पहले ये क्या कर बैठा फौजी कमांडर

रुडॉल्फ वॉल्टर रिचर्ड हैस हिटलर के डेप्यूटी फ्यूहरर थे। जर्मन भाषा में फ्यूहरर का मतलब नेता या फिर गाइड होता है। ये लोग हिटलर की तरफ से काम करते थे। इस प्रमुख नाजी अधिकारी का जन्म 26 अप्रैल 1894 में हुआ था। सोवियत संघ से युद्ध शुरू होने से एक दिन पहले हैस ने स्कॉटलैंड के लिए उड़ान भरी थी।

कहते हैं वे ब्रिटेन से शांति समझौता करने गए थे। फिर भी उन्हें वहां गिरफ्तार कर लिया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उन्हें बर्लिन की स्पनडाउ जेल भेजा गया था। यहां 17 अगस्त 1987 के दिन उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सवाल यह उठता है कि जो आदमी शांति की बात करने गया था, उसे गिरफ्तार क्यों किया गया। इसलिए रुडॉल्फ हैस की इस यात्रा को लेकर कई थ्योरी दी जाती हैं।

ऐसा नहीं था कि वे अकेले कैद किए गए थे। और भी कई अधिकारी उस दौर में जेल भेजे गए थे, लेकिन कुछ सालों बाद समझौते या फिर मानवता के आधार पर उन्हें छोड़ दिया गया। फिर हैस को क्यों नहीं छोड़ा गया। क्या हैस पागल हो गए थे, जो वे स्कॉटलैंड पहुंच गए थे या फिर वे हिटलर के बहुत से राज छिपाकर रखने के लिए जेल में रहे?

ये खबर सुनकर सामान्य रहे हिटलर 10 मई 1941 के दिन रुडॉल्फ हैस ने ये उड़ान भरी थी। प्लेन लैंड करने के बजाय उन्होंने पैराशूट से छलांग लगाई थी। जमीन पर गिरते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उनके पैर का एक टखना टूट गया था।

उनकी गिरफ्तारी की खबर सुनने के बाद हिटलर बिल्कुल सामान्य बने रहे। अपने सबसे विश्वसनीय डेप्यूटी फ्यूहरर के दुश्मन की जमीन पर गिरफ्तार होने पर उन्हें जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ। जबकि हैस उनकी जानकारी के बिना शांति समझौता करने गए थे। ये भी एक अहम सवाल है। जितने साल वे जेल में रहे और जेल जाने से पहले का रिकॉर्ड देखकर नहीं लगता कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। उन्होंने भी कभी अपनी इस यात्रा के कारण को पूरी तरह जाहिर नहीं किया।

राज है गहरा

हिटलर के एक प्रमुख फ्यूहरर रुडॉल्फ हैस सोवियत संघ से युद्ध शुरू होने से एक दिन पहले उनकी जानकारी के बिना स्कॉटलैंड क्यों गए थे। उनकी यात्रा का कारण आज भी राज है

इस विमान के सामने दुश्मन अपने विमान नहीं निकालेगा !!!


मॉस्को. रूस की मिग कार्पोरेशन ने शुक्रवार को भारतीय वायु सेना के लिए बनाए जा रहे उन्नत मिग-29 विमान की पहली परीक्षण उड़ान संचालित की। मिग ने एक बयान में कहा, "चार फरवरी को उन्नत मिग 29 लड़ाकू विमान की पहली परीक्षण उड़ान संचालित की गई। एक घंटे की यह परीक्षण उड़ान पूरी तरह सफल रही।"

विमान के उन्नयन के जरिए इसमें नई एवोनिक्स किट लगाई गई है जिसमें एन-109 रडार की जगह फजाट्रन जुक एम रडार लगाया गया है।विमान में पायलट की दृश्यता क्षमता बढ़ाने के लिए उपकरण लगाए गए हैं और इसे हवा में ईंधन भरने की क्षमता से लैस किया गया है।

रूस में पहले छह विमानों का उन्नयन किया गया है जबकि बाकी 63 विमानों को भारत में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) उन्नत बनाएगी

काले धन से चल रही राजनीति और आईपीएल? सामने आए खातेदारों के नाम

नई दिल्‍ली. शुरू से विवादों में रही आईपीएल की कोच्चि टीम पर एक बार फिर संकट मंडरा रहा है। दरअसल जर्मनी के लिंचेस्‍टाइन बैंक में जिन भारतीयों का काला धन जमा है, उनमें इस टीम के हिस्‍सेदार भी शामिल हैं। इस बीच उद्योगपति और राज्‍यसभा सदस्‍य राहुल बजाज ने काले धन पर चल रही बहस को नया मोड़ दे दिया है। उन्‍होंने कहा है कि काली कमाई का हिस्‍सा राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर इस्‍तेमाल होता है।

बजाज ऑटो के चेयरमैन ने कहा, ‘मैं पिछले चार साल से संसद सदस्‍य हूं। आखिर राजनीतिक दलों को चंदा कहां से मिलता है। न तो यह चेक न ही छोटे सदस्‍यों के जरिये यह पैसा आता है, यह पैसा काला धन के जरिये आता है। काला धन आसमान से नहीं आता।’

इस बीच वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि सरकार ने स्विस बैंक मे काला धन के संबंध में १७ लोगों को नोटिस भेजा है पर उन सभी लोगों के नाम बताना संभव नहीं है। उन्होनें शनिवार को कहा, 'हमें स्विस बैंक में काले धन से जुड़े मामले में कुछ लोगों के नाम पता चले हैं और उनमें से कुछ को नोटिस भेज दिया गया है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार उन लोगों के नाम नहीं बता सकती है जिन्होने अपना पैसा स्विस बैंक में जमा कराया था क्योंकि यह जानकारी सिर्फ कर-संबंधी मामलों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है। सरकार ये नाम तभी सार्वजनिक कर सकती है जब इस मामले की कोर्ट में सुनवाई हो।

भारत सरकार को लिचटेंस्टाइन बैंक में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम सौंपे गए थे, उनका खुलासा होने यह बात सामने आई है। इन लोगों की सूची भारत सरकार को 18 मार्च 2008 को सौंपी गई थी, जिसमें 12 ट्रस्ट और 19 व्यक्तियों के नाम हैं। 

इन व्यक्तियों में मनोज धुपेलिया, रूपल धुपेलिया, अंबरीश धुपेलिया, भव्या धुपेलिया, मनोज धुपेलिया, रूपल धुपेलिया, अंबरीश धुपेलिया, भव्या धुपेलिया, हंसमुख गांधी, ईश्वरलाल गांधी, मधु गांधी, चिंतन गांधी, मिराव गांधी, प्रबोध मेहता, कीर्ति लाल मेहता और रश्मिलाल मेहता शामिल हैं।

इनके अलावा दिलीप मेहता (सीईओ रोजी ब्लू), अरुण मेहता, हर्षद मेहता तीनों भाई हैं और दुनिया की जानीमानी डायमंड कंपनी के मालिक हैं। इनमें से हर्षद मेहता की आईपीएल कोच्चि‍ टीम में 12 फीसदी हिस्सेदारी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक प्रबोध मेहता के खिलाफ बेल्जियम में मनी लॉड्रिंग का मुकदमा भी चल रहा है। प्रबोध भी हीरा के बड़े कारोबारी हैं और वह जेंबल ग्रुप नाम की एक कंपनी के मालिक हैं।

'तहलका' पत्रिका द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार जो ट्रस्ट इसमें शामिल हैं वे हैं अब्रनोवा ट्रस्ट, मार्लिंन मैनेजमेंट साउथ अफ्रीका, मार्निची ट्रस्ट और सोकालो स्टिफटंग। इन चार खातों में 16 भारतीयों के काले धन की जानकारी मिली है। इन लोगों के कुल 52 करोड़ रुपये बैंक में जमा हैं।

हालांकि सरकार ने ये नाम एक लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में दिए थे, लेकिन इनका सार्वजनिक खुलासा नहीं किया था। सरकार ने अदालत में कहा कि इन नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता। यह पहला मौका है जब जर्मनी के बैंक ऑफ लिचटेंस्टीन में खाता खुलवाने वालों के नाम सामने आए हैं।

मिस्र में क्रांति: अब सेना के बागी होने का डर, उपराष्‍ट्रपति पर जानलेवा हमला


काहिरा. मिस्र में राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान पर जानलेवा हमले की खबर से स्थिति और गंभीर हो गई है। सुलेमान के काफिले पर हुए इस हमले में उनके दो बॉडीगार्ड मारे जाने की भी खबर है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक यह हमला गत 29 जनवरी को उस वक्‍त हुआ जब उन्‍हें उपराष्‍ट्रपति नियुक्‍त किया गया। हालांकि सरकार ने इस हमले की पुष्टि करने से इनकार किया है।

जनता का प्रदर्शन शनिवार को 12वें भी जारी है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान मुबारक के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसक झड़प में एक पत्रकार की मौत हो गई है, जबकि हजारों प्रदर्शनकारी कर्फ्यू के बावजूद राजधानी काहिरा में तहरीर चौक पर जमा हैं।

मुबारक ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति ओबामा की सलाह भी ठुकरा दी है और पद छोड़ने से इनकार कर दिया है, लेकिन ओबामा ने दोहराया है कि मुबारक को सत्‍ता परिवर्तन के लिए राजी हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा 'एक विधिसम्मत परिवर्तन होना चाहिए और इसकी शुरुआत अभी होनी चाहिए।' अमेरिका ने पत्रकार की मौत पर भी विरोध जताया है।

इस बीच, सेना की निष्‍ठा को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। शुक्रवार को तहरीर चौक पर  रक्षा मंत्री फील्‍ड मार्शल मुहम्‍मद हुसैन तंतावी के पदर्शनकारियों के बीच पहुंचने के बाद से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सेना की मुबारक के प्रति निष्‍ठा अंत तक बनी रहेगी या नहीं। तंतावी प्रदर्शनकारियों के बीच जैसे ही पहुंचे भीड़ ने नारा लगाना शुरू किया- सेना और जनता एक है। तंतावी ने कई प्रदर्शनकारियों से बातचीत भी की। 

प्रदर्शनकारियों ने मुबारक को पद और देश छोड़ने के लिए शुक्रवार तक का अल्टीमेटम दिया था। राष्‍ट्रपति की ओर से इसे ठुकराने के बाद शुक्रवार को हजारों प्रदर्शनकारी मुबारक के खिलाफ बड़ी रैली के लिए तहरीर चौक पर जुट गए थे। इसके बाद वे राष्ट्रपति आवास की तरफ बढ़े। इस बीच सेना की एक गाड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए भीड़ को चीरते हुए आगे निकल गई। इसमें कई लोग जख्‍मी हो गए।

जनता ने मुबारक को देश छोड़ने के लिए शुक्रवार तक का अल्‍टीमेटम दिया था, लेकिन मुबारक ने फिर पद छोड़ने से मना कर दिया। हालांकि खबर यह भी आ रही है कि अमेरिका मुबारक को हटाने के लिए कोई रास्‍ता निकाल रहा है।

मुबारक के इस्तीफे की मांग कर रहे एक लाख से अधिक प्रदर्शनकारियों में महिलाएं और बच्चे सभी शामिल हैं। ये 'पद छोड़ो-पद छोड़ो' के नारे लगा रहे हैं, राष्ट्रभक्ति के गीत गा रहे हैं और झंडे लहरा रहे हैं।

इस बीच शुक्रवार को विशाल प्रदर्शन के साथ ही मुबारक को विपक्ष की तरफ से पद छोड़ने के लिए दी गई समय सीमा भी खत्म हो गई। हालांकि मुबारक ने कहा है कि वह अपने पद से आजिज आ चुके हैं लेकिन उन्होंने इस समय इस्तीफा दिया तो पूरे देश में अफरा-तफरी मच जाएगी।। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है।

मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक काहिरा के तहरीर चौक पर चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में आठ लोगों की मौत हो चुकी है और 800 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 25 जनवरी से जारी प्रदर्शन में कम से कम 300 लोगों की मौत हो चुकी है और 4000 हजार से ज्यादा घायल हो चुके हैं।

पूरे अरब जगत में फैली आगसरकार विरोधी प्रदर्शन अरब जगत के उन तमाम मुल्‍कों में होने जा रहे हैं, जहां की सरकार को अमेरिका समर्थन दे रहा है। मुबारक को पिछले तीन दशकों से अमेरिका समर्थन देता रहा है। मिस्र के राष्ट्रपति पर कैदियों के खिलाफ अत्याचार, तानाशाही और मानवाधिकारों के हनन के आरोप लगते रहे हैं। वहीं, ट्यूनिशिया में सत्ता परिवर्तन और मिस्र में जारी प्रदर्शन ने अरब जगत के दूसरे देशों में खलबली पैदा कर दी है। सूडान, जॉर्डन और सीरिया में भी लोग सरकार के विरोध में खड़े हो गए हैं।

मिस्र में क्रांति: अब सेना के बागी होने का डर, उपराष्‍ट्रपति पर जानलेवा हमला



काहिरा. मिस्र में राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान पर जानलेवा हमले की खबर से स्थिति और गंभीर हो गई है। सुलेमान के काफिले पर हुए इस हमले में उनके दो बॉडीगार्ड मारे जाने की भी खबर है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक यह हमला गत 29 जनवरी को उस वक्‍त हुआ जब उन्‍हें उपराष्‍ट्रपति नियुक्‍त किया गया। हालांकि सरकार ने इस हमले की पुष्टि करने से इनकार किया है।

जनता का प्रदर्शन शनिवार को 12वें भी जारी है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान मुबारक के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसक झड़प में एक पत्रकार की मौत हो गई है, जबकि हजारों प्रदर्शनकारी कर्फ्यू के बावजूद राजधानी काहिरा में तहरीर चौक पर जमा हैं।

मुबारक ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति ओबामा की सलाह भी ठुकरा दी है और पद छोड़ने से इनकार कर दिया है, लेकिन ओबामा ने दोहराया है कि मुबारक को सत्‍ता परिवर्तन के लिए राजी हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा 'एक विधिसम्मत परिवर्तन होना चाहिए और इसकी शुरुआत अभी होनी चाहिए।' अमेरिका ने पत्रकार की मौत पर भी विरोध जताया है।

इस बीच, सेना की निष्‍ठा को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। शुक्रवार को तहरीर चौक पर  रक्षा मंत्री फील्‍ड मार्शल मुहम्‍मद हुसैन तंतावी के पदर्शनकारियों के बीच पहुंचने के बाद से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सेना की मुबारक के प्रति निष्‍ठा अंत तक बनी रहेगी या नहीं। तंतावी प्रदर्शनकारियों के बीच जैसे ही पहुंचे भीड़ ने नारा लगाना शुरू किया- सेना और जनता एक है। तंतावी ने कई प्रदर्शनकारियों से बातचीत भी की।

प्रदर्शनकारियों ने मुबारक को पद और देश छोड़ने के लिए शुक्रवार तक का अल्टीमेटम दिया था। राष्‍ट्रपति की ओर से इसे ठुकराने के बाद शुक्रवार को हजारों प्रदर्शनकारी मुबारक के खिलाफ बड़ी रैली के लिए तहरीर चौक पर जुट गए थे। इसके बाद वे राष्ट्रपति आवास की तरफ बढ़े। इस बीच सेना की एक गाड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए भीड़ को चीरते हुए आगे निकल गई। इसमें कई लोग जख्‍मी हो गए।

जनता ने मुबारक को देश छोड़ने के लिए शुक्रवार तक का अल्‍टीमेटम दिया था, लेकिन मुबारक ने फिर पद छोड़ने से मना कर दिया। हालांकि खबर यह भी आ रही है कि अमेरिका मुबारक को हटाने के लिए कोई रास्‍ता निकाल रहा है।

मुबारक के इस्तीफे की मांग कर रहे एक लाख से अधिक प्रदर्शनकारियों में महिलाएं और बच्चे सभी शामिल हैं। ये 'पद छोड़ो-पद छोड़ो' के नारे लगा रहे हैं, राष्ट्रभक्ति के गीत गा रहे हैं और झंडे लहरा रहे हैं।

इस बीच शुक्रवार को विशाल प्रदर्शन के साथ ही मुबारक को विपक्ष की तरफ से पद छोड़ने के लिए दी गई समय सीमा भी खत्म हो गई। हालांकि मुबारक ने कहा है कि वह अपने पद से आजिज आ चुके हैं लेकिन उन्होंने इस समय इस्तीफा दिया तो पूरे देश में अफरा-तफरी मच जाएगी।। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है।

मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक काहिरा के तहरीर चौक पर चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में आठ लोगों की मौत हो चुकी है और 800 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 25 जनवरी से जारी प्रदर्शन में कम से कम 300 लोगों की मौत हो चुकी है और 4000 हजार से ज्यादा घायल हो चुके हैं।

पूरे अरब जगत में फैली आगसरकार विरोधी प्रदर्शन अरब जगत के उन तमाम मुल्‍कों में होने जा रहे हैं, जहां की सरकार को अमेरिका समर्थन दे रहा है। मुबारक को पिछले तीन दशकों से अमेरिका समर्थन देता रहा है। मिस्र के राष्ट्रपति पर कैदियों के खिलाफ अत्याचार, तानाशाही और मानवाधिकारों के हनन के आरोप लगते रहे हैं। वहीं, ट्यूनिशिया में सत्ता परिवर्तन और मिस्र में जारी प्रदर्शन ने अरब जगत के दूसरे देशों में खलबली पैदा कर दी है। सूडान, जॉर्डन और सीरिया में भी लोग सरकार के विरोध में खड़े हो गए हैं।

2 जी घोटाले में करुणानिधि भी आरोपी

Feb 05, 12:06 pm
 
नई दिल्ली। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो [सीबीआई] की अदालत में शनिवार को दायर अपनी शिकायत में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा के साथ डीएमके के प्रमुख एम. करुणानिधि को सह आरोपी बनाया है।
स्वामी ने सीबीआई अदालत के न्यायाधीश प्रदीप चड्ढा से कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि के साथ कई अन्य लोगों के नाम आरोपियों में शामिल किए जाने है। स्वामी ने इससे पहले दायर अपनी शिकायत में 2 जी स्पेक्टम घोटाले में राजा को आरोपी बनाया था।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में राजा और उनके दो सहयोगियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

दूरसंचार विभाग ने कानून मंत्रालय की अनदेखी की

Feb 04, 05:16 pm
नई दिल्ली। दूरसंचार घोटाले पर गठित एक सदस्यीय पाटिल समिति का कहना है कि वर्ष 2003 के बाद स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े सभी फैसले प्रक्रिया के आधार पर गलत हैं।
समिति ने शुक्रवार को कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए पहले आओ, पहले पाओ की नीति और लाइसेंस आवंटन कैबिनेट के फैसले के खिलाफ था।
एक सदस्यीय समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान दूरसंचार विभाग ने कानून मंत्रालय की राय की अनदेखी की।
कपिल सिब्बल ने कहा कि हम एक सदस्यीय समिति रिपोर्ट सीबीआई को सौंप रहे हैं। समिति ने स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में व्यापक स्तर पर सुधार और स्पेक्ट्रम की जमाखोरी करने वालों पर जुर्माना लगाने का सुझाव दिया है

अलादीन का चिराग नहीं हमारे पास: प्रणब

Feb 04, 05:18 pm
नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण के कई उपाय किए हैं लेकिन उसके पास कोई अलादीन का चिराग नहीं है, जिससे महंगाई को तत्काल वश में कर लिया जाए।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि आप ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते कि कोई ऐसी जादू की छड़ी या अलादीन का चिराग है जिसको आप रगड़ें और परेशानी छू मंतर हो जाए। वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक ने भी मौद्रिक नीति को सख्त करने जैसे उपायों के जरिए मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के कदम उठाए हैं।
गौरतलब है कि फल, दूध और अंडा-मास की कीमतों के दबाव के चलते 22 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति फिर 17 फीसदी से ऊपर चली गई। दिसंबर में सामान्य मुद्रास्फीति भी एक माह पूर्व के 7.48 फीसदी से बढ़ कर 8.43 फीसदी हो गई।
चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि 8.5 से 9.0 फीसदी के बीच रहने की उम्मीदे की जा रही हैं पर मुद्रास्फीति उच्च वृद्धि की संभावनाओं के लिए खतरा बनी हुई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज ही राज्यों के मुख्य सचिवों के सम्मेलन में कहा कि मुद्रास्फीति आर्थिक वृद्धि की उच्च गति के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है और इससे गरीब तथा कमजोर वर्ग लोग पर असर पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने राज्यों से मंडी शुल्क, चुंगी और ऐसे अन्य स्थानीय करों को खत्म करने को कहा ताकि महंगाई पर काबू के लिए आवश्यक वस्तुओं का परिवहन सुगम किया जा सके।

पाक में मंत्रिमंडल भग की अटकलें तेज

Feb 04, 04:19 pm
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में शुक्रवार को अटकलों का बाजार गर्म रहा कि प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी कुछ दिन में संघीय कैबिनेट को भग कर सकते हैं। हालाकि ऐसी किसी संभावना के बारे में अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
समझा जाता है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नीत सरकार दो विकल्पों पर विचार कर रही है। समूचे मंत्रिमंडल को भग कर दिया जाय अथवा पिछले साल संसद द्वारा पारित ऐतिहासिक संवैधानिक सुधारों के मद्देनजर उसका आकार घटा कर आधा कर दिया जाय।
खबरों में यह भी कहा गया है कई प्रमुख मंत्रियों को इस प्रक्रिया में बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। टीवी खबरों में कहा गया है कि इस महत्वपूर्ण मामले में निर्णय के लिए आज राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और गिलानी की अध्यक्षता में पीपीपी की केंद्रीय कार्य समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आहूत की जा सकती है।
एक निजी टीवी समाचार चैनल की खबरों में कहा गया है कि गिलानी कैबिनेट को भग कर सकते हैं और 10 अथवा 12 मंत्रियों के नाम का ऐलान कर सकते हैं। इस समय मंत्रिमंडल में 62 सदस्य हैं।
18 वें संविधान संशोधन के तहत कैबिनेट का आकार संसद के सदस्यों के 11 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। कैबिनेट का आकार कम करने का मकसद भ्रष्टाचार और अकुशलता के आरोपों से घिरी पीपीपी की छवि सुधारना है।
इन कयासों के बीच जरदारी, गिलानी और सेनाध्यक्ष जनरल अशफाक परवेज कयानी की तिकड़ी की कल राष्ट्रपति भवन में बैठक हुई। रिपोर्ट के अनुसार हालाकि बैठक देश में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई गई लेकिन जरूरी नहीं है कि यह शीर्ष एजेंडा था। उसमें देश की लड़खड़ाती आर्थिक स्थिति पर भी चर्चा हुई।
रिपोर्ट के अनुसार बैठक में वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज शेख और रक्षा मंत्री चौधरी अहमद मुख्तार भी मौजूद थे। बैठक के बारे में अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा गया

अवकाशप्राप्त जनरल बना म्यांमार का राष्ट्रपति

Feb 04, 04:36 pm
 
यंगून। म्यांमार में एक अवकाशप्राप्त जनरल को राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया है। इस तरह देश की नई राजनीतिक प्रणाली में सत्ता पर सेना की पकड़ बरकरार रहेगी। म्यांमार के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर को बताया कि थीन सीन को बहुमत से राष्ट्रपति चुन लिया गया। वे सेना छोड़कर पिछले साल हुए विवादास्पद चुनाव में लड़े थे।
सैन्य शासन [जुंटा] के पूर्व प्रधानमंत्री थीन का नाम चुनाव समिति के मतदान से पहले ही तय कर लिया गया। इससे इस आशंका को बल मिला है कि लोकतात्रिक चेहरे के पीछे सैन्य सत्ता को छिपाने के लिए यह राजनीतिक प्रक्रिया अपनाई गई।
जुंटा के शक्तिशाली थान श्वे के प्रमुख सहयोगी 65 वर्षीय थीन ने पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में जुंटा समर्थित यूनियन सोलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी [यूएसडीपी] का नेतृत्व किया था। राष्ट्रपति का पहला काम अब सरकार का गठन होगा और वे आश्वस्त होंगे कि सेना के वर्चस्व वाली संसद से शायद ही उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।
सूत्रों ने बताया कि इस बात की उम्मीद है कि वे अपनी नई भूमिका के अलावा प्रधानमंत्री पद भी अपने पास ही रखेंगे।
जटिल संसदीय नियमों के तहत ऊपरी सदन, निचले सदन और सेना के सदस्यों में प्रत्येक एक सदस्य को उप राष्ट्रपति पद के लिए मनोनीत करेगा। इसके बाद चयन समिति तीन उम्मीदवारों में से किसी एक को राष्ट्रपति पद के लिए चुनेगी। देश में 1962 से शासन कर रही सेना का वर्चस्व बरकरार रहने से तीनों सदस्य यूएसडीपी के ही हैं। दो अन्य सदस्यों में एक अवकाश प्राप्त जनरल तिन आग मिंट उू हैं जबकि दूसरे उम्मीदवार साई मोक खाम भी शान स्वे के करीबी सहयोगी हैं।
देश में 1992 से शासन कर रहे थान श्वे ने हालाकि कोई शीर्ष राजनीतिक पद नहीं लिया है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि पर्दे के पीछे से सत्ता पर उनकी ही पकड़ रहेगी। म्यांमार में राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ आग नेंग उू का कहना है कि थान श्वे के पर्दे के पीछे की राजनीति से बदलाव के बहुत कम आसार हैं।
उन्होंने कहा कि अगर थान श्वे हटते हैं तब कुछ भी संभव है। हो सकता है अभी थान श्वे हा में हा मिलाने वाले लगें लेकिन जल्द वह अपनी जगह बना लेंगे। म्यांमार में 20 साल में पहली बार हुए चुनाव से पहले ही एक चौथाई सीटें सेना के लिए छोड़ दी गई थीं। चुनाव के दौरान भी डराने धमकाने और धाधली की खबर आई थी। इसके अलावा देश में लोकतंत्र समर्थक नेता आग सान सू की ने उसमें हिस्सा नहीं लिया था।

आदमखोर मछलियां

जीवविज्ञानी जेरेमी वेड भारत सहित अफ्रीका, अमेरिका, थाईलैंड जाकर वहां की नदियों की अतल गहराइयों की पड़ताल करते है।?वहां उनकी मुलाकात होती है ऐसी मछलियों से, जो न केवल विशालकाय हैं, बल्कि इतनी खतरनाक है कि पूरे इंसान को निगल भी सकती हैं। जानिए इन आदमखोर मछलियों के बारे में..
डीमन फिश : जैसा कि इसका नाम है, यह दैत्याकार मछली है। यह दुनिया की सबसे खतरनाक मछलियों में से एक है। यह बड़े से बड़े जीवों को भी निगल जाती है। डीमन फिश अफ्रीका की कांगो नदी में पाई जाती है।
डेथ रे : थाइलैंड की मीकांग नदी में जेरेमी ने दुनिया की सबसे बड़ी मछलियों मे से एक डेथ रे को खोज निकाला। इसका वजन लगभग 7 सौ पाउंड है। इसके शरीर पर एक जहरीली और कांटेदार पूंछ होती है, जिसके प्रहार से इंसान की जान भी जा सकती है।
किलर स्नेकहेड : मछली से ज्यादा गैंगस्टर लगने वाली यह मछली हवा में सांस लेती है और जमीन पर भी रेंग लेती है। अपनी ही प्रजाति के जीवों को यह शौक से खाती है। यह एशिया में मुख्य रूप से चीन और दक्षिण कोरिया में पाई जाती है।
कांगो किलर : अफ्रीका की कांगो नदी में पाई जाने वाली कांगो किलर के खतरनाक होने का अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि अफ्रीका में इसके बारे में एक लोककथा है, जिसमें कहा गया है कि यह मछली एक आत्मा के रूप में मछुआरों को ललचा कर उन्हें मौत की तरफ ले जाती है।
अलास्कन हॉरर : अलास्का की बर्फीली झील में मिलती है महाकाय अलास्कन हॉरर। इसके बारे में प्रचलित लोककथाओं में इसे आदमखोर माना जाता है।
रिफ्ट वैली किलर : अफ्रीका की रिफ्ट वैली में एक विशालकाय जीव रहता है -एम्पुटा या नाइल पर्च। यह अफ्रीका के ताजे पानी की सबसे बड़ी मछली है।
पिरान्हा : वर्ष 1976 में यात्रियों से भरी बस अफ्रीका के अमेजॉन नदी में गिर गई और कई लोगों की जान चली गई। जब शवों को बाहर निकाला गया, तो उनमें से कुछ को पिरान्हा मछलियों ने इतनी बुरी तरह खा लिया था कि उनकी पहचान उनके कपड़ों से हुई।
किलर कैटफिश : यह हिमालय की तलहटी में मिलने वाली एक विशाल और नरभक्षी कैटफिश प्रजाति है।
एलिगेटर गार : यह सादे पानी की ऐसी मछली है, जो इंसानों पर आक्रामक हमले करती है। यह शार्क की तरह खतरनाक और मगरमच्छ की तरह विशाल है।
यूरोपिययन मैनईटर : यह यूरोप के ताजे पानी वाली नदियों में अपनी थूथन उठाए घूमती रहती है। आक्रामक वैल्स कैटफिश इंसानों को भी अपना शिकार बना सकती है।
अमेजॉन असासिंस : अमेजन की गहराइयों में रहने वाली असासिंस शिकार को अपनी जीभ से कुचलती है, जो हड्डी से बनी होती है।
अमेजन फ्लैश ईटर्स : यह अफ्रीकन मछली इंसान को निगल सकती है। यह जब हमला करती है, तो शरीर पर छुरा घोंपने जैसा निशान बन जाता है।
[प्रस्तुति : स्मिता]
साहसिक, लेकिन मजेदार सफर
रिवर मॉन्सटर्स के लिए मैंने दक्षिण अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका, भारत आदि देश?गया। वहां नदियों की यात्रा की। मेरा सफर न केवल साहसिक, बल्कि मजेदार भी रहा। डीमन फिश, कांगो किलर, अमेजॉन फ्लैश ईटर्स जैसी मछलियों को पकड़ने में मुझे अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं की पूरी परीक्षा देनी पड़ी। मुझे बचपन से ही मछलियां पकड़ने का शौक था। मैं अपने गांव सफॉक में छोटी मछलियां, झींगे और कैटफिश पकड़ा करता था। बाद में ब्रिटिश कार्प स्टडी ग्रुप में शामिल हो गया। उस समय मेरी उम्र मात्र 16 साल थी। मैं दक्षिण-पूर्व एशिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, भारत और अमेजन की कई बार यात्रा कर चुका हूं। इन यात्राओं के दौरान कई दिक्कतें भी आईं, जैसे एक बार मुझे मलेरिया हो गया, तो एक बार जासूसी के शक में गिरफ्तार कर लिया गया था। मैं डूबने से भी बाल-बाल बचा हूं। एक विमान दुर्घटना में भी मेरी जान बच चुकी है। वर्ष 1982 में मैंने एक पत्रिका में महासीर के शिकार के बारे में पढ़ा। उससे प्रेरित होकर उनकी खोज में भारत चला आया। जिन साहसी टीनएजर्स को जल जीवों से लगाव है, वे इस क्षेत्र से जुड़ सकते हैं।
[जेरेमी वेड: रिवर मॉन्सटर होस्ट

रूपम ने कहा,‘मुंह खोलूंगी तो चली जाएगी जान’


Source: भास्कर न्यूज,   |   Last Updated 17:19(04/02/11)

पूर्णिया.  बलात्कार व यौन शोषण के आरोपी विधायक राजकिशोर केसरी हत्याकांड ने अब नया रुख ले लिया है। हत्या की मुख्य आरोपी रूपम पाठक ने जेल से सीजीएम पूर्णिया को लिखी चिट्ठी में खुद को निर्दोष बताते हुए हत्या का मुख्य जिम्मेवार विधायक के करीबी विपिन राय को बताया है। उसने विपिन पर विधायक के पीठ पीछे छुरा घोंपने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उसी के द्वारा विधायक के हत्या की साजिश रची गयी थी। चिट्ठी में रूपम ने बाहर व्यक्तियों द्वारा उसकी पिटाई की बात भी दर्ज की है। चिठ्ठी में विपिन के शारीरिक संबंध बनाये जाने की बात का भी जिक्र है।

‘मुंह खोलूंगी तो चली जाएगी जान’

रुपम ने यह भी कहा है कि उसका मुंह खोलना उसकी जान के लिए खतरा साबित हो सकता है। रूपम ने लिखा है कि अगर उसे विधायक को मारना ही होता तो उसें कहीं लेकर जाकर अकेले में मारती । विपिन के षड़यंत्र को बताने विधायक निवास पहुंची थी। खबर वह विपिन को भी बताना चाहती थी लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया। 

रूपम का कहना है कि इस हत्याकांड से उसका कोई लेना देना नही है। वह उनके सारे दुश्मनों को जानती थी इसलिए उनलोगों ने इसका फायदा उठाकर उनको मार डाला। बहरहाल रूपम द्वारा लिखी गयी चिट्ठी से कई सवाल एक बार फिर उठ गये हैं। 

जेल में वह खुद को असहज महसूस कर रही रूपम ने सिर में चोट होने की बात लिखते हुए सीजीएम से उचित न्याय की गुहार लगाई है। सीजीएम से उसने उसके साथ मारपीट करने वालो पर भी कार्रवाई का अनुरोध किया है। 

उसने पत्र में कुछ षडयंत्रकारियों के नाम भी बताने के साथ ही पिटाई में गुड्डु पाठक, विपीन राय, परमानंद सिंह, विनोदानंद सिंह, विधायक का भतीजा सुदीप केसारी तथा उसका छोटा भाई, विधायक के दोनो वॉडीगॉर्ड, राजेश कुमार झा, रमण झा, संजय सिंह को अभियुक्त बनाते हुए कार्रवाई पर बल दिया है। पत्र में रूपम ने पुलिसवालो पर भी दबाव का आरोप लगाया है

देर से पहुंची फीस, 30 छात्रों को करवा दिया गंजा


 
 
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) से सम्बद्ध गाजियबाद के एक निजी संस्थान के एक छात्र ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा उनकी शुल्क अदायगी में देरी करने पर संस्थान ने 30 दलित छात्रों का जबरन मुंडन करा दिया। संस्थान ने आरोपों से इंकार किया है।

यह घटना पिछले महीने इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (आईएमएस) के इंजीनियरिंग विभाग में हुई। इस घटना को लेकर बी.टेक के छात्रों ने गुरुवार को प्रदर्शन की शुरुआत की।

छात्र शिवेश ने कहा कि राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा इंस्टीट्यूट को भेजे जाने वाले शुल्क में देरी किए जाने से छात्रों का अपमान हुआ।

उसने बताया, "चार छात्रों विपिन कुमार राणा, अश्विनी कुमार, दिनेश कुमार और मनीष मौर्या ने मामला दर्ज करने के लिए पुलिस को अपनी लिखित शिकायत दी है।"

शिवेश ने बताया कि इस घटना के बाद जिलाधिकारी और पुलिस के अधिकारियों ने संस्थान का दौरा किया और संस्थान के दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

संस्थान के निदेशक प्रबल चक्रवर्ती ने दलित छात्रों के साथ बदसलूकी की घटना से इंकार किया। उन्होंने कहा, "हमने संस्थान में किसी नाई की नियुक्ति नहीं की है।

अमेरिका ने दी थी चीन को तबाह करने की धमकी !!

वाशिंगटन.दुनिया भर में अमेरिका की पोल खोलने वाली वेबसाइट विकीलीक्स ने अमेरिका और चीन को लेकर एक सनसनी खेज खुलासा किया है। 

विकीलीक्स ने अपने इस  नए खुलासे में बताया है कि वर्ष 2007 में अमेरिका ने चीन को धमकी दी थी के यदि चीन ने अंतरिक्ष मिसाइल प्रणाली का परीक्षण किया तो वो (अमेरिका)उसके खिलाफ फौजी कार्रवाई करने से नहीं चूकेगा।

विकीलीक्स ने अपने इस हालिया खुलासे में बताया है कि चीन को धमकाने के लिए ही अमेरिका ने मिसाइल दाग एक उपग्रह को मार गिराया था। इस कवायद का मकसद साफ़ था चीन के दिल में अमेरिका के प्रति खौफ पैदा करना। 

यही नहीं विकी खुलासे में बताया गया है कि अमेरिका की तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस ने चीन को साफ़ शब्दों में चेतावनी दी थी कि यदि उसने कोई भी मिसाइल टेस्ट किया तो नतीजे भयानक होंगे।

यही कारण था कि उस वर्ष चीन ने अपने सभी मिसाइल परीक्षण स्थगित कर दिए  थे और साल 2010 में बड़ी हिम्मत कर मात्र एक परिक्षण किया था

हमें दुनिया का सबसे घातक लड़ाकू विमान देगा अमेरिका !

 
 
वाशिंगटन.भारत को निर्यात पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने के बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन की रणनीति भारत पर लड़ाकू विमानों और उच्च प्रौद्योगिकी की खरीद के लिए दबाव बनाने की है।

इस महीने की छह तारीख से नई दिल्ली के दौरे पर जा रहे अमेरिकी व्यापार मंत्री गैरी लॉक ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, "निर्यात में छूट की घोषणा से सही मायने में भारत और अमेरिका के बीच उच्च प्रौद्योगिकी के व्यापार और सहयोग के द्वार खुल गए हैं।" प्रतिनिधिमंडल 11 फरवरी तक भारत में रहेगा।

अमेरिका की 24 दिग्गज कम्पनियों के प्रतिनिधियों के साथ भारत जा रहे लॉक ने कहा, "हमारे व्यापारिक मिशन का उद्देश्य खुले हुए द्वार का लाभ उठाना है।" इस मिशन में विमान निर्माता कम्पनी बोइंग और लॉकहीड मार्टिन के अलावा कई परमाणु बिजली कम्पनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

पिछले सप्ताह ही अमेरिका ने भारत की अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र की नौ कम्पनियों को निर्यात पर 12 वर्षो से लगे प्रतिबंध को खत्म करने की घोषणा की थी।लॉक बेंगलुरू में एयरो इंडिया शो का भी दौरा करने वाले हैं। दरअसल, बोइंग और लॉकहीड दोनों कम्पनियां भारतीय वायु सेना को 126 लड़ाकू विमान बेचने के 11 अरब डॉलर के सौदे को हासिल करना चाहती हैं।

वायु सेना के इस सौदे को हासिल करने की दौड़ में बोइंग और लॉकहीड के अलावा फ्रांस की दसॉल्ट रफेल, रूस की मिग-35, स्वीडेन की साब जेएएस-39 और यूरोफाइट टायफून भी हैं।लॉक ने कहा कि भारत अमेरिका से विमान खरीदे यह चीज अमेरिकी प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल है।

लॉक ने अपने भारत दौरे को भारत अमेरिका के बीच बढ़ी रही रणनीतिक साझेदारी से जोड़ते हुए कहा कि यह अभी शुरुआत है। अमेरिका भारत को अपना एक सबसे करीबी साझेदार बनाने की ओर बढ़ रहा है।लॉक ने कहा कि वह भारत पर व्यापार और निवेश के क्षेत्र में बाधाओं को कम करने के लिए भी दबाव बनाएंगे, ताकि इन सम्भावनाओं का भरपूर फायदा उठाया जा सके

अंतरिक्ष में वर्चस्‍व को लेकर अमेरिका ने दी थी चीन पर हमले की धमकी

लंदन. दुनिया के दो न्‍यूक्लियर सुपरपावर अमेरिका और चीन के बीच अंतरिक्ष में वर्चस्व को लेकर जंग जारी है। ये दोनों एक-दूसरे से ताकतवर दिखने की होड़ में खुद का भी नुकसान करने से पीछे नहीं हटते। एक बार तो इन दोनों देशों ने ही खुद के ही मिसाइल दागते हुए अपने सैटेलाइट नष्‍ट कर दिए। खोजी वेबसाइट विकीलीक्स ने यह खुलासा किया है।

विकीलीक्‍स के मुताबिक ये दोनों महाशक्तियां एक दूसरे को यह भी बताना चाहती थीं कि उनके पास अंतरिक्ष में किसी भी निशाने को ध्‍वस्‍त करने की तकनीक है। हालांकि अमेरिका ने नाराज होकर चीन को सैन्य कार्रवाई की धमकी दी, लेकिन चीन ने पिछले साल ही फिर मिसाइल का परीक्षण किया।

गोपनीय दस्‍तावेजों के मुताबिक चीन की इस कार्रवाई का अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने काफी विरोध किया। हालांकि चीन ने इस मामले में सफाई देते हुए इसके लिए उलटे अमेरिका को ही जिम्‍मेदार ठहराया। चीन ने कहा कि अमेरिका ‘घातक’ लेजर हथियार प्रणाली विकसित कर रहा है जो दुश्मन देश की ओर से दागी जाने वाली मिसाइलों को उसके देश में ही नष्ट कर देगी।

विकीलीक्‍स ने ये गोपनीय दस्‍तावेज ब्रिटिश अखबार ‘द टेलीग्राफ’ को मुहैया कराए हैं जिसे अखबार ने प्रकाशित करते हुए यह खुलासा किया है। इस दस्‍तावेज में दोनों महाशक्तियों के बीच सुपरपावर बनने की जंग का जिक्र है।

चार साल पहले शुरू हुई थी 'जंग'

दोनों महाशक्तियों के बीच ‘स्‍टार वार्स’ की शुरुआत जनवरी 2007 में हुई जब चीन ने धरती से 530 मील की ऊंचाई पर अपने ही एक ‘वेदर मिसाइल’ को मार गिराते हुए अमेरिका को चौंका दिया। इस हमले की वजह से इस मिसाइल के हजारों टुकड़े हो गए। सभी को इस बात का भय हो गया कि चीन अमेरिकी सैन्‍य और सिविलियन सैटेलाइटों को भी तहस-नहस कर अफरा-तफरी मचा देगा।

फरवरी 2008 में अमेरिका ने भी इसके ‘जवाब’ में खुद का ही एक सैटेलाइट ध्‍वस्‍त कर दिया और चीन को यह बताने की कोशिश की कि उसमें भी अंतरिक्ष तक मार करने की ताकत है। उस वक्‍त अमेरिका ने कहा कि यह हमला किसी तरह का सैन्‍य परीक्षण नहीं थी लेकिन फालतू जासूसी सैटेलाइटों को नष्‍ट करने के लिए यह जरूरी था।  

आसमान ही जिनकी छत है

 
 
 
 
 
सर्दियों के दिनों में उत्तर भारत के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में ठंडी हवाओं का जोर रहता है। इन दिनों लोग ज्यादा से ज्यादा समय घर में दुबककर बिताना पसंद करते हैं। ठंडा कोहरा शहर के ऊपर लिहाफ की तरह बिछा रहता है। लेकिन जो लोग बेघर हैं, उन्हें सर्दियों के क्रूर मौसम में भी अपना जीवन बचाए रखने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। ये कचरा बीनने वाले, मजदूरी करने वाले या रिक्शा चलाने वाले लोग हैं, जो पैसा कमाने के लिए गांव-देहात से शहर चले आए हैं। इनमें वे अभागी महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्हें उनके घर से निकाल बाहर किया गया है। वे बच्चे हैं, जो शराबी पिता की मार से बचने के लिए भाग आए हैं। इनमें बूढ़े, बीमार, अपाहिज, मानसिक रोगी सभी तरह के लोग शामिल हैं, जिनके सिर पर आसमान के सिवा कोई दूसरी छत नहीं है।

बहुत कम सरकारें निराश्रितों के लिए सर्दियों में शरणस्थलों का संचालन करती हैं। अब तो उस पुरानी मानवीय परंपरा को भी भुला दिया गया है, जिसके तहत धर्मस्थलों के दरवाजे निराश्रितों के लिए खोल दिए जाते थे। ये बेसहारा लोग खुद ही सूखी लकड़ियां, टहनियां और प्लास्टिक का कचरा बीनकर जलाते हैं और सर्दियों की लंबी रातों से जूझने के लिए खुद को गर्म रखते हैं। इनमें से बहुत थोड़े लोग ही छोटे और लोभी व्यापारियों से अपने लिए रजाई-कंबल खरीद पाते हैं, बाकी लोग नि:शुल्क कंबल बांटने वाले किसी परोपकारी व्यक्ति की दान-दया पर निर्भर रहते हैं। कुछ लोग नशे की मदद से सर्दियों की कठोरता से संघर्ष करने का प्रयास करते हैं। छोटे बच्चे एक-दूसरे के साथ सटकर बैठ जाते हैं और एकजुटता के साथ सर्द हवाओं का मुकाबला करते हैं।

सर्दियों का हर मौसम अपने पीछे निराश्रितों की लाशें छोड़ जाता है। दिल्ली पुलिस ने तो इन लोगों के लिए एक शब्द ही गढ़ दिया है : ‘भिखारी टाइप’। यह शब्द उन लोगों के बारे में बताता है, जो सरकार के लिए कोई अहमियत नहीं रखते। उनकी ठंड से अकड़ चुकी लाशें पोस्टमार्टम की भी हकदार नहीं समझी जातीं। उनकी मौत को इस योग्य भी नहीं माना जाता कि उसके कारणों की जांच-पड़ताल की जाए। सरकारें यह मान चुकी हैं कि गरीबों के प्रति उसके कोई कर्तव्य नहीं हैं। सरकार का कर्तव्य केवल यही है कि वह गरीबों के सिर से छतें छीन ले, उन्हें सार्वजनिक स्थानों से खदेड़ डाले या उन्हें पलायन करने को मजबूर कर दे। नतीजा यह होता है कि ये बेघरबार लोग या तो हरसंभव तरीके से अपनी रक्षा करने को मजबूर हो जाते हैं या फिर सर्दी की सख्ती के आगे दम तोड़ देते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि निराश्रितों की मृत्यु की आशंका केवल सर्दियों में ही नहीं, बल्कि पूरे सालभर सामान्य लोगों की तुलना में पांच गुना अधिक होती है।

पिछली सर्दियों में जब दिल्ली सरकार द्वारा कुछ चुनिंदा शरणस्थलों को भी ध्वस्त कर दिया गया और इस कारण गुब्बारे बेचने वाले एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई तो हमने सर्वोच्च अदालत को पत्र लिखकर यह मांग की कि हर निराश्रित व्यक्ति को स्थायी आश्रय का न्यूनतम अधिकार दिया ही जाना चाहिए। न्यायाधीशों ने स्थिति की संवेदनशीलता को समझा। बेंच ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि निराश्रितों के लिए आश्रय की व्यवस्था की जाए। महज दो दिन में सरकार ने इतने शरणस्थल बना दिए, जितने कि स्वतंत्रता के बाद के इतने सालों में भी नहीं बनाए जा सके थे। फिर हमने अदालत को पत्र लिखकर बताया कि यह समस्या अकेले दिल्ली की ही नहीं, बल्कि देश के सभी शहरों की है और निराश्रितों के लिए केवल सर्दियों का मौसम ही कठिन साबित नहीं होता, बल्कि उनके लिए गर्मियों और बारिश का मौसम भी एक मुश्किल परीक्षा की तरह होता है। अध्ययनों से पता चला था कि वास्तव में भीषण गर्मी के दिनों में मरने वाले लोगों की तादाद सर्दियों में मरने वाले लोगों से भी अधिक होती है।

इसके बाद सर्वोच्च अदालत ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि सभी बड़े शहरों में निराश्रितों के लिए पर्याप्त संख्या में स्थायी व सुविधायुक्त शरणस्थलों की व्यवस्था की जाए। आदेश के बाद प्रारंभिक तौर पर अधिकांश राज्य सरकारों में भ्रम की स्थिति रही। कई सरकारों के पास ऐसा कोई विभाग तक नहीं था, जो शहरी निराश्रितों के कल्याण और पुनर्वास के लिए उत्तरदायी हो। महाराष्ट्र सरकार ने तो यह भी कहा कि मुंबई जैसे शहर में निराश्रितों के लिए किसी तरह के शरणस्थल के निर्माण के लिए जगह ही नहीं है। गुजरात सरकार ने कहा कि वर्ष 2021 से पहले वह ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कर सकती। दिल्ली के निराश्रितों में सबसे बड़ी तादाद बिहार से आए लोगों की है, लेकिन बिहार की सरकार ने एक शपथ पत्र के द्वारा सर्वोच्च अदालत को लिखित में यह उत्तर दिया कि निराश्रितों को भोजन मुहैया कराने से राज्य में अराजकता की स्थिति तक निर्मित हो सकती है। न्यायाधीशों ने सख्त रवैया अपनाते हुए सभी राज्य सरकारों को अधिक मानवीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए निर्देशित किया। हालांकि मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों की सरकारों ने अधिक सकारात्मक रवैया प्रदर्शित करते हुए सर्वोच्च अदालत को आश्वस्त किया था कि उसके आदेशों का पालन किया जाएगा। अलबत्ता एक साल बीतने के बावजूद बहुत कम निराश्रितों को शरणस्थल मुहैया कराए गए हैं, लेकिन कम से कम कुछ योजनाएं तो विचाराधीन हैं।

यह एक गंभीर और विचारणीय स्थिति है। स्वतंत्रता के इतने दशक बाद भी सर्वोच्च अदालत द्वारा सख्त रवैया अख्तियार करने तक किसी राज्य सरकार ने निराश्रितों के संरक्षण के लिए कदम उठाना जरूरी नहीं समझा। हम निराश्रितों के लिए किसी अनुदान की मांग नहीं करते। स्वच्छ और सुरक्षित आवास उनकी न्यूनतम आवश्यकता है, ताकि वे मानवीय गरिमा के साथ अपना जीवन बिता सकें। हमें अपने शहरों को इस तरह नियोजित करना चाहिए कि उसमें रहने और काम करने वाले सभी लोगों के सिर पर एक अदद छत तो हो।

हर्ष मंदर
लेखक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य हैं

जैसे को तैसा: चीनी नागरिकों को भी नत्थी वीजा जारी करेगा भारत!

नई दिल्‍ली. भारत और चीन के बीच नत्‍थी वीजा को लेकर जारी जंग और तेज होने के आसार हैं। अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए नत्‍थी वीजा जारी किए जाने के चीन के कदम पर भारत की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए जाने से निराश राज्‍य के लोगों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की है। इन लोगों ने पड़ोसी देश को भी ‘जैसे को तैसा’ की तर्ज पर नत्‍थी वीजा जारी करने की मांग की।

एक अंग्रेजी अखबार ने पीएम से मिलने गए ऑल अरुणाचल प्रदेश स्‍टूडेंट्स एसोसिएशन (आप्‍सू) के सदस्‍यों के हवाले से दावा किया है कि डॉ. सिंह ने उन्‍हें भरोसा दिलाया है कि चीन को 'जैसे को तैसा' की तर्ज पर जवाब दिया जाएगा। हालांकि पीएमओ या विदेश मंत्रालय की ओर से इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन आप्‍सू के एक सदस्‍य ताकम तातुंग का कहना है कि उन्‍हें आश्‍वासन मिला है कि यदि चीन हमारे लोगों को नत्‍थी वीजा जारी करना बंद नहीं करेगा तो उसके नागरिकों को नत्‍थी वीजा जारी किया जाएगा। 

अखबार ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता विष्‍णु प्रकाश के हवाले से कहा है कि मंत्रालय को पीएम की अरुणाचल के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की जानकारी नहीं है और यह मामला पीएमओ से जुड़ा है। 

आप्‍सू के प्रतिनिधियों की पीएम से मुलाकात की खबरें हाल में मीडिया में आई थीं। तब पीएम की आप्‍सू के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान मौजूद केंद्रीय गृह सचिव के हवाले से मीडिया में यही खबर आई थी कि नत्‍थी वीजा का मुद्दा दो महीने में सुलझा लिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्‍ठ अधिकारी के मुताबिक दोनों देश इस मुद्दे के हल के लिए एक-दूसरे के संपर्क में हैं। 

पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के दो नागरिकों को चीन द्वारा नत्थी वीजा देने की बात सामने आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने उस वक्‍त कड़ा विरोध दर्ज किया था लेकिन किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।

आप्‍सू के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में पीएम ने भरोसा दिलाया कि भारत इस मुद्दे पर गंभीरता से नजर रखे हुए है और अरुणाचल का विकास सरकार की पहली प्राथमिकता है। तातुंग ने कहा, ‘पीएम ने कहा कि वह राज्‍य के विकास और अन्‍य मसलों पर नजर रखने के लिए एक मॉनि‍टरिंग कमेटी का गठन भी करेंगे।’  आप्‍सू प्रतिनिधि ने कहा, ‘हमने पीएम से साफ कह दिया है कि यदि केंद्र सरकार अरुणाचल को लेकर स्‍पष्‍ट नीति बनाने में असफल होती है तो राज्‍य के हालात जम्‍मू कश्‍मीर से भी बदतर हो जाएंगे जहां की सीमा पाकिस्‍तान से जुड़ती है। अरुणाचल की सीमा चीन, म्‍यांमार और भूटान से मिलती है और ये सीमाएं पूरी तरह सील नहीं है।’ 

दैनिकभास्‍कर डॉट कॉम ने आप्‍सू के प्रतिनिधियों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के दो नागरिकों को चीन द्वारा नत्थी वीजा जारी किए जाने का मामला सामने आया था। बीजिंग जा रहे अरुणाचल के दो खिलाडियों को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों ने रोक लिया। उनके पास नत्थी वीजा था इसलिए उन्हें उड़ान की अनुमति नहीं मिली।  चीन के फुजियान में 15 से 17 जनवरी के बीच होने वाली वेटलिफ्टिंग ग्रांड प्री में इन्हें शामिल होना था। चीन के भारोत्तोलन संघ के अध्यक्ष मेंगुआंग ने उन्हें बुलाया था। इन दोनों को दिल्‍ली एयरपोर्ट से लौटा दिया गया क्योंकि भारत ऐसे वीजा को मान्यता नहीं देता।

तीन साल पहले हुई थी शुरुआत : चीन ने नत्थी वीजा देने की शुरुआत 2008 से की थी। उसने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के उन क्षेत्रों के लोगों को इस तरह का वीजा देना शुरू किया था जिन्हें वह विवादित मानता है। पासपोर्ट पर अधिकृत सील-मोहर के बजाय अलग कागज पर दिए गए वीजा को नत्थी वीजा कहते हैं।

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप बीते 20 साल से सत्ता का बनवा...