Friday, February 4, 2011

अवकाशप्राप्त जनरल बना म्यांमार का राष्ट्रपति

Feb 04, 04:36 pm
 
यंगून। म्यांमार में एक अवकाशप्राप्त जनरल को राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया है। इस तरह देश की नई राजनीतिक प्रणाली में सत्ता पर सेना की पकड़ बरकरार रहेगी। म्यांमार के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर को बताया कि थीन सीन को बहुमत से राष्ट्रपति चुन लिया गया। वे सेना छोड़कर पिछले साल हुए विवादास्पद चुनाव में लड़े थे।
सैन्य शासन [जुंटा] के पूर्व प्रधानमंत्री थीन का नाम चुनाव समिति के मतदान से पहले ही तय कर लिया गया। इससे इस आशंका को बल मिला है कि लोकतात्रिक चेहरे के पीछे सैन्य सत्ता को छिपाने के लिए यह राजनीतिक प्रक्रिया अपनाई गई।
जुंटा के शक्तिशाली थान श्वे के प्रमुख सहयोगी 65 वर्षीय थीन ने पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में जुंटा समर्थित यूनियन सोलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी [यूएसडीपी] का नेतृत्व किया था। राष्ट्रपति का पहला काम अब सरकार का गठन होगा और वे आश्वस्त होंगे कि सेना के वर्चस्व वाली संसद से शायद ही उन्हें प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।
सूत्रों ने बताया कि इस बात की उम्मीद है कि वे अपनी नई भूमिका के अलावा प्रधानमंत्री पद भी अपने पास ही रखेंगे।
जटिल संसदीय नियमों के तहत ऊपरी सदन, निचले सदन और सेना के सदस्यों में प्रत्येक एक सदस्य को उप राष्ट्रपति पद के लिए मनोनीत करेगा। इसके बाद चयन समिति तीन उम्मीदवारों में से किसी एक को राष्ट्रपति पद के लिए चुनेगी। देश में 1962 से शासन कर रही सेना का वर्चस्व बरकरार रहने से तीनों सदस्य यूएसडीपी के ही हैं। दो अन्य सदस्यों में एक अवकाश प्राप्त जनरल तिन आग मिंट उू हैं जबकि दूसरे उम्मीदवार साई मोक खाम भी शान स्वे के करीबी सहयोगी हैं।
देश में 1992 से शासन कर रहे थान श्वे ने हालाकि कोई शीर्ष राजनीतिक पद नहीं लिया है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि पर्दे के पीछे से सत्ता पर उनकी ही पकड़ रहेगी। म्यांमार में राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ आग नेंग उू का कहना है कि थान श्वे के पर्दे के पीछे की राजनीति से बदलाव के बहुत कम आसार हैं।
उन्होंने कहा कि अगर थान श्वे हटते हैं तब कुछ भी संभव है। हो सकता है अभी थान श्वे हा में हा मिलाने वाले लगें लेकिन जल्द वह अपनी जगह बना लेंगे। म्यांमार में 20 साल में पहली बार हुए चुनाव से पहले ही एक चौथाई सीटें सेना के लिए छोड़ दी गई थीं। चुनाव के दौरान भी डराने धमकाने और धाधली की खबर आई थी। इसके अलावा देश में लोकतंत्र समर्थक नेता आग सान सू की ने उसमें हिस्सा नहीं लिया था।

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