Friday, February 4, 2011

जैसे को तैसा: चीनी नागरिकों को भी नत्थी वीजा जारी करेगा भारत!

नई दिल्‍ली. भारत और चीन के बीच नत्‍थी वीजा को लेकर जारी जंग और तेज होने के आसार हैं। अरुणाचल प्रदेश के लोगों के लिए नत्‍थी वीजा जारी किए जाने के चीन के कदम पर भारत की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए जाने से निराश राज्‍य के लोगों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की है। इन लोगों ने पड़ोसी देश को भी ‘जैसे को तैसा’ की तर्ज पर नत्‍थी वीजा जारी करने की मांग की।

एक अंग्रेजी अखबार ने पीएम से मिलने गए ऑल अरुणाचल प्रदेश स्‍टूडेंट्स एसोसिएशन (आप्‍सू) के सदस्‍यों के हवाले से दावा किया है कि डॉ. सिंह ने उन्‍हें भरोसा दिलाया है कि चीन को 'जैसे को तैसा' की तर्ज पर जवाब दिया जाएगा। हालांकि पीएमओ या विदेश मंत्रालय की ओर से इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन आप्‍सू के एक सदस्‍य ताकम तातुंग का कहना है कि उन्‍हें आश्‍वासन मिला है कि यदि चीन हमारे लोगों को नत्‍थी वीजा जारी करना बंद नहीं करेगा तो उसके नागरिकों को नत्‍थी वीजा जारी किया जाएगा। 

अखबार ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता विष्‍णु प्रकाश के हवाले से कहा है कि मंत्रालय को पीएम की अरुणाचल के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की जानकारी नहीं है और यह मामला पीएमओ से जुड़ा है। 

आप्‍सू के प्रतिनिधियों की पीएम से मुलाकात की खबरें हाल में मीडिया में आई थीं। तब पीएम की आप्‍सू के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान मौजूद केंद्रीय गृह सचिव के हवाले से मीडिया में यही खबर आई थी कि नत्‍थी वीजा का मुद्दा दो महीने में सुलझा लिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्‍ठ अधिकारी के मुताबिक दोनों देश इस मुद्दे के हल के लिए एक-दूसरे के संपर्क में हैं। 

पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के दो नागरिकों को चीन द्वारा नत्थी वीजा देने की बात सामने आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने उस वक्‍त कड़ा विरोध दर्ज किया था लेकिन किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।

आप्‍सू के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में पीएम ने भरोसा दिलाया कि भारत इस मुद्दे पर गंभीरता से नजर रखे हुए है और अरुणाचल का विकास सरकार की पहली प्राथमिकता है। तातुंग ने कहा, ‘पीएम ने कहा कि वह राज्‍य के विकास और अन्‍य मसलों पर नजर रखने के लिए एक मॉनि‍टरिंग कमेटी का गठन भी करेंगे।’  आप्‍सू प्रतिनिधि ने कहा, ‘हमने पीएम से साफ कह दिया है कि यदि केंद्र सरकार अरुणाचल को लेकर स्‍पष्‍ट नीति बनाने में असफल होती है तो राज्‍य के हालात जम्‍मू कश्‍मीर से भी बदतर हो जाएंगे जहां की सीमा पाकिस्‍तान से जुड़ती है। अरुणाचल की सीमा चीन, म्‍यांमार और भूटान से मिलती है और ये सीमाएं पूरी तरह सील नहीं है।’ 

दैनिकभास्‍कर डॉट कॉम ने आप्‍सू के प्रतिनिधियों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश के दो नागरिकों को चीन द्वारा नत्थी वीजा जारी किए जाने का मामला सामने आया था। बीजिंग जा रहे अरुणाचल के दो खिलाडियों को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों ने रोक लिया। उनके पास नत्थी वीजा था इसलिए उन्हें उड़ान की अनुमति नहीं मिली।  चीन के फुजियान में 15 से 17 जनवरी के बीच होने वाली वेटलिफ्टिंग ग्रांड प्री में इन्हें शामिल होना था। चीन के भारोत्तोलन संघ के अध्यक्ष मेंगुआंग ने उन्हें बुलाया था। इन दोनों को दिल्‍ली एयरपोर्ट से लौटा दिया गया क्योंकि भारत ऐसे वीजा को मान्यता नहीं देता।

तीन साल पहले हुई थी शुरुआत : चीन ने नत्थी वीजा देने की शुरुआत 2008 से की थी। उसने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के उन क्षेत्रों के लोगों को इस तरह का वीजा देना शुरू किया था जिन्हें वह विवादित मानता है। पासपोर्ट पर अधिकृत सील-मोहर के बजाय अलग कागज पर दिए गए वीजा को नत्थी वीजा कहते हैं।

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