Monday, August 27, 2012

सुंदर संयोग के संग मैलोरंग...



सुंदर संयोग के पहिल मंचन मैलोरंग केलक, ई नाटक 1905 इसवी मे जीवन झा जी के द्वारा ई नाटक लिखल गेल छल, हम प्रकाश झा जी के आभार व्यक्त का रहल छी जे ई सुन्दर नाटक के हमरा सब के समक्च अन्लाह और ‘महेंद्र मलंगिया’ सर के द्वारा हमरा सब के ई नाटक के सुन्दर रूप के दरसन भेल.. सब कलाकार बहुत सुन्दर से अपन अपन कार्य केलाह, हमरा सब से सुन्दर काज प्रवीण झा जी के लागल, अद्भुत कार्य केलाह हुनका हमरा तरफ से ढेर सारा बधाई और ई बधाई मैलोरंग के सेहो.. बाकी डिटेल हम अपन ब्लॉग पर लिख का देब...

सुंदर संयोग नाटक ग्रामीण व समाज के पुरुष रूप के प्रभावी जका अयी नाटक के मंचन कईल गेल | जीवन झा जी के द्वारा ई नाटक लिखल गेल छल जाकर महेद्र मलंगिया जी के द्वारा दोबारा लिखल ई नाटक सुन्दर और प्रभावी छल | मिथिला पर ई आधारित नाटक मिथिला के सब रंग से जुरल छल | नाटक के कहानी नव कनिया और वर के समछ छल| अपना सब के ऐथान विवाह के बाद चतुर्थी मे कनिया के दरसन होई छे और ओकरा बादे वर कनिया के देख और गप का सके छे मुदा कनिया के बीमार के समाचार सुनैईत सुंदर अपन ससुरारी से रातो रात चेएल गेला बिना ककरो कीच कहिने | कनी दिन बाद जकहन सरला (कनिया) बैधनाथ धाम गेली और अपन पंडा से जतव गप करे चलाह ओते सरला के मामा मामी सरला के वर के चिन्ह गैलैएन और ओकरा बाद सरला के मामा वर से तबक तक किछु नए कहलखिन जाबे तक हुनका पूरा विस्वास नए भा गेलेइएन... शाली (ज्योति झा) सरला और मिसर के मिलबी मे बहुत योगदान केलक.. ओकरे ई फल जे सरला और मिसर के मिलेबाक मे बहुत योगदान केलक जाही से दुनो दम्पति एक दोसर के चिन्ह के प्रमाण के साथ एक दोसर के भा गेलखिन आयाह छल सुंदर संयोग...


आई नाटक मे सब कलाकार के काज तारीफ के काबिल आएछ, खाश का के प्रवीण झा और अमर जी रॉय के जतेक तारीफ़ काईल जाए वो कम हैत.. नाटक मे म्यूजिक सेहो सुन्दर छल बहुत निक जका राजीव रंजन झा (रोंकस्टार झा) ओये म्यूजिक के सजेने चलाह, मुदा कनिक और सुन्दर भा सके छालाईन, ढोलक के आवाज कखनो काल के कान मे चुभे छल मुदा पूरा देखल जाए तक बहुत सुन्दर प्रस्तुति छल... .नट क भूमिका मे मंच पर संतोष जी के रूप और प्रस्तुति देखि के पूरा श्रीराम सेंटर हंसी के टहका से गुज उठल...

नाटक के बीच मे संवाद मे कखनो काल कनी दिकत बूजाईल जे अभ्‍यास क कमी भा सकेत अईछ.. किछु काल नाटक अपन रास्ता से हैट गेल रहा मुदा प्रकाश झा जी के कुशल नेतृत्व मे ओय बेसी नए ख़राब लागल और नाटक पुनः अपन रास्ता पर आएब गेल..

प्रकाश झा जी और मैलोरंग के टीम के ई मंचन के लेल ढेर सारा बधाई और आशा करे छी जे अहू से सुन्दर सुन्दर नाटक हमरा सब के सामने अन्ता और हमरा सब के अपन मैथिल मैट पैन से अहिना अबगत कर्बिएत रहताह...

अरबिंद झा 

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