Wednesday, November 26, 2014

काले से गोरा बना देने का हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड का कारोबार यानि सबसे बड़ी ठगी


युवा पत्रकार और एक्टिविस्ट पंकज कुमार झा





ज्योतिष के नाम पर ठगी का कारोबार काफी छोटा है. हम हमेशा अपनी आय का एक काफी-काफी छोटा अंश इस नाम पर खर्चते हैं. मसलन कोई दस हज़ार की नौकरी करने वाला होगा तो वो पंडित को 11 रुपया दक्षिणा देगा, कोई करोड़पति होगा तो एक-दो नीलम-पुखराज पहन लेगा. लेकिन इस ठगी के बरक्स ज़रा बड़े ठगों पर ध्यान दीजिये. आज हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड (दुनिया भर में उस देश का नाम और आगे लीवर लिमिटेड जोड़ दीजिये) का काले से गोरा बना देने का कारोबार किस हद तक ठगी का नायब नमूना है, उसे देखिये. ज़रा उसका टर्न ओवर देख लीजिये. कई देशों के जीडीपी से ज्यादा इनकी अकेले आमदनी है.

किसी जान्शन एंड जान्शन या प्रोक्टर एंड गेम्बल द्वारा ऐसे ही की जा रही ठगी और अवैज्ञानिक अंधविश्वास पर नज़र डालिए. विश्व सुन्दरी हमेशा उस देश से बनाए जाने के कारोबार को देखिये जहां बाज़ार की संभावना दिखे. एक विज्ञापन का अंधविश्वास देख लीजिये जिसमें घोषणा की जाती है कि मेरी कंपनी का डियो इस्तेमाल करोगे तो लड़कियां पास आयेंगी.. दूसरे का करोगे तो बस छींक आयेगी. जेनरिक दवाओं के बदले ब्रांडेड का कारोबार देख लीजिये. दो रुपये कीमत वाले रसायन का 2 हज़ार दाम वसूलते दवा कारोबारी को देखिये.

बीज और खाद के नाम पर फैले अन्धविश्वास और ठगी को देख लीजिये. एक रुपया किलो में आलू खरीद 200 रुपया किलो का चिप्स बेचने वाले ठगों को देखिये. सारदा जैसे सैकड़ों कंपनियों द्वारा फैलाये अंधविश्वास को देखिये कि सारा खून-पसीना किसी ममता बनर्जी के पास बंधक रख दीजिये, किरपा आयेगी. मज़हब के नाम पर 'मानव बम' बन जाने वाले अंधविश्वास को देखिये. एक-एक नाकाबिल और अन्धविश्वासी व्यक्ति द्वारा चार-चार लड़कियों की जिन्दगी बर्बाद कर देने वाले कानूनी ठगी को देखिये. 72 हूरों के मिलने का अंधविश्वास और उसे पाने के लिए बहाई जाती खून की नदियों को देखिये. किसी पॉल दिनाकरण को देखिये. इसाई संत बनाने के कारोबार को देखिये. नक्सलवाद के नाम पर हर साल ठगे जा रहे हज़ारों करोड़ को देखिये. फसल की उचित कीमत नहीं मिलने पर किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या और उसी फसल को दस गुना ज्यादा कीमत पर आपको बेचने की ठगी पर नज़र डालिए. मौसम विभाग द्वारा हमेशा गलत अनुमान प्रस्तुत कर देश से हजारों करोड़ झटक लेने की ठगी को देख लीजिये.

तय मानिये... इसकी तुलना में किसी गरीब ज्योतिषी का कारोबार आपको भूसे के ढेर में सूई की मानिंद ही लगेगा. लेकिन भूसे के बदले हमेशा 'सूई' को खोजते रहने की मिडिया की मजबूरी ये है कि जिस दिन 'भूसे' को दमदारी से प्रसारित करना शुरू किया, उसी दिन से उसका बाल-बच्चा पालना मुश्किल हो जाएगा. वो इसलिए क्यूंकि तमाम टीआरपी का अंधविश्वास और विज्ञापन की ठगी का जरिया वही ऊपर वाली चीज़ें हैं. सो... अपनी अकल लगाइए और सोशल मीडिया के ज़माने में अपना एजेंडा खुद सेट कीजिये. किसी सनी लियोनी या चैनल के सितारों को बस मनोरंजन के लिए इस्तेमाल कीजिये. जैसे कभी-कभार वयस्कों वाली फिल्म देखते हैं न, वैसे ही समाचार चैनल भी देखिये. पोर्न स्टार जितना ही 'सम्मान' इस कथित चौथे खम्भे को दीजिये. खुद को फेसबुक पर व्यक्त कीजिये. यहीं से अपना ओपिनियन बनाइये...बस.

और आखिर में तीन किस्से...

पत्रकारिता के एक कनिष्ठ मित्र अपने संपर्क में थे. लगातार फोन आदि करते रहते थे. एक दिन मित्र ने जानकारी दी कि अंतत उनकी नौकरी लग गयी एक बड़े अखबार में. बधाई देने के बाद पूछा कि अभी क्या कर रहे हो वहां? तो बोले कि अभी तो सीख ही रहा हूं. हां.. संपादक के नाम पत्र वाला कॉलम आजकल मैं ही देखता हूं. सारे पत्र मैं ही लिखता हूं. अब ऐसे ही बड़े अखबार दैनिक राशिफल भी खुद ही लिख लेते हैं तो इसमें ज्योतिष का क्या कसूर?

दूसरा किस्सा भारत के प्रधानमंत्री रहे स्व. चन्द्रशेखर के बारे में. यह किसी से सुना था या कहीं कभी पढ़ा था एक बार. ज़ाहिर है उनका कद ऐसा तो था ही कि वो चाहते तो हमेशा मंत्री बने रह सकते थे, वो भी बड़े से बड़ा पोर्टफोलियो लेकर. अपन सब जानते हैं कि उस 'भोंडसी के संत' की ज्योतिष आदि पर भी अगाध आस्था थी. उनके ज्योतिषी ने चन्द्रशेखर से कहा था कि उन्हें राजयोग है तो ज़रूर लेकिन क्षीण योग है. और वो भी बस एक बार ही किसी राजकीय पद तक पहुचा सकता है. कहते हैं कि तभी चन्द्रशेखर जी ने यह तय कर लिया था कि अगर एक बार ही बनना है तो प्रधानमंत्री ही बनेंगे, दूसरा कोई पद नही लेंगे. अब इस बात का कोई आधिकारिक प्रमाण तो हो नही सकता लेकिन अनुभवी लोग शायद इस बात पर कोई प्रकाश डाल पायें.

तीसरा किस्सा मेरे यहां के एक ज्योतिषी कामेश्वर झा जी का. आंखों-देखी झा जी के फलादेश की कहानियां इतनी है मेरे पास कि क्या कहूं? खैर..वो कहानी फिर कभी. अभी बस ये याद आया कि वो पतरा (पंचांग) भी बनाते थे. चन्द्र या सूर्य ग्रहण कब लगेगा, ये जानने उन्हें किसी इसरो या नासा के वैज्ञानिकों के पास नहीं जाना पड़ता था. कॉपी-कलम उठाते थे. कुछ गुणा-भाग किया और बता देते थे कि फलाने दिन चन्द्र ग्रहण तो ठिमकाने दिन सूर्य ग्रहण लगेगा. मजाल है राहू के बाप का कि एक दिन भी वो कामेश्वर जी द्वारा बताये समय पर नहीं हाज़िर हुआ हो, अपने 'शिकार' के पास. बिलकुल चाक-चौबंद और पाबंद रहता था राहु. अपना मूंह फाड़े बिलकुल तैयार. आप अगर चाहते तो अपनी घड़ी सही कर सकते थे राहु की उस सवारी के अनुसार.

भाजपा से जुड़े युवा पत्रकार और एक्टिविस्ट पंकज कुमार झा के फेसबुक वॉल से.

जनता को क्या मिला नेताजी?

 भारत के महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, प्रखर चिन्तक और आदर्श समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया ने महात्मा गांधी को वाइसराय के नाम पत्र लिखने के लिए प्रेरित किया, जिसमें महात्मा गांधी ने लिखा कि अहिंसानिष्ट सोशलिस्ट डॉ. लोहिया ने भारतीय शहरों को बिना पुलिस व फौज के शहर घोषित करने की कल्पना निकाली है। इसके अलावा महात्मा गाँधी ने डॉ. लोहिया की प्रेरणा से 'भारत छोड़ो' आंदोलन चलाया, जिसमें "करो या मरो" का संदेश दिया गया, इस आंदोलन को डॉ. लोहिया ने सफल बनाने में अपनी पूरी शक्ति लगा दी। आज़ादी के बाद वे अंग्रेजों को भगाने की तरह ही अंग्रेजी के विरुद्ध अभियान चलाते रहे, साथ ही लोकसभा में उनकी सर्वाधिक चर्चित बहस को "तीन आना बनाम पन्द्रह आना" के नाम से जाना जाता है, जिसमें उन्होंने 18 करोड़ आबादी के चार आने पर जिंदगी काटने तथा प्रधानमंत्री पर 25 हजार रुपए प्रतिदिन खर्च करने का आरोप लगाया था। 

अब बात करते हैं समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की, जो स्वयं को डॉ. लोहिया के आदर्शों का सब से बड़ा पहरेदार मानते हैं। उनके बेहद खास कहे जाने वाले आजम खां ने अपने गृह नगर रामपुर में उनके  जन्मदिन पर समारोह आयोजित किया, जिसमें सब कुछ अंग्रेजी और कीमती ही था। रामपुर के जिलाधिकारी आवास के सामने से अपने पुत्र मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, भाई शिवपाल सिंह यादव और आजम खां के साथ सवार  होकर लगभग पांच-छः किमी दूर स्थित गांधी समाधि तक मुलायम सिंह यादव दो घोड़ों की बग्घी से गये, उसके बारे में बताया गया कि रानी विक्टोरिया की बग्घी ख़ास उनके लिए लंदन से रामपुर मंगाई गई। पंडाल, मंच और चारों ओर लगे बड़े-बड़े स्क्रीन भी अंग्रेजी तकनीकी वाले ही थे। जन्मदिन के अवसर पर काटी गई विशेष केक के साथ भोजन भी अंग्रेजी तरीकों से ही बनाया गया, इस सब के अलावा लगभग 14 किमी ऐसा क्षेत्र पूरी तरह विशेष सुरक्षा बलों की निगरानी में रहा, जहां आम आदमी बिना जाये रह ही नहीं सकता। अब यहाँ सवाल उठता है कि व्यक्तिगत तौर पर मुलायम सिंह यादव को इस भव्य आयोजन से क्या लाभ हुआ,  समाजवादी पार्टी का क्या हित हुआ?

वास्तव में इस विवादित और भव्य आयोजन से मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी को लेकर आम आदमी के बीच प्रतिकूल संदेश ही गया है। समाजवादी सोच के साथ विवादित और भव्य शब्द जुड़ेंगे, तो स्वाभाविक ही है कि आम आदमी के मन में प्रतिकूल विचार ही आयेंगे और जब यह पहले से निश्चित है, तो विवादित और भव्य आयोजन करने की आवश्यकता क्या थी? यहाँ फिर यह सवाल उठता है कि विवादित और भव्य आयोजन हुआ क्यूं? सवाल यह भी है कि इस आयोजन से लाभ किसे हुआ? 

रामपुर शहर क्षेत्र से विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री के बाद सर्वाधिक शक्तिशाली मंत्री कहे जाने वाले आजम खां की सोची-समझी नीति का हिस्सा प्रतीत होता है यह आयोजन। पुनः वापसी के बाद से वे  पार्टी में हावी हैं और सरकार बनी, तो सरकार पर भी वे लगातार हावी बने हुए हैं। उनके अधिकाँश विरोधी किनारा कर गये हैं। पिछले दिनों थोड़ी सी नाराजगी का असर यह हुआ कि पत्नी को भी पार्टी ने राज्यसभा भेज  दिया। सब कुछ उनके मन के अनुसार हो रहा है, लेकिन वे यह भी जानते ही होंगे कि राजनैतिक वैभव और सम्मान अस्थाई है, इसका कुछ पता नहीं कि कब चला जाये, इसलिए उनका संपूर्ण ध्यान अब अपनी चर्चित मौलाना जौहर अली यूनिवर्सिटी पर आ गया है। पिछले दिनों यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा मिलने से उनकी खुशी सातवें आसमान पर है ही, ऐसे में वे सरकार के रहते यूनिवर्सिटी को और भव्य रूप देना चाहते हैं। शोध, विषय, भवन और स्टाफ के साथ अन्य तमाम आवश्यकताओं की पूर्ति करना चाहते हैं, विस्तार देना चाहते हैं। हालाँकि इस सब से जनता का ही हित होना है, लेकिन अजर-अमर रहने वाला यश और कीर्ति आजम खां को ही
मिलनी है, इसी चाह में उन्होंने यूनिवर्सिटी कैंपस में जन्मदिन मनाने का निर्णय लिया, जिसे मुलायम सिंह यादव टाल ही नहीं सकते थे, क्योंकि भोले से मुलायम सिंह यादव इस प्रस्ताव को सिर्फ अपने प्रति प्रेम और आदर  ही समझे होंगे।

अब बात करते हैं भव्य आयोजन और उस पर हुए व्यय की, तो इसमें भी बुद्धि का विशेष प्रयोग किया गया है। मंच के पीछे लगे होर्डिंग में मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन का उल्लेख तक नहीं है, उसमें मुख्यमंत्री अखिलेश  यादव के कर-कमलों द्वारा साइकिल वितरण समारोह बताया गया है, अर्थात बाहरी तौर पर मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के रूप में समारोह को प्रचारित किया गया, जबकि कागजी तौर पर यह समारोह पूरी तरह सरकारी ही रहा, इसीलिए समस्त विभाग तन-मन और धन से सहयोग कर पाये, लेकिन सरकारी विभागों की ओर से भी मुलायम सिंह यादव को जन्मदिन की शुभकामनायें देने वाले बैनर, पोस्टर, होर्डिंग आदि नहीं लगाये गये। जन्मदिन संबंधी होर्डिंग सड़क किनारे छुटभैयों नेताओं ने ही लगाये, जिससे वातावरण जन्मदिन का ही दिखाई दिया, पर यह सब भी अधिकांशतः यूनिवर्सिटी कैंपस से बाहर तक ही सीमित रहा। कुल मिला कर भव्यता और धन की पूर्ति सरकारी समारोह होने से ही हो गई, लेकिन तमाम जरूरी कार्य ऐसे भी होते हैं, जिनके बिल-बाउचर सरकारी खातों में नहीं डाल सकते, ऐसे कार्यों के लिए धन की पूर्ति आजम खां द्वारा रामपुर जिले में
विशेष तौर पर लाये गये प्रमोटिड जिलाधिकारी सीपी त्रिपाठी ने ही की।

 सीपी त्रिपाठी इससे पहले बदायूं जिले के जिलाधिकारी थे, वहां उन्होंने समस्त विभागों के सहयोग से कई भव्य आयोजन कर सांसद धर्मेन्द्र यादव के लिए प्रसन्न किया था। बदायूं में आयोजित समारोह में आजम खां गये,  तो वे स्वयं सीपी त्रिपाठी के दिमाग का कमाल देख कर स्तब्ध रह गये और जिन्न की तरह इच्छाओं की पूर्ति करने वाले सीपी त्रिपाठी को रामपुर का जिलाधिकारी बना कर ले गये। विरोधी और मीडिया भले ही आजम खां  की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन आयोजन के पीछे मुख्य दिमाग प्रमोटिड जिलाधिकारी सीपी त्रिपाठी का है।
प्रमोटिड जिलाधिकारी सीपी त्रिपाठी के प्रयासों से शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री आजम खां के नंबर मुलायम सिंह यादव की नजर में भले ही और अधिक बढ़ गये हों, लेकिन आम आदमी की नजर में जिलाधिकारी सीपी त्रिपाठी  पूरी तरह फेल नजर आये। आजम खां को खुश करने की अति में सीपी त्रिपाठी ने रामपुर शहर के ही नहीं, बल्कि जिले भर के स्कूलों के बच्चे और अध्यापक सुबह ही बुला लिए और जिलाधिकारी आवास से लेकर यूनिवर्सिटी  की ओर जाने वाले मार्ग के किनारे रामपुर के बाहर करीब 8 किमी दूर तक कतार में खड़े कर दिए, जिनके हाथों में फूल थे, मुलायम को शुभकामनायें देते हुए तख्तियां थीं और गुब्बारे आदि थे। बच्चे सुबह 11 बजे के  आसपास बुला लिए गये और शाम 7 बजे के आसपास छोड़े गये, जिनमें 4 साल के बच्चे से लेकर बीस साल तक की आयु वर्ग के थे। हाई स्कूल, इंटर के छात्र-छात्राओं के साथ उनके साथ आई  अध्यापिकाओं का बुरा हाल हो गया, ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चार-पांच और छः साल वर्ष तक के बच्चों का क्या हाल हुआ होगा। परेशानी यहीं तक सीमित नहीं रही, जब छोटे बच्चे दोपहर एक-दो बजे तक घर नहीं लौटे,  तो उनके परेशान माता-पिता भी मौके पर आ गये, तो उन्हें भी अंत तक खड़ा रहना पड़ा, इसके अलावा रामपुर को जोड़ने वाले अधिकाँश मार्गों की यातायात व्यवस्था बाधित कर दी गई एवं शहर का मुख्य सिविल लाइन क्षेत्र  सुबह से ही बंद कर दिया गया, जिससे शहर के साथ जिले भर में हाहाकार मचा रहा।

दर्दनाक बात तो यह रही कि जिलाधिकारी आवास के सामने मुलायम सिंह यादव बग्घी में बैठे, वहीं उनकी बग्घी को सैकड़ों सपा  कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने चारों दिशाओं से घेर लिया और अंत तक घेरे ही रहे, जिससे सुबह से कतार बनाये खड़े हजारों बच्चों को मुलायम सिंह यादव देखने तक को नहीं मिले, साथ ही भीड़ के दबाव में जवान छात्रायें व अध्यापिकायें असहज भी नजर आईं। यातायात व्यवस्था को आंशिक तौर पर बाधित करना और चुनिंदा बच्चों के मंच पर कार्यक्रम करा देना सराहनीय कार्य होता, लेकिन जिलाधिकारी सीपी त्रिपाठी की अदूरदर्शिता के चलते आम जनता, अध्यापिकायें, बच्चे और उनके अभिवावक शीर्ष नेतृत्व को ही कोसते नजर आये। जिलाधिकारी सीपी त्रिपाठी के मौखिक तानाशाही पूर्ण आदेश का ही दुष्परिणाम कहा जायेगा कि मुलायम सिंह यादव को शुभकामनायें देने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा संचालित कॉलेज के छात्र-छात्रायें भी कतार में ही नहीं खड़े थे, बल्कि नाच-गा भी रहे थे। संघ के शीर्ष नेतृत्व के संज्ञान में यह सब नहीं पहुंचा है। अगर, संघ की ओर से यह जवाब माँगा गया कि उनके कॉलेज के छात्र-छात्राओं को जबरन क्यूं बुलाया गया, तो इसका जवाब जिलाधिकारी सीपी त्रिपाठी ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी देते नहीं बनेगा।

खैर, भव्य आयोजन था और राजनैतिक समारोह था, तो तमाम कमियां भी हो सकती हैं और विवाद भी स्वाभाविक ही हैं। बग्घी इंग्लैण्ड से आई या रामपुर में ही खड़ी थी, वो अंग्रेजी काल की है या आज़ाद भारत की?  समारोह शालीन और सहज था या अतिवादी? धन कितना खर्च हुआ और किस स्रोत से हुआ? ऐसे अन्य तमाम सवालों को किनारे रख देते हैं, फिर भी एक नया सवाल यह उठ रहा है कि समाजवादी मुलायम सिंह यादव का  कद सामंतवादी व्यवस्था पर सवार होने से बढ़ेगा या घटेगा?, वैसे मुलायम सिंह यादव ने आज तक स्वयं को सुप्रीमो कहने पर भी आपत्ति दर्ज नहीं कराई है, ऐसे में उनका बग्घी पर बैठना कोई बड़ी घटना नहीं मानी जानी  चाहिए, क्योंकि सुप्रीमो, मुखिया और प्रमुख शब्द समाजवादियों के लिए नहीं बनाये गये थे, ऐसे माहौल में कल्पना करने की बात तो यह है कि अगर, डॉ. लोहिया कहीं से यह सब देख रहे होंगे, तो उनकी  मनःस्थिति क्या होगी?


Wednesday, February 19, 2014

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी कि जीवन परिचय

 नरेन्द्र दामोदरदास मोदी
जन्म :- 17 सितंबर, 1950

जन्म भूमि :- वड़नगर, मेहसाणा ज़िला, गुजरात

पद :- चौदहवें मुख्यमंत्री, गुजरात

कार्यकाल :- 7 अक्टूबर, 2001 से अब तक

विद्यालय :- गुजरात विश्वविद्यालय

शिक्षा :- एम.ए (राजनीति शास्त्र)

पुरस्कार उपाधि :- देश के सबसे श्रेष्ठ ई-गवर्न्ड राज्य का ELITEX 2007 - पुरस्कार भारत की केन्द्र सरकार की ओर से प्राप्त।

जीवन परिचय:-
नरेंद्र मोदी को अपने बाल्यकाल से कई तरह की विषमताओं एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है, किन्तु अपने उदात्त चरित्रबल एवं साहस से उन्होंने तमाम अवरोधों को अवसर में बदल दिया, विशेषकर जब उन्होने उच्च शिक्षा हेतु कॉलेज तथा विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उन दिनों वे कठोर संद्यर्ष एवं दारुण मन:ताप से घिरे थे, परन्तु् अपने जीवन- समर को उन्होंने सदैव एक योद्धा-सिपाही की तरह लड़ा है। आगे क़दम बढ़ाने के बाद वे कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखते, साथ-साथ पराजय उन्हें स्वीकार्य नहीं है। अपने व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं के चलते उन्होंने राजनीति शास्त्र विषय के साथ अपनी एम.ए की पढ़ाई पूरी की।

राजनीतिक जीवन:-
1984 में देश के प्रसिद्ध सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) के स्वयं सेवक के रूप में उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की। यहीं उन्हें निस्वार्थता, सामाजिक दायित्वबोध, समर्पण और देशभक्ति के विचारों को आत्म सात करने का अवसर मिला। अपने संघ कार्य के दौरान नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। फिर चाहे वह 1974 में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ चलाया गया आंदोलन हो, या 19 महीने (जून 1975 से जनवरी 1977) चला अत्यंत प्रताडि़त करने वाला 'आपात काल'हो।

भाजपा में प्रवेश:-
1987 में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) में प्रवेश कर उन्होंने राजनीति की मुख्यधारा में क़दम रखा। सिर्फ़ एक साल के भीतर ही उनको गुजरात इकाई के प्रदेश महामंत्री (जनरल सेक्रेटरी) के रूप में पदोन्नत कर दिया गया। तब तक उन्होंने एक अत्यंत ही कार्यक्षम व्यवस्थापक के रूप में प्रतिष्ठा हासिल कर ली थी। पार्टी को संगठित कर उसमें नई शक्ति का संचार करने का चुनौतीपूर्ण काम भी उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस दौरान पार्टी को राजनीतिक गति प्राप्त होती गई और अप्रैल, 1990 में केन्द्र में साझा सरकार का गठन हुआ। हालांकि यह गठबंधन कुछ ही महीनो तक चला, लेकिन 1995 में भाजपा अपने ही बलबूते पर गुजरात में दो तिहाई बहुमत हासिल कर सत्ता में आई।

व्यक्तित्व नरेन्द्र मोदी:-
नरेन्द्र मोदी की छवि एक कठोर प्रशासक और कड़े अनुशासन के आग्रही की मानी जाती है, लेकिन साथ ही अपने भीतर वे मृदुता एवं सामर्थ्य की अपार क्षमता भी संजोये हुए हैं। नरेन्द्र मोदी को शिक्षा-व्यवस्थामें पूरा विश्वास है। एक ऐसी शिक्षा-व्यवस्थाजो मनुष्य के आंतरिक विकास और उन्नति का माध्यम बने एवं समाज को अँधेरे, मायूसी और ग़रीबी के विषचक्र से मुक्ति दिलाये। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नरेन्द्र मोदी की गहरी दिलचस्पी है। उन्होंने गुजरात को ई-गवर्न्ड राज्य बना दिया है और प्रौद्योगिकी के कई नवोन्मेषी प्रयोग सुनिश्चित किये हैं। 'स्वागत ऑनलाइन' और 'टेलि फरियाद' जैसे नवीनतम प्रयासों से ई-पारदर्शिता आई है, जिसमें आम नागरिक सीधा प्रशासन के उच्चतम कार्यालय का संपर्क कर सकता है। जनशक्ति में अखण्ड विश्वास रखने वाले नरेन्द्र मोदी ने बखूबी क़रीब पाँच लाख कर्मचारियों की मज़बूत टीम की रचना की है। नरेन्द्र मोदी यथार्थवादी होने के साथ ही आदर्शवादी भी हैं। उनमें आशावाद कूटकूट कर भरा है। उनकी हमेशा एक उदात्त धारणा रही है कि असफलता नहीं, बल्कि उदेश्य का अनुदात्त होना अपराध है। वे मानते हैं कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए स्पष्ट दृष्टि, उद्देश्य या लक्ष्य का परिज्ञान और कठोर अध्यवसाय अत्यंत ही आवश्यक गुण हैं।

पुरस्कार:-
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यकाल के दौरान राज्य के पृथक-पृथक क्षेत्रों में 60 से अधिक पुरस्कार प्राप्त किये हैं। उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया जा रहा है-

16-10-2003 आपदा प्रबंधन और ख़तरा टालने की दिशा में संयुक्त राष्ट्र की ओर से सासाकावा पुरस्कार।

अक्टूबर-2004 प्रबंधन में नवीनता लाने के लिए 'कॉमनवेल्थ एसोसिएशन्स' की ओर से CAPAM गोल्ड पुरस्कार।

27-11-2004 'इन्डिया इन्टरनेशनल ट्रेड फेयर-2004 में इन्डिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर गुजरात्स एक्सेलन्स' की ओर से 'स्पेशल कमेन्डेशन गोल्ड मेडल' दिया गया।

24-02-2005 भारत सरकार की ओर से गुजरात के राजकोट ज़िले में सेनिटेशन सुविधाओं के लिए 'निर्मल ग्राम' पुरस्कार दिया गया।

25-04-2005 भारत सरकार के सूचना और तकनीकी मंत्रालय और विज्ञान-तकनीकी मंत्रालय द्वारा 'भास्कराचार्य इन्स्टिट्यूट ऑफ स्पेस एप्लिकेशन' और 'जिओ-इन्फर्मेटिक्स' गुजरात सरकार को "PRAGATI" के लिए 'एलिटेक्स' पुरस्कार दिया गया।

21-05-2005 राजीव गांधी फाउन्डेशन नई दिल्ली की ओर से आयोजित सर्वेक्षण में देश के सभी राज्यों में गुजरात को श्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार मिला।

01-06-2005 भूकंप के दौरान क्षतिग्रस्त हुए गुरुद्वारा के पुनःस्थापन के लिए यूनेस्को द्वारा 'एशिया पेसिफिक हेरिटेज' अवार्ड दिया गया।

05-08-2005 'इन्डिया टुडे' द्वारा श्रेष्ठ निवेश पर्यावरण पुरस्कार दिया गया।

05-08-2005 'इन्डिया टुडे' द्वारा सर्वाधिक आर्थिक स्वातंत्र्य पुरस्कार दिया गया।

27-11-2005 नई दिल्ली में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में गुजरात पेविलियन को प्रथम पुरस्कार मिला।

14-10-2005 गुजराती साप्ताहिक चित्रलेखा के पाठकों ने श्री नरेन्द्र मोदी को 'पर्सन ओफ द इयर' चुना। इस में टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा दूसरे क्रम पर और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन तीसरे स्थान पर रहे। ये पुरस्कार दिनांक 18-05-2006 को दिये गये।

12-11-2005 इन्डिया टेक फाउन्डेशन की ओर से ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और नवीनता के लिए इन्डिया टेक्नोलोजी एक्सेलन्स अवार्ड दिया गया।

30-01-2006 इन्डिया टुडे द्वारा देश व्यापी स्तर पर कराये गये सर्वेक्षण में श्री नरेन्द्र मोदी देश के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री चुने गये।

23-03-2006 सेनिटेशन सुविधाओं के लिए केन्द्र सरकार द्वारा गुजरात के कुछ गाँवों को निर्मल ग्राम पुरस्कार दिये गये।

31-07-2006 बीस सूत्रीय कार्यक्रम के अमलीकरण में गुजरात एक बार फिर प्रथम स्थान पर रहा।

02-08-2006 सर्व शिक्षा अभियान में गुजरात देश के 35 राज्यों (28+7) में सबसे प्रथम क्रमांक पर रहा।

12-09-2006 अहल्याबाई नेशनल अवार्ड फंक्शन, इन्दौर की ओर से पुरस्कार।

30-10-2006 चिरंजीवी योजना के लिए 'वोल स्ट्रीट जर्नल' और 30-10-2006 चिरंजीवी योजना के लिए 'वोल स्ट्रीट जर्नल' और 'फाइनान्सियल एक्सप्रेस' की ओर से (प्रसूति समय जच्चा-बच्चा मृत्यु दर कम करने ले लिए) सिंगापुर में 'एशियन इन्नोवेशन अवार्ड' दिया गया

04-11-2006 भू-रिकार्ड्स के कम्प्यूटराइजेशनके लिए चल रही ई-धरा योजना के लिए ई-गवर्नन्स पुरस्कार।

10-01-2007 देश के सबसे श्रेष्ठ ई-गवर्न्ड राज्य का ELITEX 2007- पुरस्कार भारत की केन्द्र सरकार की ओर से प्राप्त।

05-02-2007 इन्डिया टुडे-ओआरजी मार्ग के देशव्यापी सर्वेक्षण में तीसरी बार श्रेष्ट मुख्यमंत्री चुने गये। पाँच साल के कार्यकाल में किसी भी मुख्यमंत्री के लिए यह अनोखी सिद्धि थी। आग की तरहा फैला दो इस खबर को शेयर शेयर नरेंद्र मोदी जी के फैन्स फैलादो इस न्यूज़ को आग की तरहा सिर्फ दो सेकंड देकर।

मोदीजी ने कहा है की वे यदि सत्ता में आते है तो इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्साइज ड्यूटी आदि को ख़त्म कर देंगे। और बैंक
ट्रांजेकशन पर 1 से 1.5% ट्रांजेकशन लगाया जायेगा।अब आप सोचेंगे की इस तरह टैक्स ख़त्म कर देने से देश कैसे चलेगा।इन टैक्सो से हमारे देश को 14 लाख करोड़ की आमदनी होती है जिससे देश का बजट बनता है। इसके बदले बैंक ट्रांजेकशन पर 1से 1.5% चार्जेज लगाया जायेगा जिससे देश को 40लाख करोड़ की आमदनी होगी जो की मोजूदा बजट से लगभग 3गुना है। जो आगे बढकर 60 लाख करोड़ हो जाएगी। अब आप सोचे जब इनकम टैक्स,सेल्स टैक्स,एक्साइज ड्यूटी,नही होगी तो आप ही सोचिये आपको टेक्सो की चिंता नही होगी। आपको बिल बुक्स आदि नही रखना पड़ेगा। सारा काम 1 नम्बर में होगा सारी इनकम व्हाइट में होगी। बुक्स आपको रखने की झंझट नहीं रहेगी। सारी काली कमाई सफ़ेद हो जाएगी। और आप भी निश्चिंत हो जायेंगे। इसके साथ ही मोदीजी ने ये भी कहा है की 1000/- 500/-के नोट भी बंद किये जायेंगे और इलेक्ट्रोनिक करेंसी को तरजीह दी जाएगी ताकि अधिकतम कार्य बैंक के द्वारा किये जाये। इन विभागों के कर्मचारियों को इंडिया इन्फ्रा डेवलपमेंट के तहत देश में बुनियादी सुविधाओ का विकास करेंगे। यदि मोदीजी सत्ता में आते है तो आप ही सोचिये देश का चोतरफा विकास होगा। भारत को विश्व बैंक से लोन लेने की आवश्यकता नही होगी। भारत फिर विश्व गुरु बनेगा। यदि आप भी मोदीजी के इस नज़रिए से सहमत है तो आप भी इस मोदीजी के नज़रिए को हर उस नागरिक तक पहुचाये जो देशभक्त है।

नमो नमो.......

जय हिन्द...

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप

प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पर प्रदेश महासचिव कुलजीत चहल पार्टी और वरिष्ठ नेताओं की छवि धूमिल करने के गंभीर आरोप बीते 20 साल से सत्ता का बनवा...