
वो जमाना आज के मुकाबले अलग था । उस जमाने में
माबाप के आगे बच्चों का कुछ नही चलता था । अगर बच्चा विद्रोह भी करता तो माबाप तो
बाजुमें रहते सारे गांव के चाचे ताउ कान खिंचने लग जाते । बच्चे सब की ईज्जत करते
थे तो मजबूर हो जाते थे, बडों की बात मानने के लिए । इसी आधार पर मा बापने
जशोदाभाभी से उनका ब्याह करवा दिया,१९६८ में । लेकिन देश सेवा की ईतनी लगन लगी थी
की ईसने जशोदाभाभी का स्विकार (गौना नही करवाया , असली शादी गौना होता था, इससे
पहले लडके लडकी एक दुसरे का मुह भी नही देखते ) नही किया, चल पडे घर छोड कर । पिता
भारत और मां भारती की सेवा के लिए अपने खूद के माबाप की भावना को ठेस पहुंचाया ।
ये किशोरावस्था थी, जहां आदमी दोराहे पे खडा होता है । उसने बडी राह, देशसेवा की
राह पकडली ।
दौरान पोलिटिकल सायन्स की डिग्री हासिल कर ली ।
आर.एस.एस के प्रचारक भी बन गया । आज भारत के कितने नेता के पास पोलिटिकल सायन्स की
सामान्य डिग्री भी है ?
२००७ में नरेन्द्रभाई के साले साबह अशोकभाईने
कोशीश की दीदी और जीजा को मिलाने की लेकिन सफलता नही मिली । मोदी का कहना है के
मेरा २४ घंटा सिर्फ देश के लिये ही है । ५ मिनिट भी मै किसी सगे को नही दे सकता ।
बात भी सही है । अपनी मां के अलावा उसे कोइ सगा मिल नही सकता, अपने सगे भाई भी नही
। उन के सगे चचेरे भाई को मैंने कहा था तू अब नरेंद्रभाई के पास चला जा कहीं अच्छी
जगह सेट कर देंगे मैं ईस मंदी मे कितना पगार दे देता हुं । उसने मुझे बताया छोडो
सब । वो चले गए उस के बाद मेरा जनम हुआ है । मैंने भी उन्हें एक ही बार देखा है ।
उन्होंने मुझे देखा है की नही मालुम नही । अपने भाई को भी घुसने नही देते तो मै
क्यों जाउ ।
उस की बात सही थी । मोदी गांव छोडकर गये तो किसी
को पता नही था वो कहां है । कहा जाता है वो सिर्फ दो बार गांव आये हैं । एक बार
पिता के अवसान के समय और दुसरी बार स्कूल की निव रखने के कार्यक्रम के लिए । उस
समय भीड में उनकी छोटी बेहन भी उन्हें देखने आई थी, पास जानेकी हिम्मत नही कर पाई
थी । मोदीने देख लिया या किसीने ध्यान दिलाया तो वो खूद उसके पास गये और हालचाल
पूछ लिया ।
जब मोदी पहलीबार मुख्यमंत्री बने तो उनका ही बचपन
का दोस्त उन पर उबल पडा था । ” ये घांची अब तक लुक्खे की तरह भटकता था तो घर नही
चला सकता था, अब नेता हो गया है, अब क्या कमी है, अब बहु को बुला लेना चाहिए ” ।
ये एक आम आदमी की आवाज थी । आम आदमी सोचता है की नेता बनते ही पैसे का पेड लग जाता
है । बस अब उसे खा-पिकर राज करना है । आम नेता के लिए ये सही बात होगी मोदी के लिए
नही ।

लेकिन इस दौरान ये पतिपत्नी समाज से आगे बढ गए ।
भाभीने ठान लिया की मैं तलाक नही लुंगी । मरते दमतक नरेन्द्र ही मेरा पति रहेगा ।
और नरेन्द्रभाई भी मजबूर है । देश सेवा का ईतना बडा भार उठा लिया है की २४ घंटे में
से ५ मिनट भी वो भाभी या अन्य सगे को नही दे सकते । भाभी भी ये समज चुकी है । देश
के लिये आदमी मर जाता है तो ये तो सिर्फ पति का वियोग ही है ।
.

नरेंद्रभाई आज जीस स्थान पर खडे हैं उन के पिछे वो
पतिपत्नि का त्याग बहुत बडी भुमिका निभा चुका है । उन के निजी जीवन में हमारा कोइ
अधिकार नही बनता दखल देने का । मिडिया में ये बात को गलत अंदाज में उछाला
गया तो ये लिखना पडा...
No comments:
Post a Comment