Thursday, February 3, 2011

विकी खुलासा: भारत-पाकिस्‍तान में परमाणु युद्ध का खतरा

नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान के बीच अगर मौजूदा तनाव जारी रहा तो पड़ोसी मुल्कों के बीच परमाणु युद्ध की आशंका है, जिसमें लाखों लोग मारे जाएंगे। अमेरिका के रक्षा मुख्यालय पेंटागन की 2002 की एक रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव के चलते दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध होने की आशंका जताई गई है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध की सूरत में करीब 1.20 करोड़ लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह खुलासा खोजी वेबसाइट विकीलीक्स ने किया है। 

इसके मुताबिक एशिया में तनाव लगातार बढ़ रहा है और यह तनाव कभी भी परमाणु युद्ध का रूप ले सकता है। दुनिया के इस हिस्से में युद्ध की आशंका के चलते कई देशों में परमाणु हथियारों और मिसाइलों की खतरनाक होड़ चल रही है और इससे ऐटमी युद्ध की आशंका बढ़ गई है।

एशिया के जो देश इन दिनों तेजी से ऐटमी हथियार बना रहे हैं, उनमें ईरान, उत्तर कोरिया, सीरिया, पाकिस्तान और चीन शामिल हैं। ऐटमी हथियारों के अलावा ये देश रासायनिक और जैविक (बायोलॉजिकल) हथियारों का विकास भी कर रहे हैं। 

गुप्त राजनयिक दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि 2008 में एक परमाणु अप्रसार सम्मेलन में अमेरिका की तरफ से दिए गए बयान में कहा गया था कि दक्षिण एशिया में परमाणु हथियारों और मिसाइलों की होड़ के चलते दुनिया की सबसे घनी आबादी और आर्थिक तौर पर अहम इलाके में युद्ध छिड़ सकता है। 

इसी सम्मेलन में मध्य एशियाई और उत्तर कोरिया जैसे देशों में हथियारों की होड़ को लेकर भी चिंता जताई गई थी। विकीलीक्स द्वारा किए गए खुलासे में यह बात भी सामने आई है कि सीरिया और उत्तर कोरिया रासायनिक और जैविक हथियार बना रहे हैं। लेबनान के आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह का समर्थन करने वाला सीरिया रासायनिक हथियारों का विकास कर रहा है। व्यापक विनाश के हथियारों के निर्माण से जुड़ी सीरिया की एक कंपनी ने दिसंबर, 2008 में दो भारतीय कंपनियों से रिएक्टर, हीट एक्सचेंजर और पंप खरीदने की कोशिश कर रही थी, जिसपर अमेरिका ने आपत्ति जताई थी। 

अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस ने भारत स्थित अमेरिकी दूतावास को एक कड़ा संदेश जारी करते हुए निर्देश दिया था कि अमेरिकी राजनयिक भारत से इन सामानों की बिक्री पर रोक लगाने को कहें। राइस ने अपने संदेश में भारत को उस वादे की याद दिलाई जिसमें कहा गया था कि रासायनकि हथियार बनाने में किसी भी देश को कभी भी मदद नहीं करेंगे। इसी तरह से मार्च, 2008 में अमेरिकी राजनयिकों ने चीन सरकार से उत्तर कोरिया को खतरनाक हथियार बेचने वाली कंपनी की जांच करने को कहा था

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