Saturday, January 29, 2011

जासूसी के शक में करमापा पर चल सकता है केस, दोबारा हो रही पूछताछ


नई दिल्ली/धर्मशाला. हवाला कारोबार और चीन का जासूस होने के आरोपों का सामना कर रहे बौद्ध धर्म के तिब्बती गुरु करमापा उग्येन दोर्जे से शनिवार की दोपहर में पुलिस और खुफिया एजेंसी के अधिकारी दोबारा पूछताछ कर रहे हैं। इससे पहले शुक्रवार रात में भी दोर्जे से पूछताछ की गई। इस बारे में ब्योरा आज सामने आ सकता है। बताया जा रहा है कि दोर्जे शनिवार सुबह की प्रार्थना में शामिल नहीं हुए। माना जा रहा है कि दोर्जे से पूछताछ के बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। दोर्जे के पास कोई कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए कोई राजनयिक विशेषाधिकार (इम्युनिटी) नहीं है और भारतीय कानूनों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।   

हिमाचल प्रदेश में करमापा के मठ और दिल्ली के मजनू का टीला से 23 देशों की मुद्राओं में करीब 7 करोड़ रुपये की रकम बरामद की गई है। इस बरामदगी के बाद शक जताया जा रहा है कि करमापा के तार चीन से जुड़े हो सकते हैं। उधर, करमापा के कार्यालय की ओर से साफ किया गया है कि करमापा कानूनी कार्रवाई में सहयोग करने के लिए तैयार हैं। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'भारत तिब्बत की सरकार को मान्यता नहीं देता है तिब्बत की किसी निष्कासित सरकार को भारत मान्यता नहीं देता है। भारत धर्मशाला में तिब्बतियों की सरकार को दलाई लामा का एक ब्यूरो भर मानता है। भारत के लिए तिब्बती शरणार्थी हैं, उनके पास कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए कोई अधिकार नहीं हैं। अधिकारी ने कहा कि कानून अपना काम करेगा।'  हालांकि कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक 1985 से पहले जन्मे तिब्बती शरणार्थी भारतीय नागरिकता ले सकते हैं।

भारत ने लगा रखी हैं बंदिशें, करमापा भी नहीं मानती 
 भारत सरकार को जब यह अंदेशा हुआ कि दोर्जे का तिब्बत से भागना और भारत आकर रहना चीन की बड़ी योजना का हिस्सा था, उसके बाद भारत ने दोर्जे की गतिविधियों पर लगाम लगा दी थी। सूत्रों ने एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा कि वह करमापा भी नहीं हैं और वह सिर्फ उग्येन दोर्जे हैं। भारत सरकार ने साफ किया है कि करमापा दलाई लामा के संभावित उत्तराधिकारियों में से एक हैं, लेकिन अभी उन्हें चुना जाना बाकी है। वहीं, एक अन्य अधिकारी का कहना है कि भारत तिब्बती धर्मगुरुओं को धार्मिक नेता ही मानता है, इसलिए उनके साथ वही बर्ताव किया जाएगा तो भारतीय धर्मगुरुओं के साथ किया जाता है। 

दोर्जे पर ज़मीन खरीदने का आरोप

दोर्जे पर आरोप है कि उन्होंने धर्मशाला के पास कोटला गांव में किन्नौर की किसान माया देवी के नाम से जमीन का एक बड़ा टुकड़ा खरीदा हुआ है। पुलिस इस खरीद के बदले चुकाई गई रकम के स्रोत की जांच कर रही है और कांगड़ा के जिलाधिकारी के पास यह मामला लटका हुआ है। इस मामले में अगली सुनवाई 23 मार्च को होनी है। हिमाचल पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक तिब्बती शरणार्थियों के करीब 400 बेनामी जमीन सौदों के बारे में पुलिस को जानकारी है और इनमें से 263 में मामले भी दर्ज हैं।  


चीन का जासूस होने का शक 

केंद्र सरकार ने करमापा उग्येन दोर्जे के हिमाचल प्रदेश स्थित अस्थायी आवास से करोड़ों रुपए की विदेशी मुद्रा बरामद होने पर गंभीर चिंता जताई है। सरकार को संदेह है कि दोर्जे चीन के लिए एजेंट के रूप में काम कर रहा था। केंद्र सरकार इस मामले की जांच करेगी। जांच एजेंसियों ने पता लगाया है कि करमापा चीन प्रशासन के लगातार संपर्क में थे। वे कश्मीर में लद्दाख से अरुणाचल में तवांग तक स्थित बौद्ध मठों पर नियंत्रण के लिए चीन की मदद कर रहे थे। जब उनके निवास पर छापा मारा गया तो करमापा घर में ही थे और उन्होंने कार्रवाई का कोई विरोध नहीं किया। 

सरकारी सूत्रों का कहना है कि दोर्जे के चीन से संबंध स्पष्ट हैं। 17वें करमापा को हमेशा से ही चीन का आदमी माना जाता रहा है। चीन हिमालय सीमा लद्दाख से तवांग पर स्थित सभी बौद्ध मठों पर अपने नियंत्रण का प्रयास करता रहा है और करमापा उसकी मदद करता आया है। सूत्रों के मुताबिक करमापा पहले चीन में रहता था और फिर भारत आया था। उस पर काफी पहले से ही संदेह रहा है। करमापा की गतिविधियों को लेकर भी संशय रहा है क्योंकि यह देखा गया कि वह धार्मिक भावनाओं की आड़ लेकर चीन का एंजेडा चला रहा था। सूत्रों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों ने करमापा पर काफी समय से नजर रखी हुई थी। करमापा के 2000 में तिब्बत से भागने को भारतीय एजेंसियां हमेशा से ही शक की नज़र से देखती रही हैं। करमापा ने दावा किया था वे चीन सरकार को चकमा देते हुए नेपाल पहुंचे थे। 25 साल के दोर्जे ने जनवरी, 2000 में तिब्बती से भागने की वजह से सुर्खियां बटोरी थीं। उस समय उनकी उम्र महज 14 साल थी।  

खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक एजेंसियों के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि करमापा के तार चीन से जुड़े हुए हैं। उनका कहना है कि करमापा के निवास से 11 लाख युआन (करीब 77 लाख रुपये)  मिलना सिर्फ हमारे अंदेशे को पुख्ता करता है। खुफिया एजेंसियों को शक है कि करमापा दोर्जे चीन के एजेंट के तौर पर चीन की ओर दोस्ताना रुख रखने वाले तिब्बती संस्थान पूरे हिमालय क्षेत्र में खड़ा करने का काम कर रहे हैं। 

सिद्धबाड़ी में करमापा नजरबंद

करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे को उनके सिद्धबाड़ी स्थित अस्थायी निवास पर अघोषित नजरबंद कर दिया गया है। ग्यूतो तांत्रिक विवि सिद्धबाड़ी स्थित करमापा के कार्यालय व आवास के बाहर सशस्त्र पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस करमापा सहित उनके अन्य प्रमुख सहयोगियों से किसी भी समय पूछताछ कर सकती है। उधर, शुक्रवार को दलाईलामा कर्नाटक के लिए रवाना हो गए। करमापा को भारत ने सामान्य तिब्बती की तरह शरण दे रखी है। ऐसे में सशस्त्र पहरे के कदम को अलग नजर से देखा जा रहा है।

करमापा अकाउंटेंट कार्यालय से पुलिस को भारत और 25 अन्य देशों की मुद्रा बरामद हो चुकी है, जिनकी कीमत करीब छह करोड़ है। इनमें चीनी मुद्रा के 11 लाख युआन भी शामिल हैं। इसके अलावा 6 लाख यूएस डॉलर, 30 लाख भारतीय मुद्रा सहित ताइवान, नेपाल, कनाडा, डेनमार्क, सिंगापुर, हांगकांग व जर्मनी की मुद्राएं शामिल हैं। करमापा के अस्थायी निवास से बरामद भारतीय और विदेशी मुद्रा की गिनती अभी जारी है। मैहतपुर में गाड़ी में एक करोड़ ले जाते वक्त गिरफ्तार युवकों की सूचना पर पुलिस ने ग्यूतो तांत्रिक विश्वविद्यालय में बुधवार रात ढाई बजे छापा मारा था। 

अकाउंटेंट कार्यालय से बरामद भारतीय और विदेशी मुद्रा को गिनने के लिए नोट गिनने वाली मशीन लगानी पड़ी है। करीब दो दर्जन पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी भी इसमें जुटे हैं। शुक्रवार सुबह 4 बजे नोटों की गिनती बंद कर गिनी गई राशि पुलिस के माल खाने में जमा करवाई गई। शुक्रवार सुबह दस बजे दोबारा गिनती शुरू की गई। जांच में आईबी, रॉ, सीआईडी सहित जिला कांगड़ा और ऊना पुलिस जुटी हैं। शुक्रवार दोपहर बाद अकाउंटेंट कार्यालय में नोटों की बरामदगी का काम पूरा करने के बाद जांच एजेंसियों ने करमापा के निजी सचिव गोम्पो छेरिंग के कार्यालय का ताला तोड़कर कमरे में रखे नोटों के बैगों को कब्जे में लेकर गिनती शुरू कर दी है

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