Saturday, January 29, 2011

दोर्जे के जरिए अपने नापाक मंसूबे हासिल करना चाहता है चीन, गुरु पर भी था शक


नई दिल्ली. चीन ने अपने हितों को साधने और प्रतिद्वंद्वी देशों की खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए ऐसे देशों में बड़े पैमाने पर अपने एजेंट रखे हुए हैं। इनमें अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देश शामिल हैं। चीन भारत में अपने जासूसी का जाल बिछाने की कोशिश कर रहा है। करमापा के निवास से विदेशी खासकर चीनी मुद्रा की बरामदगी से भारत की खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। भारतीय जांच एजेंसियों को करमापा के चीन का जासूस होने का शक है। साफ है चीन भारत में भी अपनी पकड़ बनाना चाहता है।  

सूत्रों का कहना है कि चीन चाहता है कि दोर्जे हिमालय के भारत में मौजूद हिस्से में वही करें जो चीन ने नेपाल में किया है। भारत-नेपाल सीमा पर चीन ने करीब 17 चीन स्टडी सेंटर खोल दिए हैं। यहां चीनी भाषा और वहां की संस्कृति पढ़ाई जाती है। लेकिन जानकारों का मानना है कि चीन की बड़ी योजना नेपाल में चीन के असर को बढ़ाना है, जिससे भारत के हित प्रभावित होंगे। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि चीन ने दोर्जे को भारत इसलिए भेजा ताकि दलाई लामा की गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके और दोर्जे खुद को दलाई लामा के उत्तराधिकारी के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकें। इसके साथ ही सूत्रों का दावा है कि चीन चाहता है कि दोर्जे सिक्किम के रूमटेक बौद्ध मठ पर भी नियंत्रण कर लें। रूमटेक मठ बौद्ध धर्म के काग्यु मत का प्रमुख केंद्र है। लेकिन दोर्जे के प्रतिद्वंद्वी करमापा के विरोधियों की सक्रियता की वजह से अब तक ऐसा नहीं हो सकता है। हाल ही में भारत-नेपाल सीमा पर तीन चीनी नागरिकों को फर्जी पासपोर्ट के साथ गिरफ्तार किया गया है। इन लोगों के भी जासूस होने का शक है। हालांकि, चीन ने इन्हें सिविल इंजीनियर बताया है।     

गुरु पर भी था शक
करमापा के गुरु ताई सीतु रिंपोछे को बौद्ध मठ निर्माण में चीनी धन के निवेश व चीन के साथ संबंधों के चलते उन्हें भारत छोडऩे का सर्कुलर जारी किया गया था, जिसके विरोध में रिंपोछे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने उन्हें भारत में रहने की अनुमति दी थी। रिंपोछे के मठ में अधिकतर चीन प्रभावित देशों के बौद्ध अनुयायी निरंतर आते-जाते हैं। ताई सेतु रिंपोछे के चीनी अधिकारियों से संपर्क में होने के आरोपों के चलते उनका भारत में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था।

अमेरिका में भी जासूस 
चीन अपने प्रतिद्वंद्वी देशों में न सिर्फ अपने एजेंट से जानकारियां हासिल करता है बल्कि वह प्रतिद्वंद्वी देशों की खुफिया एजेंसी में भी अपने जासूस घुसाने की कोशिश करता है। हाल ही में अमेरिका की मिशिगन अदालत ने एक अमेरिकी नागरिक को चार साल की सज़ा सुनाई। इस आदमी पर आरोप था कि वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए में भर्ती होने की कोशिश कर रहा था ताकि वह चीन के लिए जासूसी कर सके। 29 साल के ग्लेन श्राइवर ने यह माना कि उसने अक्टूबर में राष्ट्रीय रक्षा से जुड़ी जानकारियां चीन के खुफिया अधिकारियों को देने की साजिश रची थी। श्राइवर ने यह भी माना कि उसने चीनी अधिकारियों से 70 हजार अमेरिकी डॉलर की रकम भी हासिल की थी। हाल ही में एक अन्य मामले के तहत एक भारतीय मूल के शख्स को अमेरिकी अदालत ने चीन को लड़ाकू विमान की तकनीक बेचने के मामले में दोषी मानते हुए ३२ साल की सज़ा सुनाई है

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