वह देश के145 साल पुराने शीर्षस्थ इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद के कुलपति हैं। उनकी कई खासियत हैं, जो उन्हें इस प्रतिष्ठित केंद्र के कुलपति रह चुके बाकी लोगों से अलग कतार में खड़ा करती हैं। वह इस धार्मिक शिक्षण संस्था के पहले ऐसे कुलपति हैं जो एमबीए डिग्री होल्डर हैं। वह पहले कुलपति हैं जो उप्र के बाहर (गुजरात) के हैं। वह अतीत के बजाय भविष्य पर नजर रखने के पक्षधर हैं। वह शरियत के सख्त पाबंद हैं, लेकिन बेवजह की फतवाबाजी के खिलाफ हैं। जी, हां बात हो रही है मौलाना गुलाम मोहम्मद वस्तानवी की, जो इसी महीने दारुल उलूम देवबंद के कुलपति नियुक्त हुए हैं। कुलपति बनने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक बयान से विवाद के घेरे में हैं। उन पर इल्जाम यह है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी। नरेंद्र मोदी पर उनके बयान से लेकर दारुल उलूम में उनके खिलाफ होने वाले विरोध तक के घटनाक्रम पर उप्र राज्य ब्यूरो प्रमुख नदीम ने मौलाना गुलाम मोहम्मद वस्तानवी से बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश- नई जिम्मेदारी मिलते ही इस तरह की मुश्किल में घिरना, कैसा महसूस कर रहे हैं आप? सब कुछ गलतफहमी की वजह से हुआ है। मीडिया ने मेरी बातों को गलत तरीके से पेश किया जिसकी वजह से यह माहौल बना। मैंने हकीकत में जो बात कही थी वह सबके सामने रख दी। अगर कुछ लोग समझने को तैयार नहीं हैं तो मैं क्या कर सकता हूं? विवाद की वजह है कि आपने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी। क्या यह सही है? मैंने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट नहीं दी। और भला मैं नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाला कौन हो सकता हूं? गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की जो भूमिका रही है उसे भुलाया नहीं जा सकता। क्लीन चिट न सही लेकिन उनके शासन की तारीफ तो की आपने? मैंने किसी की तारीफ नहीं की। मैं किसी नरेंद्र मोदी को नहीं जानता। मैं गुजरात को जानता हूं। अगर आप मुझसे आठ साल पहले के गुजरात के बारे में पूछेंगे तो मैं तब के हालात बताऊंगा और जब आप आज के हालात पूछेंगे तो मैं आज के हालात बताऊंगा। आज की तारीख में मैं यह तो नहीं कह सकता है कि गुजरात में दंगा हो रहा है। कफ्र्यू लगा है। लोग मारे जा रहे हैं। आपका कहना है कि मीडिया ने आपके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया। क्या आप बता सकते हैं कि आपने कहा क्या था? गुजरात के बारे में वही बात जो अभी मैंने आपसे कही। आज का गुजरात कैसा है? सभी लोग खा-पी रहे हैं। मस्त हैं। इसी वजह से तो मोदी के शासन की तारीफ हो रही है और आप उसकी तस्दीक कर रहे हैं.. (सवाल को बीच में काटते हुए) मैं दारुल उलूम का कुलपति हूं। आप मुझसे यहां के बारे में सवाल करिये। गुजरात के बारे में अगर आपको बात करनी है तो वहां के किसी आदमी से बात करिए। क्या आप नरेंद्र मोदी को माफ करने को तैयार हैं? नहीं, किसी भी सूरत में नहीं। मैं क्या नरेंद्र मोदी को तो अल्लाह भी माफ नहीं करेगा। दारुल उलूम देवबंद में आपको लेकर इतना विरोध क्यों? जितने विरोध की बात मीडिया में आ रही है, उतना विरोध वास्तव में हो नहीं रहा है। असंतोष पर काबू पाने के लिए छात्रों को निलंबित करना पड़ा और आप कह रहे हैं उतना विरोध नहीं है जितना मीडिया में आ रहा है? परिसर में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं होगी। दारुल उलूम की छवि खराब करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। छात्रों के असंतोष के पीछे क्या आपको अपने खिलाफ कोई साजिश भी दिखाई देती है? मेरे पास इसका कोई सबूत नहीं है। जब तक मेरे पास कोई पुख्ता सबूत न हो, मैं इसे साजिश नहीं सकता। बच्चे हैं, हो सकता है कि खुद बहक गए हों। यह भी हो सकता है कि किसी के बहकावे में आ गए हों, लेकिन उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने भविष्य में ऐसी गलती न करने की बात कही तो मैंने उनका निलंबन वापस कर दिया। आपने इस्तीफा देने की घोषणा की थी, क्या यह फैसला किसी दबाव में था? नहीं कोई दबाव नहीं था। मैं नहीं चाहता था कि बेवजह मेरी वजह से समस्या पैदा हो। आज की तारीख में आप मुसलमानों की सबसे बड़ी क्या समस्या देखते हैं? गरीबी और अशिक्षा आज की तारीख में मुसलमानों की सबसे बड़ी समस्या हैं। मुसलमानों को अपने आपको तालीम और तिजारत सेजोड़ना होगा। इसके बिना मुसलमानों की तरक्की मुमकिन नहीं है। मुसलमानों को यह बहुत अच्छी तरह समझनी होगी कि उनकी गरीबी मिटाने के लिए कोई दूसरा नहीं आएगा। अपनी गरीबी मुसलमानों को खुद मिटानी होगी। आप कह रहे हैं कि तरक्की के लिए मुसलमानों को अपने को तालीम और तरक्की से जोड़ना होगा, इसके लिए आपको क्या रास्ता दिखता है? किसी चीज की भी भूख खुद रास्ता दिखा देती है। जिस दिन मुसलमान में यह भूख पैदा हो गई कि उसे हर कीमत पर तालीम चाहिए, वह तालीम याफ्ता हो जाएगा। तालीम के बाद उसने अगर तिजारत की ठानी तो वह तिजारती हो जाएगा। बात जब मुसलमानों की तरक्की की होती है, आगे बढ़ने की होती है तो लड़कियों की सह शिक्षा, पुरुषों के साथ काम करने जैसे मुद्दों पर फतवे आ जाते हैं, इससे क्या तरक्की का मार्ग बाधित नहीं होता है? किसी विषय पर कुरान क्या कहता है, यह फतवा है। फतवा मांगना गलत नहीं बस उसकी गलत व्याख्या नहीं होनी चाहिए। कहा जाता है कि मुसलमानों की तरक्की में बाधा उनका रूढि़वादी होना भी है? यह बात कतई गलत है। मुसलमान न तो रूढि़वादी होते हैं और न ही आधुनिक। उनका ईमान कुरान होता है। कुरान में जो हिदायत दी गई है, मुसलमान उस हिसाब से जिंदगी जीता है। कुरान को मानना हर मुसलमान के लिए जरूरी शर्त है। दारुल उलूम देवबंद में आपको जो नई जिम्मेदारी दी गई है उसके बाद आपने क्या कोई लक्ष्य निर्धारित किया है? इस इदारे का अपना एक मुकाम और पहचान है। यह और तरक्की हासिल करे और इसे और शोहरत हासिल हो।
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औरंगाबाद। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में युवाओं से कहा, कि वे भ्रष्टाचारी राजनीतिक तंत्र को खत्म करने के लिए आगे आएं। लेकिन इस बार फिर वे अपनी पार्टी के गिरेबान में झांकना भूल गए। अरे राहुल जी जिस भ्रष्टाचारी तंत्र को आप जड़ से उखाड़ फेंकने की बात कर रहे हैं, वो आपकी ही कांग्रेस पार्टी की देन है। तो क्या देश के युवा बाहर से आकर आपकी पार्टी के भ्रष्टाचारी नेताओं को बाहर करेंगे? क्या आपको पता है, भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा मामले आपकी ही सरकार में उजागर हुए हैं?
यह सवाल हर उस युवा के मन में चल रहा है, जो अपने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त देखना चाहता है। राहुल गांधी के शनिवार के भाषण ने इसके अलावा कई और सवाल युवाओं के बीच खड़े कर दिए हैं। आइये एक-एक कर सवालों पर गौर करते हैं।
क्लिक करें- छात्रों की क्लास में फेल हुए राहुल गांधी
पहला सवाल भ्रष्टाचार का है, जिसमें राहुल गांधी अपने हर भाषण में युवाओं से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए राजनीति में आने का आह्वान करते हैं। 12 जनवरी को राहुल ने यही बात लखनऊ में भी कही थी, तब एक छात्र ने उनसे पूछा कि क्या राजनीति में करियर सुरक्षित है? तो राहुल का जवाब था, अगर आपको करियर बनाना है, तो आप जाकर बीबीए, एमबीए करें। अपने इस बयान से राहुल गांधी ने बीबीए, एमबीए करने वाले छात्रों के लिए राजनीति के दरवाजे सीधे बंद कर दिए और सभागार में मौजूद युवाओं के सवाल अनसुलझे रहे। ऐसा ही कुछ शनिवार को औरंगाबाद में हुआ। यहां भी राहुल यह नहीं बता सके, कि राजनीति में कैसे आएं।
महाराष्ट्र दौरे पर आए राहुल गांधी ने कहा कि लोग शिकायत करते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए राजनीतिक तंत्र को बदलने की कोशिश नहीं करते। राजनीतिक तंत्र में खराबी है और इसे बदलने के लिए युवाओं की सहभागिता की जरूरत है। राहुल जी जरा बताएं कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ अगर देश के युवा लोकतांत्रिक ढंग से प्रदर्शन करें, तो क्या गारंटी है, कि आपकी सरकार उन पर लाठी नहीं बरसाएगी।
राहुल गांधी का कहना है कि अब बदलाव की जरूरत है और इस बदलाव के लिए युवा और कुशल लोग हमारे साथ जुड़ें, क्योंकि बदलाव के लिए हमें उनकी जरूरत है। यहां सवाल यह उठता है कि अगर कोई युवा सिर पर कफन बांध कर कांग्रेस से जुड़ भी गया, तो क्या उसे पार्टी से भ्रष्टाचारी तत्वों को बाहर करने की पूरी छूट दी जाएगी? शायद नहीं!
जी हां हर राज्य में राहुल गांधी का एक ही भाषण अब युवाओं पर कोई असर डालने वाला नहीं है। अगर कांग्रेस को वाकई में देश के युवाओं को अपने साथ जोड़ना है, तो उससे पहले पार्टी में सफाई करनी ही होगी, नहीं तो आने वाले युवा भी गंदगी में ढल जाएंगे
यह सवाल हर उस युवा के मन में चल रहा है, जो अपने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त देखना चाहता है। राहुल गांधी के शनिवार के भाषण ने इसके अलावा कई और सवाल युवाओं के बीच खड़े कर दिए हैं। आइये एक-एक कर सवालों पर गौर करते हैं।
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पहला सवाल भ्रष्टाचार का है, जिसमें राहुल गांधी अपने हर भाषण में युवाओं से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए राजनीति में आने का आह्वान करते हैं। 12 जनवरी को राहुल ने यही बात लखनऊ में भी कही थी, तब एक छात्र ने उनसे पूछा कि क्या राजनीति में करियर सुरक्षित है? तो राहुल का जवाब था, अगर आपको करियर बनाना है, तो आप जाकर बीबीए, एमबीए करें। अपने इस बयान से राहुल गांधी ने बीबीए, एमबीए करने वाले छात्रों के लिए राजनीति के दरवाजे सीधे बंद कर दिए और सभागार में मौजूद युवाओं के सवाल अनसुलझे रहे। ऐसा ही कुछ शनिवार को औरंगाबाद में हुआ। यहां भी राहुल यह नहीं बता सके, कि राजनीति में कैसे आएं।
महाराष्ट्र दौरे पर आए राहुल गांधी ने कहा कि लोग शिकायत करते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए राजनीतिक तंत्र को बदलने की कोशिश नहीं करते। राजनीतिक तंत्र में खराबी है और इसे बदलने के लिए युवाओं की सहभागिता की जरूरत है। राहुल जी जरा बताएं कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ अगर देश के युवा लोकतांत्रिक ढंग से प्रदर्शन करें, तो क्या गारंटी है, कि आपकी सरकार उन पर लाठी नहीं बरसाएगी।
राहुल गांधी का कहना है कि अब बदलाव की जरूरत है और इस बदलाव के लिए युवा और कुशल लोग हमारे साथ जुड़ें, क्योंकि बदलाव के लिए हमें उनकी जरूरत है। यहां सवाल यह उठता है कि अगर कोई युवा सिर पर कफन बांध कर कांग्रेस से जुड़ भी गया, तो क्या उसे पार्टी से भ्रष्टाचारी तत्वों को बाहर करने की पूरी छूट दी जाएगी? शायद नहीं!
जी हां हर राज्य में राहुल गांधी का एक ही भाषण अब युवाओं पर कोई असर डालने वाला नहीं है। अगर कांग्रेस को वाकई में देश के युवाओं को अपने साथ जोड़ना है, तो उससे पहले पार्टी में सफाई करनी ही होगी, नहीं तो आने वाले युवा भी गंदगी में ढल जाएंगे